नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी के खिलाफ राज्य के राजमार्ग विभाग में ठेके देने में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को रद्द कर दिया ।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उच्च न्यायालय से कहा कि इस मामले में पहले की टिप्पणियों या पारित आदेशों से प्रभावित हुए बिना उसे पलानीस्वामी के खिलाफ शिकायत का फैसला करना चाहिए।
पलानीस्वामी के खिलाफ द्रमुक नेता आरएस भारती की याचिका पर संज्ञान लेते हुये उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2018 में निविदा अनियमितताओं की उनकी शिकायत पर ‘निष्पक्ष, उचित और पारदर्शी जांच’ के लिए मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था ।
पलानीस्वामी ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिस पर रोक लगा दी गयी थी ।
द्रमुक नेता की ओर से अदालत में पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं, वह मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे ।
पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय को (जांच) रिपोर्ट का परीक्षण करने दें। मामले के विस्तार में गये बगैर, हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह वहां प्रस्तुत रिपोर्टों पर गौर करे और रिपोर्ट की जांच के बाद ही उचित आदेश पारित करे ।
पीठ ने कहा, ‘‘हम उन सभी टिप्पणियों को रद्द करते हैं ये मामले पर नए सिरे से विचार करने में आड़े नहीं आएंगी ।’’
भारती ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पलानीस्वामी ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके अपने रिश्तेदारों और अन्य लोगों के स्वामित्व वाली कंपनियों को विभिन्न सड़क निर्माण परियोजनाएं आवंटित की हैं।
पलानीस्वामी की दलील थी कि उच्च न्यायालय ने बिना नोटिस जारी किए और उन्हें अपना बचाव करने का अवसर प्रदान किए बगैर गलत तरीके से आदेश पारित किया।
द्रमुक नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) को निर्देश देने की मांग की थी। डीवीएसी ने पलानीस्वामी को क्लीन चिट दे दी थी।
भाषा रंजन रंजन पवनेश
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