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Thursday, 25 April, 2024
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‘चारधाम में गैर-हिंदू के प्रवेश पर रोक लगाएं’ हरिद्वार धर्म संसद में बोलने वाले संत ने धामी को लिखा पत्र

पिछले साल हरिद्वार की धर्म संसद में बोलने वाले एक मुख्य प्रवक्ता, स्वामी आनंद स्वरूप का कहना है कि ग़ैर-हिंदू उनके धर्म स्थलों पर हमला कर सकते हैं. CM ने कहा कि ‘साधुओं’ के विचारों का आदर किया जाएगा.

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देहरादून: हरिद्वार स्थित एक हिंदू संत और पिछले साल दिसंबर में मंदिरों के शहर में हुई विवादास्पद धर्म संसद में बोलने वाले एक मुख्य प्रवक्ता, स्वामी आनंद स्वरूप ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि चार धाम धर्म स्थलों – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में ग़ैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए.

ये हरिद्वार की धर्म संसद ही थी, जहां कुछ संतों ने हिंदुओं से हथियार उठाने का आह्वान किया था, ताकि 2029 में कोई मुसलमान प्रधानमंत्री न बन सके. उत्तर प्रदेश के संत यति नरसिंहानंद सरस्वती उन लोगों में थे, जिन पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया था.

स्वरूप ने अब उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की है कि एक सरकारी आदेश जारी करके ग़ैर-हिंदुओं के इन धर्म स्थलों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाए. उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में धार्मिक जुलूसों के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं से ज़ाहिर होता है कि चार धाम तीर्थयात्रा को उन लोगों से प्रतिबंधित रखा जाए जो ‘हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखते’.

संत का दावा है कि उत्तराखंड सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है, कि उनकी चिंताओं के समाधान के लिए उपयुक्त क़दम उठाए जाएंगे, हालांकि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अभी इस आशय का कोई बयान जारी नहीं किया है. लेकिन, रविवार को एक बयान में धामी ने कहा, कि संतों के विचारों का हर संभव तरीक़े से सम्मान किया जाएगा.


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‘हमारे तीर्थ स्थानों और मंदिरों को वास्तव में ख़तरा’

शंकराचार्य परिषद के प्रमुख संत और हरिद्वार स्थित काली सेना के संस्थापक स्वरूप ने, दिप्रिंट के साथ बातचीत में इस पर रोशनी डाली कि उनके विचार में ग़ैर-हिंदुओं के इन तीर्थ केंद्रों पर आने में किस तरह से समस्या है.

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उन्होंने कहा, ‘क्या होगा अगर खच्चर चलाने वालों, या व्यापारियों के भेस में ‘अविश्वासी’ लोग चार धाम तीर्थ स्थलों पर हमला कर दें? देश के दूसरे हिस्सों में राम नवमी और हनुमान जयंती के दौरान हिंदू जुलूसों पर हुए हमलों को देखते हुए, हमारे तीर्थ स्थानों और मंदिरों को ख़तरा वास्तविक हो जाता है’.

‘चार धाम तीर्थ स्थल हिंदुओं के लिए पवित्र स्थान हैं. इन तीर्थ स्थानों पर ग़ैर-हिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी होनी चाहिए, जैसे कि दुनिया भर के 700 धार्मिक स्थलों पर दूसरे धर्मों के लोगों के आने की मनाही है.’

स्वरूप ने आगे कहा, ‘हम स्वयं अपने आप में क़ानून नहीं बन सकते, लेकिन भारत का संविधान हमें अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करने का अधिकार देता है. शंकराचार्य परिषद ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है, कि एक आदेश जारी करके चार धाम तीर्थ स्थलों के क्षेत्र में, ग़ैर-हिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी जाए’.

उन्होंने आगे कहा, ‘सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी आश्वासन दिया है, कि वो इस दिशा में उपयुक्त क़दम उठाएंगे. लेकिन, अगर सरकार इसमें विफल रहती है, तो काली सेना और दूसरे हिंदू संगठन हरिद्वार में सड़कों पर उतर आएंगे’.


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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मांग का समर्थन किया

हिंदू संतों की मुख्य इकाई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, जो कि कुंभ मेले का भी आयोजन करता है, उसके प्रमुख रवींद्र पुरी ने भी शंकराचार्य परिषद की ओर से उठाई गई मांग का समर्थन किया है.

पुरी ने कहा, ‘जिस तरह से हिंदू जुलूसों और रैलियों पर देश के अलग अलग हिस्सों में हमले किए जा रहे हैं, एक दिन चार धाम तीर्थ स्थल भी चपेट में आ सकते हैं. ग़ैर-हिंदुओं को वहां दाख़िल होने से रोकना होगा’.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महासचिव हरि गिरि महाराज ने आगे कहा, कि राज्य सरकार को ‘चार धाम तीर्थ स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए एक कार्य योजना तैयार करनी होगी, चूंकि ग़ैर-हिंदुओं के मन में हमारे धार्मिक स्थलों के लिए बिल्कुल भी सम्मान नहीं है’.

उन्होंने कहा, ‘वो लोग भोजन, शराब, आमोद-प्रमोद, तथा दूसरी अनैतिक गतिविधियों में शरीक होते हैं. सरकार को जल्द ही कार्रवाई करनी होगी, और हमारे धार्मिक स्थलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की रक्षा के लिए कोई रास्ता निकालना होगा, जहां दूसरे धर्मों के लोग युवा कन्याओं और महिलाओं को निशाना बनाते हैं’.

‘संतों के विचारों का सम्मान होगा’

रविवार को जारी अपने बयान में धामी ने कहा कि हिंदू संतों के विचारों का हर संभव तरीक़े से सम्मान किया जाएगा, हालांकि उन्होंने इस सिलसिले में कोई शिकायत प्राप्त करने से इनकार किया.

उन्होंने कहा, ‘अभी तक, मुझे कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. लेकिन, तीर्थ यात्रियों और तीर्थ स्थलों के कल्याण के लिए, हमारी सरकार जो संभव होगा वो सब करेगी’.

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘संत समुदाय की इच्छाओं को शांत करने, और उन्हें पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. दो साल के अंतराल के बाद उत्तराखंड आने वाले तीर्थ यात्रियों को, हर संभव सहायता और आराम दिया जाएगा’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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