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मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025
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दिल्ली दंगा: पुलिस ने फरवरी में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन के लिए पिंजरा तोड़ की दो सदस्यों को किया गिरफ्तार

सीपीआईएमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि जामिया-जेएनयू के छात्रों को गिरफ़्तार किया जा रहा है और भाजपा के कपिल मिश्रा और जेएनयू हिंसा में शामिल कोमल शर्मा खुला घूम रहे हैं.

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नई दिल्ली: पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन में कथित तौर पर शामिल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की दो छात्राओं को शनिवार शाम उनके घर से गिरफ्तार किया गया है.

‘पिंजरा तोड़’ नाम के नारीवादी समूह की संस्थापक देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को पुलिस ने हिरासत में लिया है.

गिरफ़्तारी को लेकर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या ने दिप्रिंट को फ़ोन पर जानकारी देते हुए कहा, ‘इन दोनों को जाफ़राबाद में हुए प्रदर्शन में शामिल होने से जुड़ी एक एफआईआर के आधार पर गिरफ़्तार किया गया.’

एफआईआर 24 फरवरी को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के ज़ाफराबाद थाने में दर्ज कराई गई थी.

एफआईआर का दिल्ली दंगे से कनेक्शन

जिस एफआईआर के आधार पर इन छात्राओं को गिरफ्तार किया गया है उसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास मौजूद है. एफआईआर में लिखा है कि 22 फरवरी को रात नौ बजे के करीब जाफराबाद की गलियों से भीड़ निकली जो कैंडल लेकर मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़ी हो गई. भीड़ पर बिना अनुमति सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे लगाने का आरोप भी है.

आपको बता दें कि जाफराबाद मेट्रो के नीच शुरू हुए प्रदर्शन के विरोध में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ठीक उसके अगले मेट्रो स्टेशन बाबरपुर के नीचे सीएए के समर्थन में प्रदर्शन शुरू किया था. 22 तारीख से शुरू हुए इस घटनाक्रम ने 23 फ़रवरी को दंगों का रूप ले लिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी समय भारत दौरे पर थे और दिल्ली तीन दिनों तक इस बीच सुलगती रही थी.


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एफआईआर में सरकार, बिल और पुलिस के खिलाफ ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने के अलावा मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठकर सरकारी काम में बाधा डालने और लोगों को परेशान करने का भी आरोप है. इसमें सरकारी कर्मचारी पर हमले और दंगे में शामिल होने की धाराएं तो हैं लेकिन एफआईआर में प्रथम दृष्टया कहीं भी पुलिस ने ऐसी बातें नहीं लिखीं.

इसमें नताशा और देवांगना के अलावा 12 और लोगों के नाम भी शामिल हैं. दिप्रिंट के पास मौजूद पहली एफआईआर की कॉपी में इनपर आईपीसी की आठ धाराएं लगाई गई हैं जिनमें धारा-353 (सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकने की नीयत से हमला करना या आपराधिक ताकत का इस्तेमाल करना) और  धारा-147 (दंगे में शामिल होना) के अलावा बाकी मामूली धाराएं हैं.

छात्राओं के वकील अदित पुजारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं कब से कोशिश कर रहा हूं लेकिन पुलिस कोई जानकारी साझा नहीं कर रही. शनिवार शाम करीब 6 बजे इन्हें गिरफ्तार किया गया था.’

‘क्यों खुला घूम रहें हैं कपिल मिश्रा और कोमल शर्मा’

छात्राओं की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी कनन गोपीनाथ ने ट्वीट कर लिखा, ‘अगर आप सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले हर किसी को गिरफ़्तार करने वाले हैं, तो मेरे जैसे कई हैं जिन्हें पहले गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’

उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए लिखा है कि कोरोना लॉकडाउन का इस्तेमाल आवाज़ उठाने वाले लोगों के खिलाफ और नागरिक अधिकारों के हनन के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

इनकी गिरफ़्तारी पर सवाल उठाते हुए सीपीआईएमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहा, ‘2015 में अस्तितव में आया पिंजरा तोड़ एक नारीवादी संस्था है. ये भारत का एक अहम फेमिनिस्ट मूवमेंट है. ये लड़कों और लड़कियों के लिए अलग हॉस्टल टाइमिंग के विरोध में बना.’


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उन्होंने कहा, ‘बावजूद इसके महामारी की आड़ में ऐसे मूवमेंट से जुड़े जामिया और जेएनयू के छात्रों को सीएए और दिल्ली दंगों में शामिल होने के नाम पर गिरफ़्तार किया जा रहा है. जबकि दंगा भड़काने वाले भाजपा नेता कपिल मिश्रा और 5 जनवरी को जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा में शामिल कोमल शर्मा खुला घूम रहे हैं.’

महामारी और लॉकडाउन के बीच जारी छात्रों की गिरफ़्तारी

कोरोना महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन के बीच जेएनयू की इन छात्राओं की गिरफ़्तारी में कुछ नया नहीं है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के भी कई छात्रों को 23 फरवरी को शुरू हुए दिल्ली दंगों में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

सीएए विरोधी प्रदर्शनों के आगुआ रहे जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) के सदस्य सफूरा जरगर और मीरान हैदर जैसे प्रमुख नाम इनमें शामिल हैं जिनपर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) का इस्तेमाल किया गया. पूर्व जेएनयू छात्र नेता ऊमर ख़ालिद पर भी यूएपीए लगाया गया है. हालांकि, अभी तक उनकी गिरफ़्तारी नहीं हुई है.

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