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Friday, 22 November, 2024
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औरतों को अबला और निरीह दिखाना बंद करें, वीएचपी का टीवी सीरियल और फिल्म निर्माताओं को संदेश

टीवी और फिल्मों में अश्लीलता और महिलाओं की खराब छवि पेश किए जाने से नाराज विश्व हिंदू परिषद ने मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है.

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नई दिल्ली: टीवी और फिल्मों में अश्लीलता और महिलाओं की खराब छवि पेश किए जाने से नाराज विश्व हिंदू परिषद ने मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है. वीएचपी की मातृशक्ति इकाई महिला सुरक्षा को लेकर सरकार से लेकर सेंसर बोर्ड और टीवी की नियामक एजेंसी तक पहुंचकर मुहिम शुरू करेगी.

मातृशक्ति इकाई ने दलील दी है कि टीवी में महिलाओं का गलत चित्रण महिला अपराधों को बढ़ावा दे रहा है. लिहाजा इस पर लगाम लगाने के लिए सेंसर बोर्ड से मांग कर रहे हैं. वह चाहती है कि बोर्ड इस तरह के शो पर नियमन के लिए और कड़े नियम बनाए. संगठन का मानना है महिलाओं को जिस तरह से दिखाया जा रहा है वह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. वीएचपी के इस ऐलान के बाद देश में अश्लीलता के नाम पर नई बहस शुरू होने के आसार बनने लगे हैं.

टीवी में प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों पर केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत नजर रखी जाती है.

विश्व हिंदू परिषद की मातृशक्ति इकाई की केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी पिशवे ने दिप्रिंट से कहा, ‘टीवी के हर धारावाहिक पर यह बताया जाता है कि दिखाए गए दृश्य में जो पसंद नहीं है उसके बारे में फोन कर हमें बताएं. हम लोगों में जागृति फैलाएंगे कि ज्यादा से ज्यादा फोन कर ऐसे सीरियल में आने वाले आपत्तिजनक दृश्यों पर रोक लगाने की मांग करें. लोगों को जागृत करेंगे कि वह आगे बढ़कर इसमें हिस्सा लें.

देश के संत, महात्मा इसको लेकर चिंतित

पिशवे ने दिप्रिंट को बताया कि, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:’ का मंत्र भारत में जाप करने वाली विश्व हिन्दू परिषद महिलाओं पर हो रहे दुवर्यवहार को लेकर अत्यन्त चिन्तित है. उनके साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. हम निर्भया केस को भूले भी नहीं थे कि 1 दिसंबर 2019 को हैदराबाद में भी 22 वर्षीय युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसे जला दिया गया. आज देश की महिलाएं अपने ही मोहल्लों में असुरक्षित महसूस कर रही हैं. देश के सभी संत, महात्मा इन विषयों को लेकर चिंतित हैं.’


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मीनाक्षी पिशवे ने कहा, ‘विज्ञापन और मनोरंजन के नाम पर फिल्मों, टीवी और प्रिंट मीडिया में जो अश्लीलता परोसी जा रही है वह भी स्त्रियों के प्रति अपराध को बढ़ावा देता है. कई व्यावसायिक फिल्में स्त्रियों को भोग की वस्तुओं के रूप में ही प्रस्तुत करती हैं. इन सभी के प्रदर्शन से बच्चों में गलत मनोभाव पैदा होते हैं. इसलिए सेंसर बोर्ड और नियामक एजेंसी को अधिक सशक्त बनाए जाएं.’

पिशवे ने कहा, ‘सेंसर बोर्ड से जल्द ही एक प्रतिनिमंडल मुलाकात करेगा. हम बोर्ड को बताएंगे कि फिल्मों या टीवी में जो अश्लील फिल्मांकन किया जा रहा है वह समाज के लिए गलत है. समाज अभिनय से प्रेरणा लेता है. उसकी वह नकल करता है. फिल्मों में ऐसा चित्रण या फिल्मांकन नहीं किया जाए जिससे समाज पर गलत प्रभाव पड़े.’

उन्होंने कहा, ‘टीवी के हर धारावाहिक पर यह बताया जाता है कि दिखाए गए दृश्य में जो पसंद नहीं है उसके बारे में फोन कर बताएं. हम लोगों में जागृति फैलाएंगे कि ज्यादा से ज्यादा फोन कर ऐसे सीरियल में आने वाले आपत्तिजनक दृश्यों पर रोक लगाने की मांग करें.’

सेंसर बोर्ड से आग्रह करेंगे कि ऐसे दृश्यों को नहीं दिखाएं जिसमें महिलाओं और लड़कियों के साथ छेड़छोड़ हो रही है. इसके बदले में ऐसे दृश्यों केा दिखाया जाए कि जिसमें महिलाएं खुद अपनी रक्षा कैसे करती हैं यह बताया जाए.

पिशवे ने कहा, ‘ऐसे फिल्मांकन करने वालों के लिए कड़ी कार्रवाई भी की जाने का अनुरोध करेंगे. सरकार को हम प्रतिवेदन देंगे अगर सरकार कुछ नहीं करती है तो आगे कड़े कदम उठाएंगे.’


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उन्होंने तर्क देते हुए कहा, ‘नारी मुक्ति से ज्यादा जरूरी नारी शक्ति है. हम नारी मुक्ति के लिए नहीं लड़ रहो बल्कि नारी शक्ति के लड़ रहे हैं. मुक्ति में स्वच्छंदता का भाव है जिसमें कोई मर्यादा नहीं. हम चाहते हैं कि नारी शक्ति बने. अपने गौरव को पहचाने, तेज को पहचाने और समाज और स्वयं के लिए काम करे.’

