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Monday, 6 May, 2024
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‘दरवाजा खटखटाने की नहीं है ताकत’, DU के पेंशनर और एड-हॉक टीचर्स को समय पर नहीं हो रहा भुगतान

प्रभावित कॉलेजों में रामानुजन कॉलेज और राजधानी कॉलेज शामिल हैं. डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता के मुताबिक, ये फंड सीधे यूजीसी जारी करता है. यूनिवर्सिटी का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

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नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) से संबद्ध कई कॉलेजों के पेंशनभोगी और एड हॉक टीचर्स पेंशन और वेतन समय पर नहीं मिल पाने की वजह से खासे परेशान हैं. यह स्थिति पिछले छह महीनों से बनी हुई है. सेवारत और पूर्व कर्मचारियों ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पहले इन कॉलेजों को सीधे फंड जारी करता था. लेकिन उसने 2020 में वितरण की प्रक्रिया में बदलाव किया था. ऐसा ‘फंड के दुरुपयोग को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि सभी बकाया चुका दिए गए हैं’. लेकिन कुछ कॉलेजों के प्राचार्यों के अनुसार, इस प्रक्रियागत बदलाव के कारण कई कॉलेजों को समय पर यूजीसी फंड नहीं मिल पा रहा है.

प्रभावित कॉलेजों में रामानुजन कॉलेज और राजधानी कॉलेज शामिल हैं. कुछ प्रोफेसर ने बताया कि यूनिवर्सिटी में पेंशनभोगी टीचर स्टाफ की संख्या 5 हजार से ज्यादा है.

 दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा कि ये फंड सीधे यूजीसी की तरफ से जारी किए जाते हैं और इस मामले में यूनिवर्सिटी का कोई लेना-देना नहीं है.

दिप्रिंट ने ईमेल से यूजीसी के संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार त्रिपाठी से संपर्क किया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस लेख को अपडेट कर दिया जाएगा.

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‘दरवाजा खटखटाने की ताकत नहीं’

डीयू के दयाल सिंह कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर आर. एस. गंगवार को अभी नवंबर और दिसंबर की पेंशन नहीं मिली है. 82 साल के रिटायर्ड शिक्षक की अक्टूबर की पेंशन उनके खाते में 20 दिसंबर को जमा की गई थी.

भूगोल के पूर्व प्रोफेसर का कहना है कि फिलहाल उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह यूनिवर्सिटी के चक्कर काट सकें. उन्होंने कहा, ‘मैं 2005 में सेवानिवृत्त हुआ था. पेमेंट को लेकर यह अनियमितता अभी हाल ही में कुछ महीनों से देखने को मिल रही है. हालांकि मेरे जूनियर सहयोगी यूजीसी को पत्र या मेल लिख रहे हैं. लेकिन  मैं दरवाजे खटखटाने की स्थिति में नहीं हूं.’

गंगवार ने बताया कि स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि अक्टूबर के महीने में कुछ कॉलेजों ने अपने पेंशनभोगियों और एडहॉक स्टाफ को 15 हजार रुपये भेजे थे ताकि वे अपने परिवारों के साथ दिवाली मना सकें. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने यूजीसी के अध्यक्ष और डीयू के कुलपति को लिखा है, लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है.’

टीचिंग स्टाफ के सदस्यों ने दिप्रिंट से बात की. उन्होंने कहा कि हालांकि वे फंड की कमी से निपट सकते हैं.  रिटायर्ड नॉन-टीचिंग स्टाफ को पेंशन के रूप में बहुत कम राशि मिलती है. उसे पाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ रहा हैं और वो इस समस्या को हल करने के लिए उनकी मदद मांग रहे हैं.

यूजीसी ने दिल्ली के 53 कॉलेजों को अनुदान जारी किया

इस साल की शुरुआत में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा था कि यूजीसी ने वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22 और 2022- 23 (जून 2022 तक) में 53 दिल्ली कॉलेजों को क्रमशः 2134.54 करोड़ रुपये, 2446.83 करोड़ रुपये और 590.51 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया था.

पहले यूजीसी इस राशि का भुगतान सीधे कॉलेजों को करता था. लेकिन 2020 में एक नई प्रक्रिया शुरू की गई और तब से UGC भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को पैसा भेजता है. इसके बाद फंड वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से कॉलेजों को वितरित किए जाते हैं, जिसे 2016 में लागू किया गया था.


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कॉलेजों की तरफ से भुगतान

पिछले छह महीनों से डीयू का रामानुजन कॉलेज अपने कर्मचारियों को आमतौर पर कॉलेज के खर्चों के लिए निर्धारित व्यावसायिक फंड से भुगतान कर रहा था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा. कॉलेज ने एक बयान में दिप्रिंट को बताया, ‘हमने संघर्ष से बचने के लिए अपने सभी स्टाफ सदस्यों का वेतन रोक दिया है. यह उचित नहीं है कि कुछ स्टाफ सदस्यों को पेमेंट मिलती रहे और अन्य को नहीं.’

राजधानी कॉलेज ने नवंबर महीने की पेंशन दिसंबर के मध्य में जारी की थी. वहीं दयाल सिंह कॉलेज ने भी अक्टूबर की पेंशन दिसंबर में ही जारी की थी.

पूर्व प्राध्यापकों ने कहा कि स्वामी दयानंद कॉलेज ने पेंशन जारी कर दी थी, लेकिन अभी तक यूजीसी का फंड नहीं मिला है.

कुछ पेंशनरों ने दावा किया कि इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज से जुड़े रिटायर्ड शिक्षकों को पिछले दो महीनों से पेंशन नहीं मिली है.

‘भ्रम की वजह से भी भुगतान में देरी’

संभावित देरी का कारण बताते हुए देशबंधु कॉलेज के प्राचार्य राजीव अग्रवाल ने कहा, ‘हो सकता है कि कुछ कॉलेजों ने अपने खातों को उचित प्रारूप में नहीं भेजा हो, कभी-कभी यह भ्रम भी फंड हस्तांतरण में देरी का कारण बनता है. इसके अलावा, हो सकता है कि यूजीसी ने कुछ राशि एड हॉक टीचर्स के लिए और कुछ पेंशनरों के लिए भेजी हो और कॉलेज समय-समय पर दोनों को कुछ राशि आवंटित करके सभी के साथ न्याय करने की कोशिश कर रहे होंगे.

राजधानी कॉलेज के प्राचार्य राजेश गिरी ने दिप्रिंट को बताया कि कॉलेज ने यूजीसी से समय पर फंड आवंटन की मांग की है.

(अनुवादः संघप्रिया मौर्य | संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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