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Thursday, 25 April, 2024
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फिर गरमाई मंदिर की राजनीति, विहिप का 18 महीने में बनाने का वादा

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान में सबसे आगे रहे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इस महीने के आखिर में अपने शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई है.

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नई दिल्लीः भाजपा की दोबारा सरकार बनने के बाद मंदिर की राजनीति एक बार फिर से गरमाने लगी है. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अभियान में सबसे आगे रहे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इस महीने के आखिर में अपने शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई है. विहिप का दावा है कि इस परियोजना पर डेढ़ साल में काम शुरू हो जाएगा. वहीं दो दिन पहले संघ के मोहन भागवत ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान चलाने की बात कह चुके हैं.

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने स्पष्ट किया कि उनका संगठन राम मंदिर निर्माण पर ‘अनिश्चितकाल तक’ इंतजार नहीं करेगा और संगठन ने राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले महीने के भीतर ही नरेंद्र मोदी सरकार को उनके वादे के बारे में ‘याद दिलाने’ का फैसला किया है.

उन्होंने आईएएनएस को बताया, ‘एक बात स्पष्ट है, विहिप दो मुद्दों पर समझौता नहीं करेगी – पहला, भगवान राम के जन्मस्थान पर सिर्फ मंदिर बनेगा और दूसरा, अयोध्या की सांस्कृतिक सीमाओं के भीतर कोई मस्जिद नहीं हो सकती.’

कुमार ने कहा कि विहिप की ‘मार्गदर्शक समिति’ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए 19-20 जून को हरिद्वार में बैठक करेगी और एक प्रस्ताव पारित करेगी जो प्रधानमंत्री मोदी को सौंपा जाएगा.


यह भी पढ़ेंः मोहन भागवत ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर दिए संकेत, कहा- ‘राम का काम तो होगा ही’


विहिप नेता ने कहा, ‘हम एक प्रस्ताव पारित करेंगे और इसे प्रधानमंत्री को देंगे. हम उन्हें याद दिलाएंगे कि आपके घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण का वादा किया गया है.’ अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण भाजपा के एजेंडे में शीर्ष मुद्दों में से एक रहा है और लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के सभी घोषणापत्रों में इसका उल्लेख किया गया है.

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प्रधानमंत्री ने साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि सरकार न्यायिक प्रक्रिया के परिणाम का इंतजार करेगी.

यह मामला वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है जिसने हाल ही में सभी हितधारकों से बात करने और 15 अगस्त को एक रिपोर्ट देने के लिए वातार्कारों की तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है. विहिप नेता ने साथ ही यह भी कहा कि चूंकि सरकार ने बस कुछ दिन पहले कार्यभार संभाला है, तो थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है.

लेकिन जब इस बात का जिक्र किया गया कि कुछ लोगों का मानना है कि राम मंदिर का इंतजार तीन दशकों से हो रहा है, जिसमें नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पांच साल भी शामिल हैं तो उन्होंने पलटकर जवाब देते हुए कहा, “अब नहीं करेंगे..हम अनिश्चितकाल तक इंतजार अब नहीं करेंगे. राम मंदिर पर एक से डेढ़ साल के भीतर काम शुरू हो जाएगा. मैं अटकलबाजी नहीं कर रहा बल्कि एक जानकार शख्स के तौर पर बता रहा हूं.”

उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री से मिलेंगे और उन्हें बताएंगे कि हम अपने संकल्प में दृढ़ हैं (राम मंदिर बनाने के लिए) ..हम सरकार पर दबाव बनाएंगे. वे (भाजपा) भी चाहते हैं कि ऐसा हो.

मोहन भागवत जल्दी चलाएंगे अभियान

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ज़बर्दस्त जीत के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने संकेत दिया था कि अयोध्या मंदिर निर्माण कार्य में जल्द ही उतरने जा रहा है.

उन्होंने कहा था कि राम का काम तो करना ही पड़ेगा. ‘हम लोगों को राम का काम करना है और हम इसे करके रहेंगे. यह हमारा काम है. राम हम सभी के अंदर हैं इसलिए यह हम सभी को मिलकर करना है.’

‘अगर हम यह काम किसी और को दे देते हैं. तब भी हमें उस पर आंख रखने की ज़रूरत है. भागवत राजस्थान में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि लोगों को चौंकन्ना, शांति से लेकिन एक्टिव और मज़बूत बने रहने की ज़रूरत हैं.’

आरएसएस प्रमुख का यह बयान भाजपा को प्राप्त मज़बूत जनादेश के साथ दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने और 303 सीटें जितने के तीन दिन बाद आया था.

भाजपा के वैचारिक गुरु आरएसएस ने बार-बार अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का आह्वान किया है.

 

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