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Monday, 23 December, 2024
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ग्रेटर नोएडा की हालत प्रदूषण के मामले में दिल्ली से भी बदतर, और वे ‘तुम्हारी हवा मेरी हवा’ का खेल खेल रहे

ट्विटर और व्हाट्सएप ग्रुप युद्ध का मैदान बन गए हैं और लोग इस बात पर लड़ रहे हैं कि किस राज्य सरकार को दोषी ठहराया जाए- दिल्ली या यूपी.

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ऊंची-ऊंची इमारतों, मेट्रो स्टेशनों और एक्सप्रेसवे पर जहां देखों वहां धुएं का गुबार ही गुबार छाया हुआ है, जिससे पूरा शहर धुंध की एक चादर में लिपटा हुआ नज़र आता है. लेकिन यह केजरीवाल की दिल्ली नहीं है. यह ‘ट्रांसफॉर्मिंग यूपी’ के पोस्टर ब्वॉय योगी आदित्यनाथ का गुलजार शहर नोएडा-ग्रेटर नोएडा है.

प्रदूषित हवा की बात चले तो सिर्फ दिल्ली ही अब उसका उदाहरण नहीं रह गया है. वायु प्रदूषण की बहस के बीच, जहां एक ओर यह नहीं पता चल रहा कि राजधानी की जहरीली हवा की यह बहस कहां जा के रुकेगी, वहीं नोएडा-ग्रेटर नोएडा में चुपचाप हर दिन उच्च AQI स्तर दर्ज किया जा रहा है. अकेले नवंबर के पहले 15 दिनों में, ग्रेटर नोएडा ने दिल्ली के AQI स्तर को सात बार पार कर लिया है, सबसे खराब 3 नवंबर को 494 था जब दिल्ली में यह स्तर 468 दर्ज किया गया था – जिससे ग्रेटर नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में आ गया. बाकी दिनों में नोएडा-ग्रेटर नोएडा का AQI कम नहीं तो दिल्ली के करीब ही रहा है.

एनसीआर के दो युवाओं द्वारा गाया गया गाना “तुम्हें स्वच्छ हवा भूल जानी पड़ेगी, दिल्ली-एनसीआर में आकर तो देखो” इन एनसीआर शहरों की स्थिति को दर्शाता है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा दिल्ली और गुरुग्राम से AQI टू AQI मैच खाने के चलते प्रदूषण के नए बैड बॉय के रूप में उभरा है. स्मॉग मशीनें और पानी छिड़कने वाली मशीनें सड़कों और निर्माण स्थलों पर छिड़काव कर रही हैं. रेडियो स्टेशन वायु प्रदूषण पर विशेष कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं. स्थानीय दैनिक समाचार पत्र इसे एक बुरा सपना बता रहे हैं. और निवासी हर एक खांसी के लिए दिल्ली और पंजाब को दोषी ठहरा रहे हैं. ग्रेटर नोएडा में दो AQI मॉनीटरिंग सेंटर में से एक काम नहीं कर रहा है और अधिकारियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

“ग्रेटर नोएडा एक ऐसा शहर है जहां तेज़ी से विकास हो रहा है. निर्माण से जुड़ी ऐसी तमाम परियोजनाएं हैं जिन्होंने उच्च स्तरीय प्रदूषण में योगदान दिया है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. हमने अगले 15 दिनों के लिए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है.’ ग्रेटर नोएडा में यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में बैठे क्षेत्रीय अधिकारी देव कुमार गुप्ता कहते हैं, ”शहर नियंत्रण में आ रहा था लेकिन दीवाली पर पटाखे फोड़ने से स्थिति और खराब हो गई.”

कचरा यहाँ पर शहरी पराली है

पीएम 2.5 का स्तर बढ़ने के साथ, नोएडा-ग्रेटर नोएडा निवासी अपने फेफड़ों की सुरक्षा के लिए इसे भगवान या अधिकारियों पर नहीं छोड़ रहे हैं.

अनुपमा भारद्वाज की दिनचर्या निर्धारित है. रेडियो नोएडा 107.4 पर वह वायु प्रदूषण पर मेरे आसमान नाम से एक विशेष शो चलाती हैं, जिसमें वह नोएडा-ग्रेटर नोएडा के विशेषज्ञों से बात करती हैं. घर पर, वह निवासियों पर नज़र रखती है और पानी छिड़कने की दिनचर्या पर संदेश भेजती है.

