नई दिल्ली: देश के आदिवासी बाहुल राज्यों में धर्मांतरण रोकने के लिए विश्व हिंदू परिषद एक अभियान शुरु करने जा रहा है. इस अभियान के तहत वीएचपी के कार्यकर्ता आदिवासी क्षेत्रों में घर-घर जाकर लोगों को धर्म का पाठ पढाएंगे और जागरूक करेंगे.
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने के बाद से वीएचपी फिलहाल सक्रिय नहीं है इसलिए संघ चाहता है कि आदिवासियों में तेजी से बढ़ रहे धर्मांतरण पर लगाम लगाने के लिए वीएचपी पूरी तरह से सक्रिय हो जाए. इस अभियान में संघ भी वीएचपी के साथ बराबर की भूमिका निभाएगा.’
हाल ही में वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बसंल ने कहा था कि बीते 56 वर्षों में संगठन ने देशभर में 62 लाख हिंदुओं का धर्मांतरण रोका है. इसके साथ ही 8.50 लाख लोगों की घर वापसी भी करवाई है.
झारखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,ओडिशा, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल समेत महाराष्ट्र के आदिवासी बाहुल क्षेत्रों से धर्मांतरण के ज्यादा मामले सामने आते रहे है.
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‘धर्मांतरण एक हिंसा’
वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल ने दिप्रिंट से कहा, ‘राम मंदिर के धनसंग्रह कार्यक्रम के बाद धर्मांतरण रोकने को लेकर अभियान शुरु होगा. कार्यक्रम और अभियान की रुपरेखा कैसी होगी इसका निर्णय केंद्रीय मार्गदर्शन मंडल की बैठक में संतों द्वारा लिया जाएगा.’
उन्होंने बताया, ‘धर्मांतरण और लव जिहाद् को रोकने के लिए पूज्य संतों के मार्गदर्शन में एक अभियान चलेगा. ये अभियान आदिवासी और वनवासी समाज को धर्मांतरण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए होगा.’
बंसल ने दिप्रिंट से बातचीत में यह भी कहा, ‘ हम सरकार से मांग करेंगे कि, धर्मांतरित ईसाईयों और मुसलमानों को एससी, एसटी का बेनिफिट नहीं मिले. इससे एससी, एसटी समुदाय के अधिकार हनन होगा.’
केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने दिप्रिंट से कहा, ‘धर्मांतरण एक हिंसा है. हिंसा इसलिए कि वह लोगों को अपने संस्कृति, परंपरा और अपने मूल से अलग करता है.’
परांडे ने आगे कहा, ‘धर्मांतरण को रोकन के लिए कानून लाने की जरुरत है. इस मामले में हम अनेक राज्य सरकारों से इस विषय पर चर्चा कर रहे है कि कानून लाकर इस तरह की हिंसा को रोकी जाए.’
लव जिहाद् और कानूनी मदद
धर्मांतरण को लेकर जागरुकता अभियान चलाने जा रही वीएचपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक अलग-अलग टीमें गठित की जाएंगी. जो आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उन्हें हकीकत से रुबरु करवाएंगी. इसके अलावा ऐसे साहित्य भी तैयार किए जाएंगे जो बताएंगे कि आदिवासी समाज हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है वे किसी के बहकावे में न आए.’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘इसके अलावा वीएचपी लव जिहाद् के लिए भी जनजागरण अभियान बड़े पैमाने पर शुरु करेगी. इसमें लोगों को बताया जाएगा कि लव जिहाद के मामले कैसे पकड़ें और बच्चियों को कैसे बचाएं. जिस राज्य या शहर में ज्यादा मामले आएंगे वहां बजरंग दल के लोग आंदोलन भी करेंगे. जो युवतियां इसकी शिकार हो चुकी है उनके माता पिता की कानूनी मदद भी दी जाएगी.’
संघ प्रमुख की मौजूदगी में हुआ था निर्णय
सितंबर माह में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ.मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी और वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष राय समेत 45 वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक भोपाल में हुई थी. इस बैठक में क्रिश्यिचन मिशनरीज और वामपंथी संगठनों द्वारा देशभर में आदिवासियों को उकसाने और धर्मपरिवर्तन करवाने जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी. इसके बाद ये निर्णय लिया गया था कि इस मामले में संघ वीएचपी के साथ इसके खिलाफ देशभर में एक अभियान शुरु करेगा.
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट से कहा, ‘इस बैठक में जनगणना 2021 में होने वाली को लेकर भी चर्चा हुई. जिसमें ईसाई और वामपंथी संगठन आदिवासियों को जनगणना में धर्म के स्थान में कबीरपंथी, गोंड या अन्य कोई विकल्प बताने के लिए उकसा रहे है.
उन्होंने आगे कहा, ‘इस तरह के संगठन रामायण के तथ्यों को भी गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे है.’ ऐसा कहा जा रहा है कि तुम वानर राज बाली के वशंज हो, बाली को भगवान राम ने छल से मारा था.बाली आदिवासी थे. हिंदू नहीं इसलिए आदिवासी खुद को हिंदू न लिखें.’
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सामाजिक समरसता अभियान
इसके अलावा वीएचपी के कार्यकर्ता अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति व समाज के अन्य वर्गों के बीच समाजिक समरसता बढ़ाने के लिए काम करेंगे. इसके अलावा 15 जनवरी 2021 से राम मंदिर के लिए कार्यकर्ता पूरे देश में धनसंग्रह का काम भी शुरु करेंगे.
राम मंदिर ट्रस्ट के विश्वस्त सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, राम जन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से सहयोग राशि प्राप्त करने के लिए कूपन और पत्रक भी छपवाया जाएगा. इसमें रामजन्मभूमि के संक्षिप्त इतिहास के साथ राम मंदिर के संबंध में जानकारी भी होगी. ये सभी अलग अलग क्षेत्रीय भाषा में भी होंगे ताकि लोगों को विषय को समझने में आसानी हो. ये कूपन दस रुपए से लेकर 100 रुपए तक का होगा.
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