मुंबई: महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार की रात ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें वे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुंबई में हाल ही में शुरू हुई मेट्रो ट्रेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोनों ओर बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं.
मोदी और फडणवीस लगभग एक जैसे – मुस्कुराते हुए बैठे थे, जबकि प्रधानमंत्री भी एक बड़ी सी मुस्कान लिए हुए शिंदे की तरफ देख रहे थे. इसी मेट्रो कोच की खिड़की में दिख रही परछाई में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार को भी खुश देखा गया.
हालांकि, फडणवीस के कैप्शन में सिर्फ ‘गेस द कन्वर्सेशन (बातचीत का अंदाजा लगाइए)’ लिखा था, मगर यह तस्वीर शायद उस राजनीतिक नैरेटिव को बयां कर थी, जिसे गुरुवार की मोदी की मुंबई यात्रा ने सेट करने का प्रयास किया था- और वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बालासाहेबंची शिवसेना का गठबंधन इसकी संरचना के मामले में अस्थिर हो सकता है (खासकर जिस तरह से यह महाराष्ट्र में सत्ता में आया था उसे देखते हुए), लेकिन दोनों ही पार्टियां प्रधानमंत्री के निर्विवाद नेतृत्व में एकजुट हैं.
इस बात को शिंदे ने अपने गुरुवार के भाषण के दौरान कहा, ‘हम सभी मोदी के लोगों में से एक’ हैं.
पिछले साल जून में, शिंदे ने भाजपा के साथ सरकार बनाने के उद्देश्य से शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस वाली उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने के मकसद से बगावत का नेतृत्व किया था.
गुरुवार को, जब प्रधानमंत्री मोदी ने मुंबई में 38,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ किया, तो शिंदे ने प्रधानमंत्री की खूब तारीफ की. इस बीच, मोदी ने भी ‘शिंदे-फडणवीस जोड़ी’ की भी सराहना की.
दोनों पार्टियों से जुड़े सूत्रों ने बताया, प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के एक दिन बाद, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों, भाजपा और बालासाहेबंची शिवसेना के सांसदों के साथ एक घंटे की बैठक की, जिसमें उन्हें अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मोदी सरकार के कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करने और सभी आगामी चुनावों के लिए काम में जुट जाने का निर्देश दिया गया.
यह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना और भाजपा के गठबंधन के ठीक विपरीत है, जिसके तहत शिवसेना अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने के लिए लगातार कोशिश किया करती थी.
शिवसेना के किसी नेता द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की इस तरह की तारीफ पहले कभी नहीं सुनी गई. मुख्यमंत्री शिंदे के किसी दूसरी पार्टी के होने की छाप कहीं भी दिखाई नहीं दी, न तो उनके अपने भाषण में और न ही प्रधानमंत्री के भाषण में.
राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘यहां तक कि फडणवीस द्वारा साझा की गई तस्वीर में, भी शिंदे के हावभाव से पता चलता है कि वह उनमें (भाजपाइयों) से एक होने में सहज हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने पूर्व में एक जनसभा में अपने सहयोगी दल भाजपा को चेतावनी दी थी कि वह हावी होने की कोशिश न करें. उनके बेटे उद्धव ने भी इस वाक्य को आगे बढ़ाया, और लगातार बालासाहेब को मोदी से श्रेष्ठ बताते हुए इस बात का ज़िक्र भी करते रहे कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब कैसे शिवसेना के संस्थापक नेता ने गोधरा दंगों के बाद उन्हें बर्खास्त होने से बचाया था. अब आप इसे या तो उद्धव ठाकरे का स्वाभिमान कह सकते हैं या फिर यह उनका अहंकार भी कहा जा सकता है.’’
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‘हम सब मोदी के लोग हैं’
गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में, शिंदे ने बताया कि जब भी वह प्रधानमंत्री मोदी को देखते हैं और उनसे मिलते हैं, तो उनका ‘दिमाग शुद्ध भावनाओं से भर जाता है’.
मुख्यमंत्री शिंदे ने इस हफ्ते की शुरुआत में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक के लिए दावोस की अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा कि कैसे सभी देशों के नेता केवल प्रधानमंत्री मोदी के बारे में ही पूछ रहे थे.