भारद्वाज, जो नोएडा सेक्टर 15ए में सुपर डीलक्स फ्लैट्स सोसाइटी की अध्यक्ष भी हैं, वन-वूमन आर्मी हैं. उनके निर्देश पर, हर सुबह, निवासी अपने आंगन और अपने मुख्य द्वारों के बाहर सड़क पर छिड़काव करते हैं. गार्ड तीनों सोसायटी गेट्स से सटे इलाकों की सफाई करते हैं.

भारद्वाज इसे “प्रदूषण कम करने के लिए निवासियों का प्रयास” कहते हैं.

व्हाट्सएप पर वहां रहने वाले लोगों के एक ग्रुप के लिए लिखे मैसेज में लिखा है, “हम सभी निवासियों, विशेष रूप से ग्राउंड फ्लोर पर रहने वालों को, अपने लॉन और आस-पास के स्थानों में पानी छिड़क कर इस प्रयास में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. जब बाहर हों, तो कृपया अपनी सुरक्षा के लिए मास्क पहनना सुनिश्चित करें.”

नोएडा की हवा में राजनीति घुस गई है, यह प्रदूषण पर बहस के बारे में लोगों की समझ में दिखाई देता है.

भारद्वाज का मानना है कि यह समस्या पंजाब में पराली जलाने के कारण है और “उत्तर प्रदेश सरकार असहाय है.”

वह कहती हैं,“हम घुट रहे हैं. लेकिन पंजाब सरकार कुछ नहीं कर रही है. उत्तर प्रदेश इसमें बहुत कुछ नहीं कर सकता.”

भारद्वाज उन कई अन्य लोगों में से हैं जो वर्तमान प्रदूषण की समस्या के लिए पंजाब के किसानों और सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपने विकासशील शहर से के बारे में नहीं जानते हैं.

पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ का कहना है कि पंजाब और दिल्ली को दोष नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के पास प्रदूषण के अपने स्रोत हैं जो इसे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं.

तोंगड़ कहते हैं, “ग्रेटर नोएडा में एक निर्माण कार्य काफी बड़े स्तर पर हो रहा है जिससे काफी मात्रा में धूल उड़ती है. इसके बाद नोएडा फिल्म सिटी और ग्रेटर नोएडा में गौर सिटी के किसान चौक पर जाम लगना. इन जगहों पर यातायात चरम पर है और अधिकारी कुछ खास नहीं कर पाए हैं.”

तोंगड़ ने गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा और क्षेत्रीय अधिकारी देव कुमार गुप्ता के साथ जिला पर्यावरण समिति की बैठकों में भाग लिया है. और उन्होंने खराब वायु गुणवत्ता स्तर के लिए अपने कारण बताए हैं: निर्माण गतिविधियां, ट्रैफिक जाम, खुले में कचरा जलाना और कम मेट्रो कनेक्टिविटी के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट.

ग्रेटर नोएडा में काफी बड़े स्तर पर निर्माण कार्य हो रहा है जो धूल का मुख्य स्रोत है. इसके बाद नोएडा फिल्म सिटी और ग्रेटर नोएडा में गौर सिटी के किसान चौक पर लगने वाला जाम. इन जगहों पर ट्रैफिक चरम पर है और अधिकारी कुछ खास नहीं कर पाए हैं.
– विक्रांत तोंगड़, पर्यावरणविद्

हालांकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बहुत अधिक पराली नहीं जलाई जाती है, लेकिन तोंगड़ खुले में जलाए जाने वाले कचरे की ओर इशारा करते हैं जिस पर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. वह अन्य संबंधित नागरिकों के साथ पिछले कुछ समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि यह सब अनसुना कर दिया जा रहा है.

“नोएडा-ग्रेटर नोएडा में तेजी से बढ़ रहे ठोस अपशिष्ट के लिए कोई उचित प्रबंधन प्रणाली नहीं है. खुले इलाकों में कूड़ा जलाया जा रहा है. ग्रेटर नोएडा में रोजा जलापुर गांव के पास रेलवे ट्रैक पर कूड़ा जलाया जाता है. नोएडा में, ठेकेदारों ने सेक्टर 105 के आसपास खुले निर्माण स्थलों पर गहरे गड्ढे खोद दिए हैं जहां ठोस कचरा जलाया जाता है.

