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Sunday, 3 November, 2024
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ठाकरे बनाम पाटिल बनाम शिवाजी: नवी मुंबई एयरपोर्ट बनने में अभी 2 साल हैं, लेकिन नाम पर लड़ाई शुरू

16,000 करोड़ के नवी मुम्बई एयरपोर्ट को, दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, जिसमें दो समानांतर रनवे होंगे. पहले फेज़ के 2023 तक चालू हो जाने की संभावना है.

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मुम्बई: नवी मुम्बई के आगामी एयरपोर्ट को पूरा होने में कम से कम दो साल बाक़ी है. लेकिन पहले ही इस बात को लेकर सियासी लड़ाई शुरू हो गई है कि इस शोपीस परियोजना का नाम क्या होना चाहिए.

जहां शिवसेना हवाई अड्डे का नाम, पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर रखना चाहती है. वहीं बीजेपी स्थानीय निवासियों की मांग का समर्थन कर रही है, जो नए एयरपोर्ट का नाम डीबी पाटिल के नाम पर रखना चाहते हैं- उन किसानों, और ज़मीन मालिकों के लिए खड़े होने वाले स्थानीय नेता जो 1970 तथा 1980 के दशकों में विस्तार और विकास के नाम पर सरकार के भूमि-अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे.

परियोजना से प्रभावित स्थानीय लोग- जिनकी ज़मीनें एयरपोर्ट के लिए ली गईं थीं- बृहस्पतिवार को सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सिडको) ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं, जिसमें मांग उठाई जाएगी कि हवाई अड्डे का नाम पाटिल के नाम पर रखा जाए. सिडको इस परियोजना की कार्यान्वयन प्राधिकरण है.

इस बीच, राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने मांग की है कि एयरपोर्ट का नाम मराठा योद्धा, राजा छत्रपति शिवाजी के नाम पर रखा जाए.

शिवसेना के सहयोगी, जो महा विकास अघाड़ी में हैं- जिस गठबंधन के हाथ में राज्य सरकार की बागडोर है- कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), हाईप्रोफाइल एयरपोर्ट को बाल ठाकरे के नाम पर रखने की शिवसेना की योजना से पूरी तरह सहमत नहीं हैं. लेकिन अभी तक उन्होंने इस मुद्दे पर काफी हद तक ख़ामोशी इख़्तियार की हुई है.

16,000 करोड़ के नवी मुम्बई एयरपोर्ट को दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, जिसमें 3,700 लंबे दो समानांतर रनवे होंगे और पूरी लंबाई के टैक्सीवेज़ होंगे, जिनमें 1,550 मीटर की दूरी होगी. पहले फेज़ में दो में से एक रनवे को चालू किया जाएगा, जिसके 2023 तक पूरा हो जाने की संभावना है.

नाम पर विवाद

ये शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे थे, जिन्होंने जनवरी में सबसे पहले मांग उठाई थी कि एयरपोर्ट का नाम बाल ठाकरे के नाम पर रखा जाए. इसी महीने, सिडको के एक प्रस्ताव के बाद शिंदे ने ऐलान किया कि हवाई अड्डे का नाम बाल ठाकरे के नाम पर रखा जाएगा. स्थानीय निवासियों की ओर से, जो परियोजना से प्रभावित रहे हैं. इसपर तीखी प्रतिक्रिया हुई.

नवी मुम्बई के लिए भूमि-अधिग्रहण, एक लंबी प्रतिक्रिया रही थी और शुरू में उन लोगों की ओर से इसका बहुत विरोध हुआ था, जो इससे प्रभावित हुए थे.


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प्रेम पाटिल जिन्होंने कोपर गांव की अपनी ज़मीन एयरपोर्ट के लिए दी थी और जो इस मांग की अगुवाई करने वालों में हैं, कि एयरपोर्ट का नाम पाटिल के नाम पर रखा जाए ने दिप्रिंट से कहा, ‘परियोजना के पूरा होने में अभी बहुत समय है. लेकिन शिवसेना को नहीं पता कि क्या वो एयरपोर्ट के उदघाटन के समय सत्ता में होगी. इसलिए उसने अभी से प्रोजेक्ट का नाम, बालासाहेब ठाकरे के नाम पर रखने का फैसला कर लिया.’

