नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को चांदनी चौक इलाके में अनधिकृत निर्माण को गिराने पर रोक लगाने से संबंधित उच्च न्यायालय और एमसीडी अधिकरण के सभी आदेशों को 31 दिसंबर से रद्द करने का फैसला किया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कोई भी पीड़ित पक्ष शीर्ष अदालत का रुख कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘अपीलीय अधिकरण दिल्ली नगर निगम और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए सभी स्थगन आदेश 31 दिसंबर 2025 से निष्प्रभावी हो जाएंगे।’’
उच्चतम न्यायालय ने एमसीडी अधिकारियों से अनधिकृत निर्माण को गिराने और हटाने के अपने आदेशों पर कार्रवाई करने को कहा और स्पष्ट किया कि अगर स्थगन आदेश के संबंध में किसी की कोई शिकायत है, तो वे 31 दिसंबर से पहले उसके पास आ सकते हैं।
साथ ही दिल्ली पुलिस आयुक्त को अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए नगर निगम को आवश्यक सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया गया।
यह सूचित किए जाने के बाद कि अपीलीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी का पद काफी समय से रिक्त है, पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को इस पर विचार करने को कहा।
शीर्ष अदालत का यह आदेश एमसीडी के वकील द्वारा यह बताए जाने के बाद आया कि अधिकरण और उच्च न्यायालय द्वारा बड़ी संख्या में स्थगन आदेश दिए गए हैं।
मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
पीठ ने स्पष्ट किया कि वह केवल चांदनी चौक क्षेत्र में उपयोगकर्ता के अनधिकृत बदलाव या आवासीय संपत्तियों को गैर-आवासीय उद्देश्यों में परिवर्तित करने के पहलू पर विचार कर रही है।
उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई को अदालत के आदेश के बावजूद चांदनी चौक क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण पर नाखुशी जताई और दिल्ली पुलिस को ‘‘एक ईंट भी जोड़ने वालों’’ को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही, जिसने दावा किया है कि नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से इलाके में अवैध निर्माण जारी है।
भाषा शफीक सुभाष
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