उनका कहना है कि स्मॉग के मौसम में प्रशासन सक्रिय होने के बजाय प्रतिक्रियात्मक रुख अपना रहा है.

वे कहते हैं, “नोएडा-ग्रेटर नोएडा में जल प्रदूषण है. अपशिष्ट जलस्रोतों में डाला जा रहा है. स्मॉग के मौसम में अधिकारी सक्रिय हो जाते हैं. लेकिन जब अधिकारी पूरे साल काम करेंगे तभी कुछ होगा. दूसरे शहरों और राज्यों को दोष देने से ज़्यादा काम नहीं चलेगा.”


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टूटे-बिखरे सिस्टम से प्रदूषण को मापना

डीएम मनीष वर्मा के कार्यालय में ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण निगरानी उपकरणों का स्थान बदलने की योजना बनाई जा रही है. दीवाली से पहले और बाद में लगातार तीन दिनों तक नॉलेज पार्क V और नॉलेज पार्क III के प्रदूषण निगरानी केंद्र बंद रहे.

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अधिकारी दिवाली और गोवर्धन पूजा मना रहे थे. ग्रेटर नोएडा प्रशासन के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि अधिकारियों को पता था कि दिवाली के बाद AQI स्तर में बढ़ोतरी होगी, इसलिए उन्होंने जानबूझकर केंद्र को बंद रखा.

वर्मा भले ही आधिकारिक तौर पर इन कारणों से सहमत न हों लेकिन उनका कहना है कि ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण का स्तर उतना नहीं है जितना उपकरण दिखा रहे हैं. उनके अनुसार, उपकरण उन क्षेत्रों में रखे गए हैं जो उच्च AQI स्तर दिखाकर “ग्रेटर नोएडा” को खराब दिखाएंगे.

वर्मा कहते हैं, “यदि आप नॉलेज पार्क V से एक किलोमीटर आगे जाते हैं, तो AQI में गिरावट दिखाई देगी. वह कैसे है? उपकरणों को वहां रखा गया है जहां बहुत अधिक यातायात, निर्माण गतिविधियां होती हैं. इसलिए, यह उस क्षेत्र का AQI दिखाता है, न कि पूरे शहर का.”

ग्रेटर नोएडा में दो AQI निगरानी केंद्रों में से एक जो हाल तक काम नहीं कर रहा था. | सागरिका किसु | दिप्रिंट

दिल्ली में 40 वायु निगरानी केंद्र हैं, जिनमें से कई ओखला, आनंद विहार, नरेला, सोनिया विहार जैसे घने इलाकों में स्थित हैं.

इस बीच, वर्मा का कहना है कि ग्रेटर नोएडा में कुछ जगह पर पराली जल रही थी और सरकार ने उन्हें नोटिस भेजा है.

वे कहते हैं, “हम 16 सरकारी पंजीकृत गौशालाओं (गाय आश्रय) के माध्यम से किसानों से पराली खरीद रहे हैं. हमने किसानों को डीकंपोजर उपलब्ध कराए हैं और जागरूकता पैदा करने के लिए चौपाल भी आयोजित की हैं,”

फिर भी वायु प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा है.

डीएम ने जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक्यूआई निगरानी उपकरणों की तकनीकी बारीकियों पर गौर करने का निर्देश दिया है. ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में, क्षेत्रीय अधिकारी गुप्ता शहर में एंटी-स्मॉग गन और छिड़काव उपकरणों के काम की निगरानी कर रहे हैं.

अपने व्हाट्सएप ग्रुप ‘GRAP कार्यान्वयन’ पर, सहायक अभियंता उन क्षेत्रों पर अपडेट भेज रहे हैं, जहां छिड़काव किया जा रहा है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा में कई निर्माण स्थलों पर लगभग 67 सरकारी एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई हैं और दो दर्जन पानी छिड़कने वाली मशीनें शहरों का चक्कर लगा रही हैं.

जीआरएपी या ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान, जो दिल्ली में भी सक्रिय है, एक ऐसा उपाय है जो वायु प्रदूषण के चिंताजनक स्तर तक पहुंचने पर शुरू हो जाती है.

