scorecardresearch
Friday, 29 November, 2024
होमराजनीति‘ट्राइबल’ मांडवी में पहली जीत—भाजपा ने गुजरात में कुंवरजी हलपति को मंत्री पद से क्यों ‘नवाजा’

‘ट्राइबल’ मांडवी में पहली जीत—भाजपा ने गुजरात में कुंवरजी हलपति को मंत्री पद से क्यों ‘नवाजा’

गुजरात में भाजपा ने पहली बार जिन पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है, उनमें तीन आदिवासी बेल्ट की हैं और हलपति एक आदिवासी नेता हैं. उन्हें सोमवार को आदिवासी मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया था.

Text Size:

नई दिल्ली: भूपेंद्र पटेल को पिछले साल जब गुजरात का मुख्यमंत्री चुना गया तो व्यापक तौर पर इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ से विजय रूपाणी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी भावनाओं पर काबू पाने का ही एक प्रयास माना गया. और पार्टी नेताओं ने उन्हें चुने जाने का एक प्रमुख कारण यह भी बताया कि सभी विधायकों के बीच उनकी चुनावी जीत का अंतर सबसे ज्यादा था. पटेल ने 2017 का विधानसभा चुनाव घाटोल्डिया निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा था और 2,17,000 वोटों से जीत हासिल की थी.

दूसरी वजह यह थी कि उनकी छवि एक लो-प्रोफाइल पाटीदार नेता की थी.

अब बात करते हैं 2022 के चुनाव और कुंवरजीभाई नरसिंहभाई हलपति की, जिन्हें सोमवार को गुजरात के सीएम के तौर पर दूसरी बार कार्यभार संभालने वाले भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल में जगह मिली है. भाजपा सूत्रों के मुताबिक कुंवरजीबाई गुजरात के सबसे गरीब आदिवासी तबके हलपति से आते हैं और जाहिर है कि कच्छ जिले की आदिवासी बहुल मांडवी विधानसभा सीट पर जीतने की वजह से ही उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है. भाजपा 1960 में राज्य के गठन के बाद से अब तक कभी इसी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक कुंवरजीभाई को मंत्रालय में शामिल किए जाने की दूसरी वजह यह भी है कि वह ‘गरीब आदिवासी हलपति समुदाय’ का प्रतिनिधित्व करते थे. हलपति को सोमवार को जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री (एमओएस) के रूप में शपथ दिलाई गई है.

भाजपा की गुजरात इकाई के उपाध्यक्ष जनक भाई पटेल ने कहा, ‘(गुजरात के) आदिवासी समुदायों में हलपति सबसे गरीब हैं और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे (2001 और 2014 के बीच) तब उन्होंने आदिवासियों के लिए घर बनाने के लिए ‘ग्राम गुरु’ योजना शुरू की थी.’

जनक भाई ने कहा, ‘चूंकि हलपति ने पहली बार भाजपा के लिए यह सीट जीती है, इसलिए पार्टी ने इस सबसे गरीब समुदाय को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उसके नेता को मंत्री पद देकर पुरस्कृत किया है. भाजपा ने इस बार जिन पांच सीटों पर पहली दफा जीत हासिल की है, उनमें से तीन आदिवासी इलाकों की हैं.’

मांडवी के अलावा बाकी दो सीटें झगड़िया और व्यारा हैं.

जनक भाई ने कहा, ‘झगड़िया में भाजपा नेता रितेश वसावा ने भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के छोटूभाई वसावा को हराया. छोटूभाई इससे पहले सात बार यह सीट जीत चुके थे और इससे पहले 1962 से 1985 के बीच इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा था. भाजपा ने यह सीट पहले कभी नहीं जीती थी.’

एक अन्य आदिवासी बहुल सीट व्यारा, जो 1962 में गुजरात विधानसभा के पहले चुनाव से अब तक कांग्रेस जीतती रही है, में इस बार भाजपा उम्मीदवार मोहन कांकणी विजयी हुए.

पार्टी ने बोरवाड और महुदा सीटें भी पहली बार जीती हैं, इन पर रमन सोलंकी और संजय मल्होत्रा ने क्रमशः राजेंद्र सिंह परमार और इंदर सिंह परमार (दोनों कांग्रेस उम्मीदवार) को हराया.

हालांकि, इन पांचों निर्वाचित विधायकों में से हलपति मंत्री पद पाने वाले अकेले विधायक रहे हैं.


यह भी पढ़ें: क्यों दिल्ली में AAP की ‘डबल इंजन’ जीत से बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है, TMC का उदाहरण सामने है


हलपति ने सियासत में कैसे बनाया यह मुकाम

कभी कांग्रेस नेता तुषार चौधरी, जिनके पिता कांग्रेसी नेता और गुजरात के पूर्व सीएम अमरसिंह चौधरी थे, के करीबी माने जाने वाले कुंवरजीभाई हलपति ने अपना पहला चुनाव 2007 में बारडोली से कांग्रेस के टिकट पर जीता था.

माना जा रहा है कि हलपति को तुषार चौधरी की वजह से ही टिकट मिला था. लेकिन, 2012 में बारडोली सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित हो गई, इसलिए हलपति ने गणदेवी से टिकट मांगा. लेकिन वहां से टिकट न मिलने पर वह 2013 में भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें राज्य आदिवासी विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया.

उन्होंने 2017 के चुनावों में भी मांडवी से टिकट मांगा था लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक, एक अन्य आदिवासी नेता गणपतसिंह वेस्ताभाई वसावा, जो रूपाणी सरकार में मंत्री रहे हैं, ने ऐसा नहीं होने दिया.

इसके बाद, हलपति ने मंगोल और मांडवी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया, लेकिन दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

सूत्रों ने बताया कि बाद में वह भाजपा में लौट आए और भाजपा की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सी.आर. पाटिल के साथ संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया.

अब मांडवी से मौजूदा कांग्रेस विधायक आनंद चौधरी को हराने के बाद हलपति को राज्य मंत्री के पद से नवाजा गया है.

पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘भाजपा ने 27 सुरक्षित सीटों में से 24 पर जीत हासिल की है, जो अभूतपूर्व है. पार्टी को उस जनादेश का सम्मान करना होगा. कांग्रेस की आदिवासी क्षेत्रों में जबरदस्त पकड़ रही है, लेकिन इन इलाकों में अच्छी पैठ न होने के बावजूद हमें सफलता मिली है. पार्टी ने जनादेश का सम्मान किया है और एक (आदिवासी) कैबिनेट और एक राज्य मंत्री को शामिल किया है.

कांग्रेस 1962 से 2017 तक लगातार मांडवी पर जीत हासिल करती रही है. 1975 में, जगह का नाम बदलकर संगराह कर दिया गया था लेकिन 2012 में इसे फिर से मांडवी कर दिया गया.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: ऋषभ राज)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: मेघालय का दौरा और चुनावी रणनीति पर चर्चा- क्या ममता ‘AAP’ से ‘राष्ट्रीय’ सबक सीख रही हैं


 

share & View comments