नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वह याचिका खारिज कर दी जिसमें अनुरोध किया गया था कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के सभी चरण समाप्त होने तक बड़े पैमाने पर कोविड-19 टीकाकरण बंद कर दें. न्यायालय ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है और उसपर कोई सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़ और बी. वी. नागरत्न की पीठ ने पूर्व सैनिक मैथ्यू थॉमस की याचिका खारिज करने संबंधी कर्नाटक उच्च न्यायालय के 26 मई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया.
पीठ ने कहा, ‘उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करके सही किया. टीकाकरण अभियान पर संदेह पैदा ना करें. यह लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. हम इस याचिका पर बिल्कुल दलीलें नहीं चाहते हैं. इस अपील पर नोटिस जारी करना भी बहुत गलत होगा.’
पीठ ने आगे कहा कि महामारी के दौरान देश बहुत संवेदनशील स्थिति से गुजरा है और भारत इकलौता देश नहीं है जहां टीकाकरण अभियान चल रहा हो.
पीठ ने आदेश में कहा, ‘हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं है. इसलिए विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.’
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता नितिन एएम ने अपनी दलीलों में कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के बगैर बड़े पैमाने पर टीकाकरण की अनुमति देना नियमों का उल्लंघन है और कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन टीका नुकसानदेह और गैरकानूनी है.
उच्च न्यायालय ने 26 मई को थॉमस और दो अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ताओं पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जिसका भुगतान एक महीने के भीतर करना होगा.
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