डीबी पाटिल, जो शेतकरी कामगार पक्ष (पीडब्लूपी) से जुड़े थे. 1950 के दशक से नवी मुम्बई के शहर पनवेल से, पांच बार विधायक रहे थे. वो सांसद और एमएलसी भी रहे थे और 1970 तथा 1980 के दशक में, उन्होंने सिडको के खिलाफ किसानों और ज़मीन मालिकों के आंदोलनों की अगुवाई भी की थी. ताकि विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के लिए, उन्हें उनकी भूमि के अधिग्रहण का, उचित मुआवज़ा दिलाया जा सके.

पाटिल ने कहा, ‘पहले सभी पार्टियों के स्थानीय नेता, जिनमें सत्तारूढ़ शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं. इस मांग पर हमारा समर्थन कर रहे थे. लेकिन जब से राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट का नाम, बालासाहेब ठाकरे के नाम पर रखने की मंशा का ऐलान किया, तब से सभी एमवीए नेताओं ने, हमसे समर्थन वापस ले लिया है.’

बीजेपी के प्रशांत ठाकुर ने, जो पनवेल से विधायक हैं. दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हमने ये मांग तब उठाई है जब सरकार ने एयरपोर्ट का नाम बालासाहेब ठाकरे के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा. नवी मुम्बई में ये मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिसने 2012 में डीबी पाटिल की मौत के बाद ज़ोर पकड़ लिया था. अलग-अलग ग्राम पंचायतों ने इस बारे में प्रस्ताव पास किए हैं. 2017 में पनवेल नगर निकाय ने भी एक प्रस्ताव पास किया था, जिसमें कहा गया था कि सिडको से एयरपोर्ट का नाम डीबी पाटिल के नाम पर रखने का आग्रह किया जाना चाहिए.’

ठाकुर ने आगे कहा, ‘हम ये रुख़ इसलिए नहीं अपना रहे कि आज हम राज्य में विपक्ष में हैं, हम यहां की ज़मीन के वासी होने के नाते, यहां के स्थानीय प्रतिनिधि होने के नाते, ये आवाज़ उठा रहे हैं.’

इस बीच, सोमवार को एमएनएस नेता बाल ठाकरे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि चूंकि नया एयरपोर्ट शहर के बाहर स्थित, वर्तमान छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार के तौर पर काम करेगा. इसलिए इसे वही नाम दिया जाना चाहिए.

शिवसेना सहयोगी नहीं दिखा रहे प्रतिबद्धता

शिवसेना सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी ने ज़्यादातर इस मुद्दे पर ख़ामोशी इख़्तियार की हुई है, सिवाय एक अनौपचारिक सुझाव के, जो एनसीपी मंत्री छगन भुजबल ने दिया था.

इसी महीने, पत्रकारों से बात करते हुए, भुजबल ने कहा था, ‘हम इसका नाम बाल ठाकरे के नाम पर रखे जाने के खिलाफ नहीं हैं. हम इसका समर्थन करते हैं. इसी प्रकार, हमने डीबी पाटिल का काम भी देखा है और अब समय है कि सब लोग एक साथ बैठकर एक आम सहमति पर पहुंच जाएं. लेकिन, अगर बालासाहेब ज़िंदा होते, तो वो भी कहते कि एयरपोर्ट का नाम, जेआरडी टाटा के नाम पर रखा जाना चाहिए.’ टाटा को भारतीय विमानन का पिता कहा जाता है.

एक राज्य कांग्रेस पदाधिकारी ने नाम छिपाने की इच्छा पर कहा, ‘हमारा मानना है कि विरोधकर्त्ताओं को सुना जाना चाहिए, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर कोई रुख़ नहीं लेना चाहती, क्योंकि आख़िरकार ये तीन पार्टियों की सरकार है. मुख्यमंत्री एक एयरपोर्ट का नाम अपने पिता के नाम पर रखना चाहते हैं. कांग्रेस के असहमत होने के लिए, ये एक बहुत संवेदनशील मुद्दा बन जाता है’.

उद्धव ठाकरे का एमवीए प्रशासन पहले ही, कम से कम तीन स्कीमों, और मुम्बई-नागपुर एक्सप्रेसवे, तथा नागपुर के गोरेवाड़ा चिड़ियाघर जैसी कुछ शोपीस परियोजनाओं के नाम बाल ठाकरे के नाम पर रख चुकी है. इनमें से कुछ को पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की, प्रिय योजनाएं माना जाता था.

राज्य सरकार ने शिवसेना संस्थापक और उनके पिता केशव ठाकरे को, प्रख्यात हस्तियों की अधिकारिक सूची में शामिल कर लिया है, जिनकी जयंती और पुण्य तिथि सरकार की ओर से मनाई जाती है.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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