चेन्नई, चार मई (भाषा) प्रख्यात मृदंग ‘विद्वान’ कराईकुडी आर रानी का उम्र संबंधी समस्याओं के कारण बृहस्पतिवार को यहां निधन हो गया।
वह 77 साल के थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था।
पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था और उन्होंने अंतिम सार्वजनिक प्रस्तुति दिसंबर 2022 में यहां भारतीय विद्या भवन में दी थी।
मणि ने आधी शताब्दी तक कर्नाटक संगीत पर अपना वर्चस्व कायम रखा।
राज्य के कराईकुडी में 11 सितंबर 1945 को टी. रामनाथ अय्यर और पट्टम्माल के घर जन्मे मणि गायन प्रशिक्षण से हटकर मृदंग सीखने लगे। वह मृदंग ‘विद्वान’ पालघाट मणि अय्यर से काफी प्रेरित थे।
चेन्नई जाने के बाद मणि ने हरिहर शर्मा से शिक्षा ली और तत्कालीन राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन से 18 साल की उम्र में अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया।
उन्हें सर्वकालिक महान मृदंग विद्वानों में से एक माना जाता था और उन्होंने एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी और डी.के. पट्टामल जैसे कर्नाटक संगीत के दिग्गजों के साथ मृदंग वादन किया।
भाषा प्रशांत पवनेश
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