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Sunday, 28 April, 2024
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सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बिलकिस बानो केस की सुनवाई से खुद को अलग किया

गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में दोषियों को मिली छूट का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने जेल में 14 साल की सजा पूरी कर ली है और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने मंगलवार को 2002 के गोधरा दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है.

जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष भेजा जाएगा. हालांकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने खुद को अलग करने के पीछे की कोई वजह नहीं बताई है. गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच कर रही थी.

दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ याचिका दायर करने के अलावा, बानो ने अदालत के पहले के आदेश को लेकर भी एक समीक्षा याचिका दायर की है, जिसमें कोर्ट ने गुजरात सरकार से दोषियों में से एक की छूट के लिए याचिका पर विचार करने के लिए कहा था.

समीक्षा याचिका भी मंगलवार को सुनवाई के लिए जस्टिस रस्तोगी के समक्ष उनके कक्ष में सूचीबद्ध थी.

बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के आदेश के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की है जिसमें गुजरात सरकार को 1992 के छूट नियमों को लागू करने की अनुमति दी थी.

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बिलकिस ने कहा कि अपराध की पीड़िता होने के बावजूद, उन्हें छूट या समय से पहले रिहाई की ऐसी किसी प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

इससे पहले भी, कुछ जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

ये याचिकाएं नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन ने दायर की हैं, जिसकी महासचिव एनी राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा हैं.

गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में दोषियों को मिली छूट का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने जेल में 14 साल की सजा पूरी कर ली है और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया है.

राज्य सरकार ने कहा कि उसने 1992 की नीति के अनुसार सभी 11 दोषियों के मामलों पर विचार किया है और 10 अगस्त, 2022 को छूट दी गई थी, और केंद्र सरकार ने दोषियों की समय से पहले रिहाई को भी मंजूरी दी थी.


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