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Friday, 29 March, 2024
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प्राइवेट एयरलाइन्स को फायदा पहुंचाने के लिए जेट की दी जा रही है बलि

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि 24 अप्रैल को भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस विषय में प्रधानमंत्री को एक खत लिखा था. इसमें उन्होंने सरकार के बड़े मंत्रियों के हाथ होने की बात बताई है.

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नई दिल्ली: जेट एयरवेज के कर्मचारी मंगलवार को सड़कों पर उतर आए. उन्होंने राजीव गांधी भवन के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी की. उनकी मांग है कि केंद्र सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए. अगर इसके बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी जाती है, तो सभी कर्मचारी बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे. कर्मचारियों को फरवरी माह के बाद से वेतन नहीं मिला है.

जेट एयरवेज के कर्मचारी चंदन ने आरोप लगाते हुए कहा कि दूसरी प्रायवेट एयरलाइन के मालिक और अधिकारियों की नागरिक उड्डयन मंत्रालय में साठगांठ है. इसके चलते उन्हें फायदा पहुंचाया जा रहा है. जेट एयरवेट को बेमौत मारा जा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि 24 अप्रैल को भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस विषय में प्रधानमंत्री को एक खत लिखा था. इसमें उन्होंने सरकार के बड़े मंत्रियों के हाथ होने की बात बताई है. उनका कहना है कि जेट के सारे जहाज जमीन पर हैं और डिरजिस्टर होकर अन्य प्रायवेट एयर लाइन में जा रहे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कुछ अन्य प्रायवेट एयर लाइन भी कुछ दिनों के लिए बंद थे. लेकिन बाद में वे चलने लगी. जेट एक महीने से बंद है और उसके साथ इतनी देरी क्यों हो रही है. यह भी दूसरों की तरह ही एक प्राइवेट एयर लाइन है. हर वर्ष एयर इंडिया की मदद की जाती है. जब उनकी मदद होती है. तो जेट के 22 हजार कर्मचारियों की मदद सरकार द्वारा क्यों नहीं की जा रही. कर्मचारियों ने बताया कि 17 मार्च को जेट की आख़िरी फ्लाइट ने उड़ान भरी थी. हमें पहले चुनाव आचार संहिता का हवाला दिया था. अब सरकार को आगे आकर इस मामले में जरूरी कदम उठाने चाहिए .

जेट के कर्मचारियों ने दिप्रिंट हिंदी से चर्चा में कहा कि मैनेजमेंट ने एयरलाइन के बंद से पहले कहा था कि ये अस्थायी बंद है. एसबीआई (स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया) ने कहा था कि 1500 करोड़ रूपए देकर इसे फिर से शुरु कर देंगे. अब एसबीआई ने पैसा नहीं दिया. एसबीआई ने हमारे चेयरमैन को हटाने के बाद यह बोला था कि हम आपको नया चेयरमैन देंगे. आंतरिक फंडिग देंगे. अब यह ऐसा क्यों कर रही है. कर्मचारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इसके पीछे राजनीतिक एजेंडा चल रहा है.

अब तो घरों के किराए देने के पैसे भी नहीं हैं

प्रदर्शनकारी कर्माचारियों का कहना है कि जेट में 22,000 डायरेक्ट कर्मचारी है. अप्रत्यक्ष तौर पर काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या एक लाख़ से ज़्यादा है. चाहे निजी क्षेत्र के कर्मचारी हो या सरकारी, टैक्स तो सभी भरते है. जब सरकारी एयरलाइन की मदद की जा सकती है, तो प्रायवेट कंपनी की क्यों नहीं की जा सकती है. हमारे पास अब घरों के किराए देने तक के पैसे नहीं है. रोजमर्रा की चींजे भी जैसे दूध भी दो रूपए महंगा हो गया है. हम करे तो करे क्या. महिलाकर्मियों का कहना है कि उनका परिवार उन पर आश्रित है और वैसे तो मोदी सरकार बेटी बचाओ का नारा देती है, लेकिन बेटियों को सड़क पर ला दिया.

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‘डार्विन प्लेटफॉर्म ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ की जेट में रुचि’

न्यूज़ एजेंसी एएनएआई के मुताबिक डार्विन प्लेटफॉर्म ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ ने हाल ही में जेट एयरवेज़ में हिस्सेदारी को लेकर रुचि दिखाई थी. उन्होंने 14,000 कोरड़ के निवेश का सोचा है और इसी के साथ भारतीय उड्डयन क्षेत्र में आने को तैयार है. इसके चेयरमैन अजय परिनाथ सिंह ने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता एयरलाइन और उसके हज़ारों ऐसे कर्मचारियों को बचाना है. जिनके पास नौकरी नहीं है जिसकी वजह से वो दर्द से गुज़र रहे हैं.’ वो आगे कहते हैं कि उन्हें जेट एयरवेज़ के कर्मचारियों और उनके परिवार को देखकर दुख़ होता है. लेकिन उन्हें भरोसा है कि जल्द ही जेट फिर से हवा में होगा.

वहीं, उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि जेट एयरवेज़ के बंद होने की वजह से जो जगह ख़ाली हुई है उसके लिए सरकारी कैरियर एयर इंडिया को प्राथमिकता दी जाएगी. एएनआई के सुत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने पहले ही विदेशी उड़ानों से जुड़ी कुछ ख़ाली जगहें एयर इंडिया को दे दी है. आपको बता दें कि कर्ज़ में डूबे जेट एयरबेज़ ने पिछले महीने यानी अप्रैल में अपनी उड़ाने बंद कर दी थीं और दिप्रिंट के पास मौजूद पिछली जानकारी के मुताबिक इसके 119 में से 85 विमानों को डिरजिस्टर किया जा चुका है.

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