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Saturday, 21 December, 2024
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बेरोजगारी से तंग आकर खोली चाय की दुकान, पटना की ये ‘चायवाली’ क्यों कह रही है कि ‘पीना ही पड़ेगा’

पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर चाय बेचने की शुरुआत करने वाली प्रियंका गुप्ता का कहना है कि जब देश में इतने सारे चायवाला हैं तो क्यों कोई चायवाली नहीं हो सकती.

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नई दिल्ली: बीते कुछ दिनों से बिहार से दो ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जो पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. लेकिन दोनों ही तस्वीरों में एक समानता है- बेरोज़गारी से जूझती युवा आबादी.

पटना के गंगा घाट पर हज़ारों की संख्या में रेलवे-एसएससी की परीक्षा के लिए पढ़ाई कर रहे छात्रों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरती रही वहीं दूसरी तरफ पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर एक ग्रेजुएट छात्रा प्रियंका गुप्ता ने जब चाय का खोंमचा खोला, तो उसकी भी काफी चर्चा हो रही है.

पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर चाय बेचने की शुरुआत करने वाली प्रियंका गुप्ता का कहना है कि जब देश में इतने सारे चायवाला हैं तो क्यों कोई चायवाली नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा, ‘मैंने 2019 में अपना स्नातक किया लेकिन बीते 2 सालों में कोई नौकरी नहीं मिल पाई. जिसके बाद कुछ अलग कर आत्मनिर्भर होने की बात सोची.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे ऊपर से अब बेरोजगार का टैग हट गया है. अब खुद से रोजगार पाने वाले का टैग लग गया है.’

गुप्ता ने वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया है. वो बिहार के पूर्णिया की रहने वाली हैं.


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‘पीना ही पड़ेगा’

हालांकि गुप्ता ने जिस अंदाज में अपनी चाय की दुकान की शुरुआत बीते हफ्ते की है, वो सभी का ध्यान खींच रही हैं.

गुप्ता ने पोस्टर में लिखा है- ‘लोग क्या सोचेंगे अगर ये भी हम ही सोचेंगे तो फिर लोग क्या सोचेंगे ‘. वहीं पोस्टर में उन्होंने अपने इस कदम को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में एक पहल बताया है.

ग्राहकों का ध्यान खींचने के लिए उनका टैगलाइन है- पीना ही पड़ेगा. वहीं वो कहती हैं कि सोच मत…चालू कर दे बस.

गुप्ता पहली ऐसी पढ़ी-लिखी छात्र या छात्रा नहीं है जिन्होंने चाय की दुकान खोली है. इससे पहले भी कई एमबीए, इंजीनियर देश में चाय की दुकान चला रहे हैं और काफी प्रसिद्ध हैं.


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प्रफुल्ल बिल्लोरे से मिली प्रेरणा

चायवाली नाम से चाय की दुकान चलाने वाली प्रियंका गुप्ता का कहना है कि उनको प्रफुल्ल बिल्लोरे से ऐसा करने की प्रेरणा मिली है.

बता दें कि करीब 25 वर्षीय प्रफुल्ल बिल्लोरे एमबीए चायवाला के नाम से काफी प्रसिद्ध हैं और वे अब बड़े कारोबारी बन चुके हैं.

फिलहाल गुप्ता चार तरह की चाय बेचती हैं जिसकी कीमत 10 रुपए से लेकर 20 रुपए तक के बीच है. उनके खोंमते में कुल्हड़ चाय, मसाला चाय, पान चाय, चॉकलेट चाय और कुकीज मिलता है.

उनकी दुकान में ज्यादातर चाय पीने वालों में पटना वीमेंस कॉलेज की ही छात्राएं हैं.


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कैसे हुई शुरुआत

एक रिपोर्ट के अनुसार प्रियंका गुप्ता ने जब प्रफुल्ल बिल्लोरे की एक वीडियो देखी तो उससे वो काफी प्रेरित हुई जिसके बाद उन्होंने पटना में चाय की दुकान खोलने का विचार किया.

रिपोर्ट के अनुसार बीते कुछ महीनों पहले जब वो पूर्णिया से पटना आई थीं जिसके बाद उन्होंने राजधानी के कई इलाकों में जाकर समझने की कोशिश की कि चाय की दुकान आखिर कैसे चलाई जाती है.

गौरतलब है कि बिहार में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है जिसका सामना प्रियंका गुप्ता भी कर रही हैं. उन्होंने चाय की दुकान खोलने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा लोन लेने की भी कोशिश की लेकिन बैंक ने उनके इस व्यापार में दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके बाद उन्हें अपने दोस्त से उधार लेकर इसे शुरू करना पड़ा.

प्रियंका के अनुसार करीब 12,500 रुपए में उन्होंने चाय का ठेला और अन्य सामान की खरीद की और फिर 11 अप्रैल से पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर इसकी शुरुआत कर दी.


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‘प्रेरक या बेरोजगारी की भयानक स्थिति’

सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग इसे प्रेरणा देने वाला बता रहे हैं तो कुछ इसे देश की बेरोजगारी की भयानक स्थिति से जोड़कर देख रहे हैं.

प्रियंका गुप्ता ने जिन प्रफुल्ल बिल्लोरे से प्रेरणा ली है, उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘आइए भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाएं.’ प्रफुल्ल ने ट्विटर पर लोगों से मदद मांगी है कि कोई उनका संपर्क प्रियंका गुप्ता से करा दें.

स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘सलाम, इस चायवाली के जज्बे को!’

फिल्म गीतकार आनंद बक्शी के बेटे और लेखक राकेश आनंद बक्शी ने ट्वीट कर कहा, ‘आपको हिम्मत मिले प्रियंका. अपनी आर्थिक सुरक्षा की खुद जिम्मेदारी ली.’

वहीं नाज़िश इकबाल नाम के एक ट्विटर यूज़र ने कहा कि इसमें गर्व करने जैसी कोई बात नहीं है बल्कि ये डबल इंजन सरकार की विफलता को दिखाती है.


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