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रविवार, 20 अप्रैल, 2025
होमदेशभाषा परामर्श समिति ने मुख्यमंत्री से महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर निर्णय वापस लेने का आग्रह किया

भाषा परामर्श समिति ने मुख्यमंत्री से महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर निर्णय वापस लेने का आग्रह किया

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पुणे, 20 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र सरकार की भाषा परामर्श समिति ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पहली कक्षा से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले को वापस लेने का रविवार को आग्रह किया।

राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तीन-भाषा फॉर्मूला लागू करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार, सरकार ने अंग्रेजी और मराठी-माध्यम स्कूलों में पहली कक्षा से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य बना दिया है।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में समिति के प्रमुख लक्ष्मीकांत देशमुख ने दावा किया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने हिंदी को बढ़ावा देने से पहले उनके विचारों और सुझावों पर विचार नहीं किया।

पत्र में कहा गया है कि सरकार ने भाषा संबंधी मामलों पर सलाह देने के लिए भाषा परामर्श समिति गठित की है, लेकिन एससीईआरटी ने इस समिति के सुझावों पर विचार नहीं किया।

पत्र में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किसी भी भाषा को अनिवार्य नहीं बनाया गया है। इसके विपरीत, एनईपी में कहा गया है कि शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए। इसलिए, हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाना सही नहीं है।’’

पत्र में कहा गया है कि शिक्षा के किसी भी स्तर पर हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। इसके बजाय, हिंदी का यथासंभव कम उपयोग करने की नीति अपनायी जानी चाहिए।

भाषा आशीष अमित

अमित

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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