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Sunday, 22 December, 2024
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मालदीव और भारत के बीच 18 अगस्त से शुरू हो जाएगा ट्रेवल बबल, हेल्थ और टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

भारत, मालदीव में महत्वपूर्ण सम्पर्क परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 40 करोड़ डालर की कर्ज सुविधा और 10 करोड़ डालर का अनुदान देगा .

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नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को मालदीव के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस के साथ हुई बैठक में ट्रैवल बबल पर करार किया है. इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच रोजगार, पर्यटन, चिकित्सा के साथ साथ किसी भी आपात स्थिति में दोनों देशों के नागरिकों को आवाजाही की सुविधा मिलेगी.

भारत के साथ विशेष संबंधों का ध्यान रखते हुए मालदीव पहला पड़ोसी देश है जहां से भारत ट्रेवल बबल की शुरुआत करने जा रहा है. माले की पहली उड़ान 18 अगस्त को यहां से रवाना होगी.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘ हम मालदीव के साथ एयर बबल (हवाई यात्रा) शुरू कर रहे हैं ताकि दोनों देशों के लोगों के बीच सम्पर्क को बढ़ावा मिल सके . ’

विदेश मंत्रालय ने बताया है कि मालदीव में पर्यटन के आगमन और राजस्व को बढ़ाने के लिए एयर ट्रेवल को बढ़ावा देगा साथ ही दोनों देशों में हेल्थ प्रोटोकॉल की भी सख्ती से पालन किया जाएगा.

पिछले चार महीनों के लॉकडाउन के बाद मालदीव सरकार ने हाल ही में पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं.हालांकि कि ट्रेवल बबल के करार को लेकर दोनों देशों में बातचीत काफी पहले से चल रही थी.

गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री डॉ, जयशंकर और उनके मालदीव समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद के बीच एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान ये समझौता हुआ.

यहां यह जानना जरूरी है कि ट्रैवल बबल दो देशों के बीच हवाई सेवा के लिए खास तौर पर बनाया गया ऐसा एयर कॉरिडोर होता है, जिसमें दोनों देशों के बीच समझौते के तहत हवाई यात्रा को मंजूरी दी जाती है. कोविड-19 के चलते लगे प्रतिबंधों को बीच जरूरी शर्तों का ध्यान रखते हुए दो देश आपस में इसे शुरू कर सकते हैं.

कोरोना संकट के कारण मार्च से ही देश में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक है, हालांकि वंदे भारत मिशन के तहत बाहर फंसे लोगों को वापस लाया जा रहा है. लेकिन इन एयर बबल वाले क्षेत्रों में बिना किसी रोकटोक की यात्रा की सुविधा होगी.

मालदीव को भारत देना 40 करोड़ डालर का कर्ज

भारत, मालदीव में महत्वपूर्ण सम्पर्क परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 40 करोड़ डालर की कर्ज सुविधा और 10 करोड़ डालर का अनुदान देगा . विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को मालदीव के अपने समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद से विविध विषयों पर व्यापक चर्चा के बाद यह बात कही .

अधिकारियों ने बताया कि 6.7 किलोमीटर की ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना (जीएमसीपी) मालदीव में सबसे बड़ी नागरिक आधारभूत परियोजना होगी जो माले को तीन पड़ोसी द्वीपों – विलिंगिली, गुल्हीफाहू और थिलाफूसी से जोड़ेगी .

जीएमसीपी की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि यह सत्तारूढ़ एमडीपी पार्टी का प्रमुख चुनावी वादा था जिसके लिये मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने पिछले वर्ष सितंबर में जयशंकर से बैठक के दौरान भारत की सहायता मांगी थी .

जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘ भारत ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना के क्रियान्वयन करने के लिये वित्त पोषण करेगा जो 40 करोड़ डालर की कर्ज सुविधा और 10 करोड़ डालर के अनुदान के जरिये होगा . यह 6.7 किलोमीटर की पुल परियोजना है जो माले को गुल्हीफाहू बंदरगाह और थिलाफूसी औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ेगा . इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी और बदलाव आयेगा . ’’

उन्होंने भारत और मालदीव के बीच नियमित कार्गो सेवा शुरू करने की भी घोषाा की ताकि दोनों देशों के बीच कारोबार और वाणिज्य को गति प्रदान की जा सके .

जीएमसीपी परियोजना में एक पुल और 6.7 किलोमीटर लंबे सम्पर्क मार्ग का निर्माण शामिल है.

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘ एक बार यह परियोजना पूरी होने पर चार द्वीपों में सम्पर्क सुगम हो सकेगा और इससे आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी, रोजगार सृजित होगा तथा माले क्षेत्र में सम्र्पू शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा . ’

भारत गुल्हीफाहू में बंदरगाह के निर्माण के लिये भी वित्तीय मदद प्रदान कर रहा है.

फेरी सेवा को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने इससे द्विपक्षीय कारोबार एवं सम्पर्क को बढ़ावा मिलने एवं दोनों देशों के बीच आर्थिक गठजोड़ मजबूत होने की बात कही . विदेश मंत्रालय ने कहा कि कोर्गो फेरी सेवा से समुद्री सम्पर्क को बढ़ावा मिलेगा . इससे परिचालन लागत कम होगी और कारोबारियों का समय बचेगा .

बातचीत के दौरान जयशंकर ने वर्ष 2020-21 में मालदीव को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के कोटे के नवीनीकरण के भारत के निर्णय की जानकारी दी. इसमें आलू प्याज, गेहूं, चीनी, दाल, अंडा आदि शामिल है .

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