नई दिल्ली: पंजाब के मोगा जिले के रोड़े गांव में दुबई से यहां पहुंचा सफेद कुर्ता पजामा पहने और बगल में कृपाण रखे बड़ी नीली पगड़ी पहनने वाले अमृतपाल की शक्ल हूबहू 90 के दशक में खालिस्तान की मांग करने वाले जरनैल सिंह भिंडरावाले से मिलती है, जिसका ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के दौरान हुआ हश्र आज भी लोगों के ज़ेहन में ज़िंदा है.
पिछले साल तक अमृतपाल सिंह लोगों के लिए एक अंजान चेहरा था, जिसे दिवंगत एक्टिविस्ट दीप सिद्धू द्वारा स्थापित (जिसकी अब मौत हो गई) एक संगठन, ‘वारिस पंजाब दे’ (डब्ल्यूपीडी) का प्रमुख नियुक्त किया गया और उसने दस्तरबंदी के बाद पहला भाषण खालिस्तान की मांग के समर्थन में दिया, जिससे वे युवाओं में लोकप्रिय होने लगा और सुर्खियां बटोरने लगा.
अमृतपाल ने इसकी वेबसाईट बनाई और लोगों को इससे जोड़ने लगा. उसके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) नामक मिलिशिया ग्रुप बना रहा था.
तकरीबन आठ महीने तक चले चूहे बिल्ली के खेल के बाद पुलिस ने आखिरकार रविवार को अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया. अमृतपाल लगातार पुलिस से फरार चल रहा था. हालांकि, उसके ऊपर ‘‘भारत की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को कायम रखने के प्रति प्रतिकूल’’ गतिविधियों की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (नेशनल सेक्यूरिटी एक्ट-एनएसए) भी लगाया गया था और आज उसी के तहत उसे गिरफ्तार भी किया गया.
पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी की पुष्टि की. वहीं उन्होंने ट्वीट कर लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की और कोई भी फर्जी खबर साझा न करने का आग्रह किया.
भड़काऊ टिप्पणी से लेकर गिरफ्तारी तक
पिछले साल 17 अक्टूबर को अमृतपाल की ईसा मसीह के बारे में टिप्पणी के विरोध में ईसाई समुदाय के सदस्यों ने जालंधर की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. एक धार्मिक समारोह में बोलते हुए, उसने कथित तौर पर कहा: “ईसाइयों के भगवान खुद को नहीं बचा सके.” उसने लोगों से ईसाई धर्म का प्रचार करने वाले पादरियों को अपने गांवों में प्रवेश नहीं देने को भी कहा था.
पंजाब क्रिश्चियन मूवमेंट के अध्यक्ष हामिद मसीह ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश के आधार पर अमृतपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी.
अमृतपाल 2012 से ही दुबई में रह रहा था और ट्रांसपोर्ट का कारोबार कर रहा था. उसका नाम पिछले साल शिवसेना के एक नेता सुधीर सूरी हत्याकांड में भी सामने आया था, 4 नवंबर को हुई इस हत्या के बाद पुलिस को एक कार मिली जो कथित रूप से आरोपियों की थी और जिस पर अमृतपाल की रैली का पोस्टर लगा हुआ था. पु
लिस ने कहा था, गिरफ्तार हमलावर कथित तौर पर अमृतपाल से मिला था और उसके समागमों में शामिल हुआ था. यहां तक कि पीड़ित परिवार ने अमृतपाल पर आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. हालांकि पुलिस ने उससे पूछताछ नहीं की.
कुछ दिनों बाद, पुलिस ने जालंधर में अमृतपाल और सूरी के समर्थकों के बीच झड़प की संभावना को कम करने के लिए मोगा के पास सिंघावाला गांव में उसे नजरबंद कर दिया.
9 दिसंबर को, अमृतपाल के आदमियों ने कपूरथला जिले के एक गुरुद्वारे के गर्भगृह से फर्नीचर हटा दिया और यह कहते हुए आग लगा दी कि गुरु ग्रंथ साहिब (सिखों द्वारा एक जीवित गुरु माना जाता है) की उपस्थिति में संगत (मंडली) के किसी भी सदस्य को एक ऊंचे आसन या मंच पर बैठने की अनुमति नहीं है.
13 दिसंबर को उसने इसी कारण का हवाला देते हुए जालंधर के मॉडल टाउन में गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में कुर्सियों और बेंचों को हटा दिया और उनमें आग लगा दी.
18 दिसंबर को अमृतपाल और उनके समर्थकों ने शहीद भगत सिंह नगर जिले के एक गुरुद्वारे में मेमोरियल स्ट्रक्चर (मढ़ी) को नष्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि गुरुद्वारे में किसी व्यक्ति द्वारा अपने पूर्वजों की याद में ढांचा खड़ा करने के लिए कोई जगह नहीं है.
अमृतपाल सिंह के खिलाफ पहली एफआईआर 16 फरवरी को चमकौर साहिब के निवासी वरिंदर सिंह की शिकायत पर अजनाला में दर्ज की गई थी, जिन्होंने दावा किया था कि कट्टरपंथी अमृतपाल और उनके लोगों के खिलाफ बोलने की वजह से उसके लोगों ने उनका अपहरण कर लिया था और उन पर हमला किया था.
इस मामले में अमृतपाल के अलावा अन्य 25 समर्थकों पर भी मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने हालांकि, अमृतपाल को गिरफ्तार नहीं किया था, लेकिन करीबी सहयोगी लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की थी.
इस पर, अमृतपाल का कहना था कि उसके एक सहयोगी लवप्रीत तूफान को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और उसे परेशान कर रही है. अमृतपाल ने पुलिस से सहयोगी का नाम एफआईआर से नहीं हटाने पर घेराव की धमकी दी थी.
