नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है.
जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने संज्ञान लेते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को तय की है.
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर का खतरा जताए जाने के बावजूद 25 जुलाई से यात्रा की मंगलवार को अनुमति दे दी. वहीं मंगलवार को ही उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का फैसला किया है. दोनों ही जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
मंगलवार को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था, ‘हरिद्वार को हम कोरोनावायरस महामारी का केंद्र नहीं बनाना चाहते और लोगों का जीवन हमारे लिए प्राथमिकता है जिससे हम खिलवाड़ नहीं कर सकते.’
धामी से जब यह पूछा गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कांवड़ यात्रा को टालना नहीं चाहते थे, धामी ने केवल इतना कहा कि ‘हमने यात्रा स्थगित करने का निर्णय ले लिया है.’
अगर कांवड़िए राज्य में घुसते हैं तो इस स्थिति से कैसे निपटा जाएगा, इस पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वह लोगों से न आने की अपील करते हैं क्योंकि महामारी के इस दौर में लोगों का जीवन बचाना ज्यादा जरूरी है. उन्होंने कहा कि भगवान भी नहीं चाहते कि लोगों के जीवन की हानि हो.
बता दें कि कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान हरिद्वार कुंभ को लेकर प्रदेश सरकार को खासी किरकिरी झेलनी पड़ी थी और ऐसा माना जा रहा है कि अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे उसे फिर फजीहत झेलनी पड़े.
यह लगातार दूसरा साल है जब महामारी के कारण कांवड़ यात्रा का संचालन नहीं किया जा रहा है. भारतीय चिकित्सा संघ ने भी हाल में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश और देश के हित में यात्रा को अनुमति न देने को कहा था.
श्रावण महीने से शुरू होने के साथ ही पखवाड़े भर चलने वाली कांवड़ यात्रा हर साल अगस्त के पहले सप्ताह तक चलती है और इस दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों से लाखों की संख्या में शिवभक्त गंगा जल लेने हरिद्वार आते हैं. गंगा जल से वे अपने गांवों के शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं.
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