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Friday, 15 November, 2024
होमदेशरोड-रेज मामले में मंत्री के ‘फैक्ट-चेक’ करने वाले बेंगलुरु के शीर्ष पुलिस अधिकारी का ट्रांसफर

रोड-रेज मामले में मंत्री के ‘फैक्ट-चेक’ करने वाले बेंगलुरु के शीर्ष पुलिस अधिकारी का ट्रांसफर

यह फैसला ऐसे समय आया है जब महीने भर पहले ही आईपीएस अधिकारी कमल पंत ने कथित रोड-रेज की एक घटना के पीछे सांप्रदायिक कारणों की अफवाह दूर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था, जिसमें एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी.

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नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने सोमवार को आईपीएस अधिकारी कमल पंत का बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त के पद से ‘तत्काल प्रभाव’ से ट्रांसफर कर दिया. यह फैसला ऐसे समय आया है जब महीने भर पहले ही आईपीएस अधिकारी कमल पंत ने कथित रोड-रेज की एक घटना के पीछे सांप्रदायिक कारणों की अफवाह दूर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था. हालांकि, राज्य सरकार ने इस कदम को ‘रुटीन ट्रांसफर’ बताया है.

कर्नाटक भाजपा के नेता उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने अप्रैल में हुई रोड-रेज की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, और राज्य में पार्टी के महासचिव सी.टी. रवि ने पंत पर इस मामले में ‘झूठ बोलने’ और ‘गुमराह करने’ का आरोप लगाया था. रवि ने दावा किया कि कथित पीड़ित चंद्रू को आरोपियों—जो मुस्लिम थे—ने चाकू से मारा था क्योंकि ‘वह उर्दू में बात नहीं कर सकता था.’

मामले की जांच बाद में बेंगलुरु पुलिस से लेकर राज्य पुलिस के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दी गई थी.

पंत अब पुलिस महानिदेशक (भर्ती) का कार्यभार संभालेंगे. दिप्रिंट को मिले राज्य सरकार के एक नोटिस के मुताबिक, उनकी जगह सी.एच. प्रताप रेड्डी बेंगलुरु के नए पुलिस आयुक्त होंगे, जो अभी अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी, कानून-व्यवस्था) थे.

इसके साथ ही चार अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी तबादले का नोटिस दिया गया है.

यद्यपि पंत के ट्रांसफर को पिछले माह की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है, कर्नाटक के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘इस ट्रांसफर ऑर्डर के पीछे कई और फैक्टर रहे हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘चंद्रू हत्याकांड पंत के तबादला का एक बड़ा कारण हो सकता है, लेकिन वह पहले से ही इस पद पर 22 महीने से सेवारत हैं. कई अन्य अधिकारियों की पदोन्नति की कोशिश भी हो रही थी, क्योंकि (पुलिस आयुक्त का) कार्यकाल एक वर्ष का होता है.’

कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को दिप्रिंट से कहा कि ‘यह एक रूटीन ट्रांसफर है और इसके पीछे किसी मकसद को जोड़कर नहीं देखा जा सकता क्योंकि वह पहले ही (बतौर आयुक्त) 22 महीने का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.’ साथ ही जोड़ा, ‘यह एक फेरबदल है जो हर साल समय-समय पर किया जाता है.’

‘उर्दू न जानने पर हिंदू दलित को चाकू मारा’

बेंगलुरु पुलिस के मुताबिक, 5 अप्रैल को 22 वर्षीय चंद्रू और उसके दोस्त साइमन राज की मोटर साइकिल शाहिद नामक एक अन्य वाहन सवार से टकरा गई.

इसके बाद तीखी नोकझोंक हुई, इस दौरान चंद्रू की जांघ में छुरा घोंप दिया गया. खून अत्यधिक बह जाने के कारण अंततः उसकी मौत हो गई.

पुलिस ने घटना के बाद शाहिद और उसके दो दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया. पुलिस के मुताबिक आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), बेंगलुरु पश्चिम डिवीजन डॉ. संजीव एम. पाटिल ने उस समय दिप्रिंट को बताया था कि ‘शाहिद एक स्थानीय निवासी था’ जिसने ‘चंद्रू की दाहिनी जांघ पर चाकू मारा था’ और दोनों एक-दूसरे को नहीं जानते थे. उन्होंने कहा था कि ‘शाहिद और उसके दो दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है.’

हालांकि, घटना के कुछ ही समय बाद एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा ‘उर्दू में न बोलने’ के कारण एक ‘हिंदू दलित व्यक्ति’ (चंद्रू) को चाकू मारने की खबरें सामने आने लगीं.

मीडिया के साथ बातचीत में शुरुआत में ज्ञानेंद्र ने इस नैरेटिव का समर्थन किया.

हालांकि, पंत ने कई ट्वीट करके इस तरह के आरोपों को खारिज किया और चंद्रू की पहचान ईसाई के रूप में की.

पंत के ट्वीट के एक घंटे के भीतर ही ज्ञानेंद्र ने अपने आरोप वापस ले लिए और ट्विटर पर आईपीएस अधिकारी के अकाउंट की बातों का समर्थन किया.

हालांकि, रवि अपनी बात पर अड़े रहे और उन्होंने पंत पर ‘(कर्नाटक) के गृह मंत्री पर दबाव डालने’ और घटना के बारे में ‘झूठ बोलने’ का आरोप लगाया, क्योंकि इससे सांप्रदायिक झड़पें हो सकती थीं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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