नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने कहा है कि उसने अपनी डिजिटल इकाई जियो प्लेटफार्म्स में 6,441.3 करोड़ रुपये में 1.32 प्रतिशत हिस्सेदारी टीपीजी और एल कैटरटॉन को बेची है. इस निवेश को मिलाकर जियो प्लेटफार्म्स ने हिस्सेदारी बिक्री से अब तक कुल 1,04,326.9 करोड़ रुपये जुटा लिये हैं.
जियो प्लेटफार्म्स में 22 अप्रैल के बाद से अब तक दुनिया भर से कई जानी मानी प्रौद्योगिकी क्षेत्र की निवेश कंपनियां निवेश कर चुकी हैं. सबसे पहले फेसबुक ने जियो प्लेटफार्म्स में करीब 10 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी. उसके बाद सिल्वर लेक, विस्टा इक्विटी पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक, केकेआर, मुबाडला, अबुधाबी निवेश प्राधिकरण, टीपीजी और अब एल कैटरटॉन ने हिस्सेदारी खरीदी है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आज (शनिवार) 0.93 प्रतिशत हिस्सेदारी वैश्विक वैकल्पिक संपत्ति फर्म टीपीजी को 4,546.80 करोड़ रुपये में बेचने की घोषणा की. शनिवार शाम को जारी वक्तव्य में यह जानकारी दी गई उसके कुछ ही देर बाद एक अलग वक्तव्य में कंपनी ने कहा कि एल कैटरटॉन भी जियो प्लेटफार्म्स में 1,894.50 करोड़ रुपये में 0.39 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी.
वर्ष 1989 में स्थपित एल कैटरटॉन उपभोक्ता केन्द्रीत निजी इक्विटी फर्म है. दुनियाभर में वह उपभोक्ता केन्द्रित ब्रांड में निवेश करती है.
बहरहाल, इस निवेश को मिलाकर रिलायंस इंडस्ट्रीज अपनी डिजिटल इकाई जियो प्लेटफार्म्स में कुल मिलाकर 22.3 प्रतिशत इक्विटी बेच चुकी है. इसके बाद कंपनी संभवत्त: प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) भी बाजार में लायेगी.
सबसे पहले फेसबुक ने 22 अप्रैल को जियो प्लेटफार्म्स में 43,574 करोड़ रुपये में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी. इस सौदे के कुछ दिनों बाद दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी निवेशक कंपनी सिल्वर लेक ने जियो प्लेटफार्म्स में 5,665.75 करोड़ रुपये में 1.15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी.
इसके बाद अमेरिका स्थित विस्टा इक्विटी पार्टनर्स ने आठ मई को जियो प्लेटफार्म्स में 11,367 करोड़ रुपये में 2.32 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी. वैश्विक इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक ने 17 मई को कंपनी में 6,598.38 करोड़ रुपये में 1.34 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की. इसके बाद अमेरिकी इक्विटी निवेशक केकेआर ने 11,367 करोड़ रुपये में 2.32 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी.
पांच जून को अबु धाबी के सावरेन संपत्ति कोष मुबाडला और निजी निवेश कंपनी सिल्वर लेक ने भी निवेश किया था. मुबाडला ने जियो प्लेटफॉर्म्स की 1.85 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिये 9,093.60 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि सिल्वरलेक ने जियो प्लेटफॉर्म्स में 0.93 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिये 4,546.80 करोड़ रुपये का और नया निवेश किया. इससे जियो प्लेटफॉर्म्स में सिल्वर लेक द्वारा कुल निवेश 10,202.55 करोड़ रुपये और कुल हिस्सेदारी 2.08 प्रतिशत हो गयी.
अबु धाबी निवेश प्राधिकरण (एआईडीए) ने भी जियो प्लेटफॉर्म्स में 1.16 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 5,683.50 करोड़ रुपये का निवेश किया.
टीपीजी एक प्रमुख वैश्विक वैकल्पिक परिसंपत्ति कंपनी है, जिसकी स्थापना 1992 में 79 अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियों के प्रबंधन के साथ हुई थी. जिसमें निजी इक्विटी, ग्रोथ इक्विटी, रियल एस्टेट और पब्लिक इक्विटी शामिल हैं.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, ‘आज एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में टीपीजी का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है. यह एक डिजिटल पारिस्थितिकी के माध्यम से भारतीयों के जीवन को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के हमारे निरंतर प्रयासों के हमसफर होंगे. हम टीपीजी के वैश्विक प्रौद्योगिकी व्यवसायों में निवेश के ट्रैक रिकॉर्ड से प्रभावित हैं, जो सैकड़ों करोड़ उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायों के साथ काम करते हैं, और बेहतर समाज बना रहे हैं.’
टीपीजी के सह मुख्य कार्यकारी अधिकारी (को-सीईओ) जिम कोल्टर ने कहा, ‘हम जियो में निवेश के लिए रिलायंस के साथ भागीदारी करके उत्साहित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि जियो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बदल रही है.’
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी जियो प्लेटफार्म्स एक प्रौद्योगिकी कंपनी है. रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड, जिसके पास 38.8 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं, वह जियो प्लेटफार्म्स की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बनी रहेगी.
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भारत के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी (63) ने अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को मार्च 2021 से पहले कर्जमुक्त बनाने का पिछले साल अगस्त में लक्ष्य तय किया था. जियो प्लेटफॉर्म्स में निवेश के इन सौदों तथा 53,125 करोड़ रुपये के राइट इश्यू के कारण अंबानी का लक्ष्य समय से काफी पहले ही पूरा होता दिख रहा है. ऐसा अनुमान है कि इस साल दिसंबर तक रिलायंस इंडस्ट्रीज कर्जमुक्त हो जायेगी.
मार्च तिमाही के अंत तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के ऊपर 3,36,294 करोड़ रुपये के बकाये थे, जबकि उसके पास 1,75,259 करोड़ रुपये की नकदी मौजूद थी. इस तरह कंपनी का शुद्ध उधार 1,61,035 करोड़ रुपये हुआ.