शिंदे ने कहा, ‘‘कई सारे देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कुछ मंत्री भी – केवल मोदी साहब के बारे में ही पूछ रहे थे. लक्ज़मबर्ग के प्रधानमंत्री मुझसे मिले और कहा ‘मैं तो मोदीजी का भक्त हूं.’ उन्होंने मेरे साथ एक तस्वीर ली और कहा, ‘यह फोटो मोदीजी को दिखा दीजिएगा.’ जर्मनी और सऊदी अरब के कुछ लोग भी मुझसे मिले और कहा, ‘आप मोदीजी के साथ हैं ना?’ मैंने कहा, ‘हम सब उनके ही लोग हैं’.’’
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री मोदी ने भी शिंदे और फडणवीस की क्रमशः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उप- मुख्यमंत्री की जोड़ी के रूप में उनके काम की खूब सराहना की, लेकिन एक बार भी उन्होंने ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ का ज़िक्र नहीं किया.
बता दें कि ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ वह अस्थायी नाम है जिसे चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को तब तक के लिए दिया है, जब तक कि वह दोनों प्रतिद्वंद्वी खेमों के बीच ‘असली शिवसेना’ होने के झगड़े के बारे में कोई आखिरी फैसला नहीं हो जाता.
मोदी ने अपने भाषण में कहा, ‘शिंदेजी और देवेंद्रजी की जोड़ी आपके सपनों को साकार करेगी. यह मेरा दृढ़ विश्वास है.’
उन्होंने यह भी कहा कि गुरुवार को मुंबई में जिन विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, वे ‘‘डबल इंजन सरकार’ (महाराष्ट्र के साथ-साथ केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों का ज़िक्र करते हुए) होने का नतीजा हैं.’’
उन्होंने आगे इस बात का भी उल्लेख किया कि भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन कभी भी सिर्फ ‘राजनीतिक लाभ के लिए विकास कार्य पर रोक नहीं लगाएंगे.’
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केंद्र के कार्यों को बढ़ाने के लिए हुई बैठक
शिंदे खेमे के विधायक इस बात से कतई परेशान नहीं थे कि प्रधानमंत्री ने उनकी पार्टी का ज़िक्र तक नहीं किया, न ही उन्हें ‘‘मोदी के लोग’’ के तौर पर पेश किए जाने के बारे में कोई चिंता थी.
शिंदे खेमे के एक वरिष्ठ विधायक ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘मोदीजी ने स्पष्ट रूप से इस लहजे को तय कर दिया है कि मुंबई में उनका एजेंडा राजनीति नहीं, बल्कि विकास है. अपने पूरे भाषण के दौरान उन्होंने किसी भी पार्टी या राजनेता की आलोचना नहीं की. इसने सही लहजा तय किया है. इसलिए, हम इस तरह की छोटी-छोटी बातों से चिंतित नहीं हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी पार्टी का नाम नहीं लिया.’’
शिंदे खेमे की प्रवक्ता शीतल म्हात्रे ने कहा, ‘‘बालासाहेबंची शिवसेना वाला नाम तो सिर्फ अभी के लिए है. हम ही असली शिवसेना हैं और चुनाव आयोग के फैसले के बाद जब असली नाम हमारे पास आ जाएगा तो मुझे यकीन है कि मोदीजी इसका जिक्र ज़रूर करेंगे.’’
मोदी के गुरुवार के मुंबई दौरे के बाद शुक्रवार को बीजेपी और शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबंची शिवसेना के सभी विधायकों और सांसदों की संयुक्त बैठक हुई. सभी सांसदों और विधायकों को गुरुवार रात इस बैठक के बारे में सूचित किया गया था और उन सब ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए इसमें हिस्सा लिया.
बीजेपी के एक विधायक ने कहा, ‘‘यह एक घंटे की बैठक थी जहां मुख्यमंत्री जी और उप मुख्यमंत्री जी ने हमें मोदी सरकार के कार्यक्रमों, विशेष रूप से आगामी ‘परीक्षा पर चर्चा’ वाले कार्यक्रम, को हमारे निर्वाचन क्षेत्रों में लागू करने के लिए कहा है. सभी विधायकों और सांसदों को 30 जनवरी को होने वाले विधान पार्षद (एमएलसी) चुनाव (स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों) के लिए काम करने के लिए भी कहा गया.’’
बता दें कि 27 जनवरी को होने वाला ‘‘परीक्षा पे चर्चा’’ एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसके दौरान प्रधानमंत्री मोदी बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने जा रहे छात्रों के साथ बातचीत करते हैं.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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