scorecardresearch
Friday, 17 May, 2024
होमदेशलोकसभा सचिवालय ने संविधान पर बनाया कैलेंडर लेकिन उसकी 'आत्मा' को नज़रअंदाज़ किया

लोकसभा सचिवालय ने संविधान पर बनाया कैलेंडर लेकिन उसकी ‘आत्मा’ को नज़रअंदाज़ किया

जब से केंद्र में मोदी सरकार काबिज हुई है तब से हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है. सबसे पहले 26 नवंबर 2015 को संसद में संविधान दिवस मनाया गया.

Text Size:

नई दिल्ली: पुरानी परंपराएं तोड़ने और नए रिवाज़ शुरू करने के लिए पहचानी जाने वाली मोदी सरकार देश में ‘संविधान दिवस’ मनाने के लिए भी जानी जा रही है. देशभर में संविधान पर बहस छिड़ी है और मोदी सरकार पर उसके अनदेखा करने का आरोप लग रहा है.

इसी बीच लोकसभा सचिवालय ने नए साल का कैलेंडर जारी किया गया है. 2020 कैलेंडर की थीम ‘संविधान’ रखी गई है. साल के 12 महिनों में संविधान के अलग-अलग अनुच्छेदों और भागों को जगह दी गई है. इस सबके बीच संविधान की आत्मा कही जाने वाली प्रस्तावना के भाग को ही पूरे कैलेंडर में भुला दिया गया है.

इस मामले में लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा, जब कैलेंडर को तैयार किया जा रहा था, तब उसमें प्रस्तावना की बात उल्लेखित थी, लेकिन बाद में यह हटा दी गई. तैयार होने के बाद कैलेंडर की मंजूरी लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय से ही ली गई थी.’

इस मामले लोकसभा के पूर्व महा​सचिव और संविधान विशेषज्ञ पी डी टी आचारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘प्रस्तावना की संविधान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. यह पूरे संविधान की दिशा को बतलाता है.मूल ​तत्व ही प्रस्तावना में दिए गए है.’

फोटो- विशेष व्यवस्था द्वारा

 

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

आचारी ने कहा,’ लोकसभा सचिवालय को ऐसा नहीं करना चाहिए था. प्रस्तावना तो कैलेंडर में देना चाहिए था. यह बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है. पता नहीं इसे क्यों इन्होंने हटाया है. ऐसा नहीं होना चाहिए.’

 लोकसभा सचिवालय के कैलेंडर में क्या है

लोकसभा सचिवालय द्वारा वर्ष 2020 का जो नया कैलेंडर प्रकाशित किया गया है. उसके हर पेज पर ‘भारत का संविधान का 70 देश की सर्वोच्च विधि का उत्सव’ लिखा गया है.

जनवरी माह में संविधान के भाग 22 जिसमें संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और निरसन दिया गया है. वहीं फरवरी में भाग 1- संघ और उसके राज्य प्रकाशित किया गया है.

मार्च माह में भाग 3 में मूल अधिकार, अप्रैल में  पहले शिड़्यूल के भाग 1 में राज्य , मई में भाग—5 अध्याय 1 कार्यपालिका राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दिया गया है.

जून में राज्य के नीति निदेशक तत्व, जुलाई माह में भाग—20 संविधान का संशोधन, अगस्त में भाग 10 ,अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र,  सितंबर माह में भाग 12 वित्त,संपत्ति,संविदाएं और व्यवहार—वाद दिया गया है.

अक्टूबर माह में भाग 17, आधिकारिक भाषा,  नवंबर माह में भाग 13 भारत के राज्य—क्षेत्र के भीतर व्यापार,वाणिज्य और समागम दिया गया है. दिसंबर माह के भाग 15 में चुनाव पर दिया गया है.

मोदी सरकार हर साल 26 नवंबर को मनाती है संविधान दिवस

जब से केंद्र में मोदी सरकार काबिज हुई है तब से हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है. सबसे पहले 26 नवंबर 2015 को संसद में संविधान दिवस मनाया गया. इस दौरान संसद में संविधान को लेकर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया था. इसके बाद से हर साल यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.

हाल ही में 26 नवंबर 2019 में भी संविधान को अंगीकार किए जाने के 70 साल पूरे होने बाद भारतीय संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस समारोह आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों सदस्यों के सदस्यों को संबोधित भी किया था.

यह है भारत संविधान की प्रस्तावना में

भारतीय संविधान में दी गई प्रस्तावना को भारतीय संविधान का परिचय पत्र भी कहा जाता है.

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को.

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म

और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता,

प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और

राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को

अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.

फोटो- विशेष व्यवस्था द्वारा

हाल ही में पूरे देश में मोदी सरकार पर संविधान पर उल्लंघन करने के आरोप लगते रहे हैं.संविधान बचाओ यात्राएं और आंदोलन जारी है. संविधान की इसी प्रस्तावना में पंथ-निरपेक्ष शब्द आता है. मोदी सरकार के नए नागरिता संशोधन कानून में उल्लंघन का आरोप भी लगा है. ऐसे में लोकसभा सचिवालय द्वारा संविधान की प्रस्तावना को अनदेखा करने की भूल नई बहस को जन्म दे रहा है.

share & View comments