टीवी में महिलाओं को दिखाएं खुद की रक्षा करना

उन्होंने कहा, ‘टेलीविजन में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों और प्रिंट मीडिया के कुछ विज्ञापनों में अशलीलता परोसी जाती है. इस तरह के विज्ञापन भी महिलाओं के प्रति अपराध को बढ़ावा देते हैं.’

कुछ टीवी शो में बताया जाता है कि महिला के ऊपर कोई अत्याचार कर रहा है या हमला कर रहा है. फिर कोई दूसरा आकर उसे बचाता है. हम चाहते हैं कि इन सबकी बजाय ऐसे दृश्य दिखाएं जिसमें महिला खुद अपनी सुरक्षा कर रही हो. ताकि समाज में अच्छा संदेश जाए.


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वहीं, ‘व्यावसायिक फिल्में स्त्रियों को भोग की वस्तु के रूप में ही प्रस्तुत करती हैं. इनके प्रदर्शन से बच्चों में गलत मनोभाव पैदा होते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि सेंसर बोर्ड व अन्य टीवी नियामक बोर्ड को सशक्त बनाया जाए.’

इसके अलावा स्त्रियों में बढ़ते अपराध का एक कारण पोर्न भी है. सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया है. परंतु यह अभी काफी नहीं है. पोर्न साइट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे.

महिलाओं की सुरक्षा के मसले पर यह कार्यक्रम शुरू करेगा वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद महिलाओं की स्थिति को बदलने के लिए सभी शहरों में संगोष्ठी करेगा. वहीं हिंदू समाज में परिवार भावना व सुसंंस्कार बढ़ाने के लिए परिवार प्रबोधन के काम को तेजी देगा.

महिलाओं की सुरक्षा और उनके प्रति देखने के दृष्टिकोण को बदलने के लिए एक व्यपाक और सर्वस्पर्शी अभियान चलाएगा. इसमें प्रशासन, शिक्षाविद, संत-महात्मा, सामाजिक और धार्मिक संगठन से भी सहयोग लेगा.

विश्च हिंदू परिषद स्कूली बच्चों के अभिभावकों के लिए कार्यक्रम शुरू करेगा. इसके जरिए वे बताएंगे कि प्रथम गुरू होने के नाते वे अपने बच्चों को नैतिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील और सजग बनाएं. वहीं महिला-पुरुष संबंधों पर स्वस्थ और संस्काररक्षम सोच विकसित की जाए.

इसके अलावा अभिभावकों से यह भी निवेदन करेंगे कि नई तकनीकें जहां उनके लिए उपयोगी हों उसे जरूर बताएं. लेकिन अभिभावक बच्चों के साथ ज्यादा समय व्यतीत कर उनमें अच्छी सोच भी विकसित करें.

स्त्रियों को श्रद्धा के रूप में देखने की भारत की पुरानी परंपरा रही है. लेकिन अब यह क्षीण हो गई है. इसे फिर से स्थापित करने की जरूरत है. सरकार से अपील है कि इसके लिए देश की शिक्षा और पाठ्य पुस्तकों में ऐसे संस्कारों की व्यवस्था की जाए.


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स्कूलों में बच्चों को नैतिक शिक्षा के पाठ पढ़ाएं जाएं. इसके जरिए ही उनमें स्त्रियों के प्रति सम्मान का भाव पैदा किया जा सकता है. हमारा संगठन भी इसमें आगे आकर स्कूलों में नैतिक शिक्षा का पाठ पढाएगा.

शिक्षा जगत के बुद्धिजीवियों से मिलकर अपील की जाएगी कि मूल्य आधाारित शिक्षा और उसके मुताबिक किताबों को तैयार किया जाए. वीएचपी ने मांग की है कि छात्राओं व युवतियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिलाने के लिए सरकार और शैक्षणिक संस्थाओं को विशेष प्रयास करना चाहिए.

वीएचपी सरकार से यह अपील करेगी कि वह देशभर के धार्मिक, सामाजिक महानुभावों से घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव ले. फिर उस पर मंथन करे. इसके बाद उनको जल्द लागू भी करे.

इसके अलावा दुर्गावाहिनी देशभर में युवतियों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण के कार्यक्रमों में भी तेजी लाएगी.

लगातार बढ़ रहे हैं महिला अपराध

हाल ही में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों (एनसीआरबी) ने रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया-2018′ जारी किया है. इसमें 2018 में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ की श्रेणी में 3,78,277 मामले दर्ज किए गए थे जो 2017 के 3,59,849 और 2016 के 3,38,954 मामलों से अधिक हैं.

2018 में आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों की संख्या 33,356 रही. आंकड़े के अनुसार 2017 में बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2016 में यह संख्या 38,947 थी. आंकड़ों के अनुसार 2018 में पूरे देश में हर दिन औसतन बलात्कार की 91 घटनाएं दर्ज की गईं हैं.


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एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में मध्य प्रदेश में 18 साल से कम उम्र की 2,841 लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं हुईं. इनमें से छह साल से कम उम्र की 54 बच्चियां, छह से 12 साल की 142 बच्चियां, 12 से 16 साल की उम्र की 1,143 बालिकाएं और 16 से 18 साल की 1,502 लड़कियां शामिल हैं.

2016 और वर्ष 2017 में भी मध्य प्रदेश बलात्कार के मामलों में देश में नंबर एक पर था. 2016 में प्रदेश में 4,882 बलात्कार की घटनाएं हुई थीं, जबकि वर्ष 2017 में प्रदेश में 5,562 घटनाएं हुईं.

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