23 फरवरी को अमृतपाल और उनके सैकड़ों समर्थकों ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब, तलवारें और अन्य हथियार लेकर अजनाला पुलिस स्टेशन का घेराव किया. उन्होंने पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिकेड्स को तोड़ दिया.
पुलिस थाने में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने परिसर में धरना शुरू कर दिया था. समर्थक इस बात का लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद ही पुलिस स्टेशन से गए कि तूफान को रिहा कर दिया जाएगा और अमृतपाल व उनके आदमियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर की समीक्षा की जाएगी. इस दौरान छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.
तूफान को अगले दिन जेल से रिहा कर दिया गया और अमृतपाल ने अपने गांव में “विजय जुलूस” का नेतृत्व किया.
21 फरवरी को मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान अमृतपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यह कहते हुए धमकी दी कि उनका हश्र भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह होगा.
इस साल 18 मार्च से पुलिस द्वारा पंजाब में काम कर रहे कट्टरपंथी सिख तत्वों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू करने के बाद से उससे सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
अमृतपाल लगातार फरार है और हाल ही में पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा था– पहली बार 18 मार्च को जालंधर जिले में वाहनों को बदलकर और फिर 28 मार्च को होशियारपुर में जब वह अपने प्रमुख सहयोगी पपलप्रीत सिंह के साथ पंजाब लौटा था.
इस दौरान कई बार उसके आत्मसमर्पण और गिरफ्तार किए जाने की अटकलें सामने आने लगीं थीं. भारत सरकार ने पड़ोसी देशों के जरिए उसके देश से भागने की संभावनाओं को देखते हुए बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी थी.
इस बीच, हरियाणा पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया था, जिसने कथित तौर पर कट्टर अलगाववादी सिंह और उसके सहयोगी पपलप्रीत सिंह को कुरुक्षेत्र जिले में अपने घर में शरण दी थी. इसके बाद, पुलिस ने अमृतपाल के सलाहकार माने जाने वाले और कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में रहे पपलप्रीत को गिरफ्तार किया था.
इस कार्रवाई के मद्देनज़र समूचे पंजाब में इंटरनेट सेवाएं पिछले सप्ताह से निलंबित की गई थीं.
गिरफ्तारी की अटकलों के बीच 30 मार्च को उसके दो वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर सामने आए थे, जिसमें उसने जोर देकर कहा कि वे भगोड़ा नहीं है और जल्द ही पेश होगा. खालिस्तान समर्थक उपदेशक ने दावा किया था कि वह उन लोगों की तरह नहीं है जो देश छोड़कर भाग जाएंगे.
सिंह ने वीडियो में आगे कहा, “मेरी पंजाब के लोगों से गुजारिश है कि अगर आपको पंजाब की कौम को बचाना है तो हमें सरबत खालसा के साथ होना होगा. जहां तक गिरफ्तारी की बात है मेरा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता क्योंकि मेरे ऊपर सच्चे बादशाह का हाथ है.”
अमृतपाल ने देश विदेश में बैठे अपने समर्थकों से अपील की थी वे लोग बैसाखी पर इकट्ठा हों और चर्चा से जुड़ें.
अमृतपाल ने लोगों से गुजारिश करते हुए कहा, “मैं देश विदेश में बैठे अपने सभी सिख भाइयों और संगतों से अपील करता हूं कि वो बढ़-चढ़ कर संवत खालसा वैसाखी में हिस्सा लें और वहां हमारी कौम के मसलों के बारे में चर्चा हो.”
इस बीच कई बार विदेशों में भी अमृतपाल के समर्थन में नारे लगाए गए हैं और ब्रिटेन में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन किए गए. इस दौरान भारतीय पत्रकार से मारपीट का मामला भी सामने आया था.
ऑनलाइन शेयर की गई वीडियो में लकड़ी के डंडों पर लगे खालिस्तान के झंडे लहराते हुए विशाल भीड़ को वाणिज्य दूतावास भवन के कांच के दरवाजों और खिड़कियों को तोड़ने के लिए इस्तेमाल करते हुए देखा गया था. भीड़ खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए शहर की पुलिस द्वारा बनाए गए अस्थाई सुरक्षा अवरोधों को तोड़ते हुए परिसर के अंदर दाखिल हुई और दो खालिस्तानी झंडे लगा दिए.
उसकी पत्नी किरणदीप कौर को गुरुवार को अमृतसर हवाईअड्डे पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने उस समय रोक लिया जब वह लंदन जाने वाली एक उड़ान में सवार होने की कोशिश कर रही थी. अमृतपाल ने इसी साल फरवरी में ब्रिटेन में रहने वाली कौर से शादी की थी.
आईजी सुखचैन सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कैसे इंटेलीजेंस इनपुट्स के बाद पूरी तैयारी के साथ पुलिस ने पूरे रोड़ेवाल गुरुद्वारे को घेरा.
आईजी सुखचैन सिंह ने कहा, “अमृतपाल की पंजाब पुलिस के पास पुख्ता सूचना थी. इसके बाद पंजाब पुलिस में रोड़े गांव को पूरी तरह से घेर लिया था. अमृतपाल के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था. आखिर में वह गुरुद्वारे के बाहर आ गया जहां से पंजाब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया गया.”
यह पूछे जाने पर कि क्या अमृतपाल ने सरेंडर किया है? आईजी ने कहा, “नहीं पंजाब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है”.
आईजी ने यह भी बताया कि खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है. उसके चाचा और सहयोगी पप्पलप्रीत पहले से ही असम की जेल में बंद हैं.
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