ऋषिकेश, 25 मार्च (भाषा) उत्तराखंड में स्थित कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में नियमों का उल्लंघन करते हुए किए गए निर्माण कार्यों और सड़क परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति 28 मार्च को दोनों उद्यानों का दौरा करेगी।
अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने बताया कि न्यायालय द्वारा गठित केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के सदस्य दोनों रिजर्व के बफर जोन में जाकर उनका निरीक्षण करेंगे।
बंसल की अर्जी पर सीईसी राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजरने वाले लालढांग—चिल्लरखाल मार्ग के उच्चीकरण और कॉर्बेट के पाखरो और मोरघटटी रेंज में पेड़ों के कथित अवैध कटान और इमारतों तथा जलीय क्षेत्रों के अवैध निर्माण की जांच कर रही है।
पी. वी. जयकृष्णन सीईसी के अध्यक्ष हैं, जबकि महेन्द्र व्यास इसके सदस्य और अमरनाथ शेट्टी इसके सदस्य सचिव हैं।
इससे पहले, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की एक टीम भी कॉर्बेट की मोरघट्टी और पाखरो रेंज में हुए अवैध निर्माण की जांच के लिए मौके पर गयी थी और मामले में वन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश करते हुए कहा था कि उनकी मिलीभगत के बिना नियमों का उल्लंघन संभव नहीं है।
प्राधिकरण की टीम द्वारा तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जे. एस. सुहाग और कालागढ़ के पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद सहित कई अधिकारियों को दोषी ठहराये जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिशों के आलोक में कई जांच समितियां गठित की गयीं।
सीईसी के मौके पर जाकर निरीक्षण करने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आने की संभावना है। मामले में अभी तक रेंजर बृज बिहारी शर्मा के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गयी है।
भाषा सं दीप्ति अर्पणा
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