वे कहते हैं, लेकिन इससे राहत मिलती नहीं दिख रही है. योगी के निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर के निवासी गुप्ता ने इस साल जुलाई में क्षेत्रीय अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला. तब से, उन्होंने लगभग 100 निर्माण व्यवसायों को CTE (Consent to Establish) प्रमाणपत्र दिए हैं, जिनमें लगभग एक दर्जन छोटे व्यवसाय भी शामिल हैं. लेकिन अब निर्माण पर प्रतिबंध लगा हुआ है और जीआरएपी लागू किया गया है.

हर जगह तेरी हवा, मेरी हवा

सभी समस्याओं के मूल में दिल्ली और पंजाब को दोष देना है और गुप्ता के पास इसकी व्याख्या के लिए भौगोलिक कारण बताते हैं.

वह अपने GRAP व्हाट्सएप ग्रुप को स्क्रॉल करते हुए बताते हैं, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ग्रेटर नोएडा में AQI का स्तर अधिक है, लेकिन इसके मूल में पंजाब का पराली जलाना है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा का भौगोलिक स्थिति कटोरे जैसी है. हवा की गति कम होने के कारण प्रदूषण यहां पहुंचता है और बना रहता है.”

‘आपका शहर मेरे शहर को प्रदूषित कर रहा है’ यह वह कहावत है जिसका इस्तेमाल राजनेता दोष से बचने के लिए कर रहे हैं. 4 नवंबर को, गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “जैसे ही वह (गाजियाबाद में) अपने विमान से बाहर निकले, उनकी आंखें जलने लगीं.”

“मुझे एहसास हुआ कि यह स्मॉग के कारण था. जब मैंने पराली जलाने और औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों को देखने के लिए नासा के उपग्रह चित्रों की जांच की, तो पाया कि पूरे पंजाब और हरियाणा के उत्तरी हिस्सों को ‘लाल’ रंग में दर्शाया गया था.

दिल्ली में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वायु प्रदूषण के लिए यूपी को जिम्मेदार ठहराया है. “उन्हें (योगी आदित्यनाथ) ग्रेटर नोएडा में बसों और निर्माण गतिविधियों के कारण होने वाला प्रदूषण नज़र नहीं आता…”

इस बीच, गुप्ता वायु प्रदूषण निगरानी केंद्र के लिए एक और साइट की तलाश कर रहे हैं क्योंकि नॉलेज पार्क V में एक गड़बड़ है और अस्थायी रूप से बंद है. अधिकारी गड़बड़ियों का हवाला देते हैं लेकिन उनमें से कुछ ऑफ रिकॉर्ड स्वीकार करते हैं कि उच्च AQI स्तर के कारण उन्हें इसे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

एक विभाजित नागरिकता

अपने सोफे पर बैठे रुचिन त्यागी दो लड़ाइयां लड़ रहे हैं – वायु प्रदूषण, एयर प्यूरीफायर का प्लग लगाकर; और उसके व्हाट्सएप पर दोस्तों, सहकर्मियों और रिश्तेदारों के लगातार संदेशों पर ध्यान देना. ग्रेटर नोएडा के निवासी त्यागी ने AQI के बढ़ते स्तर पर लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है.

त्यागी ग्रेटर नोएडा में रहने वाले अपने सहकर्मी का संदेश दिखाते हुए कहते हैं, “इस व्हाट्सएप संदेश को देखें. वह प्रशासन पर सवाल उठाने के लिए मुझे मूर्ख कह रहे हैं.”

ट्विटर और व्हाट्सएप ग्रुप युद्ध का मैदान बन गए हैं और लोग इस बात पर लड़ रहे हैं कि किस राज्य सरकार को दोषी ठहराया जाए. लेकिन त्यागी का मानना है कि दिल्ली को दोष देना समाधान नहीं है बल्कि स्थानीय अधिकारियों पर सवाल उठाना इसका समाधान है.

त्यागी कहते हैं, “हर कोई दिल्ली में प्रदूषण के बारे में बात कर रहा है. ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण के बारे में कोई बात नहीं कर रहा है. यह कहीं अधिक बदतर और खतरनाक है.”

दीवाली के एक दिन बाद, त्यागी ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में धुएं से घिरी अपनी सोसायटी का एक वीडियो पोस्ट किया और कैप्शन दिया, “जीआर नोएडा में AQI बढ़ गया है. ये मेरी सोसाइटी के सेंट्रल पार्क का नज़ारा है. पटाखों की अभूतपूर्व धुंध की मोटी परत. यह बीमार करने वाला है. हम प्रदूषण के लिए किसे दोषी ठहरा रहे हैं?”

हर कोई दिल्ली में प्रदूषण की बात कर रहा है. ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण के बारे में कोई बात नहीं कर रहा है. यह कहीं ज़्यादा ख़राब और ख़तरनाक है.
– रुचिन त्यागी, निवासी

उन्हें इस तरह के कमेंट मिले कि ”पंजाब में पराली जलाने को दोष दें, पटाखों को नहीं”. एक अन्य कमेंट में लिखा था, “पटाखे केवल एक दिन फूटते हैं. विपरीत परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाने का प्रयास करें. कल को WW-3 शुरू हो गया तो कैसे रहोगे? (अगर कल तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाए, तो आप कैसे रहेंगे?”)

एनसीआर के एक अन्य शहर फ़रीदाबाद में, म्यूजिक प्रोड्यूसर वासु शर्मा और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार निर्भय गर्ग ने वायु गुणवत्ता पर व्यंग्य करते हुए एक प्रदूषण पैरोडी गाई.

शर्मा का कहना है कि दो हफ्ते पहले जब वह हिमाचल से वापस आए तो स्मॉग के कारण बीमार पड़ गए और तभी उन्होंने गाने के बोल लिखे. उनके दोस्त गर्ग जो कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार थे, उन्होंने इसे कव्वाली का टच दिया और यह गाना इंस्टाग्राम पर वायरल हो गया.

“विचार यह संदेश फैलाने का था कि हमारा दम घुट रहा है और वायु प्रदूषण वास्तव में बहुत बुरा है. कोई भी इसके बारे में बात नहीं कर रहा है बल्कि केवल दोषारोपण कर रहा है. हमने संदेश फैलाने के साधन के रूप में कवाली को चुना क्योंकि इसमें लोगों को आकर्षित करने की ऊर्जा है. हमने वीडियो को फ़रीदाबाद में अपने स्टूडियो में शूट किया.

गाने की एक पंक्ति जो कि प्रदूषण पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को रेखांकित करती है.

“वोट मांगे आते जो नेता आते थे घर में, फोन उनको अब तुम लगा के तो देखो.”

शर्मा कहते हैं,“नेताओं को हमारी मदद करने के लिए एक साथ आने के बजाय एक-दूसरे पर दोषारोपण करते देखना क्रोधित करने वाला है. और इसीलिए हमने वो पंक्तियां लिखीं. चुनाव के दौरान नेता वोट के लिए आपके घर आते हैं लेकिन अब वे फोन तक नहीं उठाते और जब उठाते हैं तो दूसरे शहर या राजनीतिक दल पर दोष मढ़ना शुरू कर देते हैं. यह पागलपन है.”

कव्वाली ने शर्मा और गर्ग को एक नई प्रसिद्धि दी है. वे अब टीवी चैनलों पर अपना संदेश फैला रहे हैं, राजनेताओं से एक साथ आने का आग्रह कर रहे हैं.

ग्रेटर नोएडा में, त्यागी कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ते हैं – व्हाट्सएप और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने प्रदूषण संबंधी तर्कों से नाराज लोगों को शांत करते हुए, अपनी 75 वर्षीय मां के लिए दवाएं खरीदते हुए, जिन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही है. और प्रदूषण के स्तर के संबंध में एक याचिका दायर करने और एक शिकायत करने में.

लेकिन क्योंकि स्वच्छ हवा जल्द ही मिलती नहीं दिख रही है, इसलिए वह अपने परिवार को स्वच्छ हवा के लिए रानीखेत ले जाने की योजना बना रही है.

“मैं घर से काम करूंगा लेकिन कम से कम मेरा परिवार स्वच्छ हवा में सांस लेगा. एयर प्यूरीफायर प्रभावी नहीं हैं. और अगर जरूरत पड़ी तो मैं अपना बेस किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट कर लूंगा.’ यहां स्थिति गंभीर है”.

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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