नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के कुछ पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति चुनाव में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन देने के खिलाफ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों को पत्र लिखा है तथा आरोप लगाया कि सलवा जुडूम को भंग करने संबंधी पीठ के फैसले के कारण माओवादी हिंसा फिर से शुरू हो गई।
उक्त पीठ में न्यायमूर्ति रेड्डी भी शामिल थे।
कई सांसदों को ये पत्र ऐसे समय में लिखे गए हैं जब गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा ने रेड्डी पर तीखा हमला बोला है। शाह ने 2011 के फैसले के माध्यम से उन पर ‘‘नक्सलवाद का समर्थन’’ करने का आरोप लगाया है।
रेड्डी 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ राजग के प्रत्याशी सी. पी. राधाकृष्णन के खिलाफ विपक्ष के उम्मीदवार हैं।
अपने पत्र में, सियाराम रामटेके (56) ने कहा कि वह कांकेर के चारगांव में उप सरपंच थे और नक्सलियों ने उनपर गोलियां चलाई थीं। न्यायालय द्वारा सलवा जुडूम को भंग करने के फैसले के बाद नक्सलियों ने हिंसा बढ़ा दी थी।
सलवा जुडूम आदिवासियों का एक संगठन था जो पुलिस के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ काम करता था।
रामटेके ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे मृत समझकर छोड़ दिया। मैं अब भी शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्ति की जिंदगी जी रहा हूं।’’ उन्होंने कहा कि उनके जैसे हजारों लोगों का मानना है कि अगर सलवा जुडूम को भंग नहीं किया गया होता, तो नक्सलवाद बहुत पहले ही समाप्त हो गया होता।
सलवा जुडूम के भंग होने के बाद आंदोलन से जुड़े नागरिक अपने घरों को लौट गए, जिसके बाद नक्सलियों ने बड़ी संख्या में इससे जुड़े लोगों की हत्या कर दी।
उन्होंने विपक्षी दलों के सांसदों से अपील की कि वे ऐसे उम्मीदवार को वोट न दें, जिनके फैसले के बाद भड़की हिंसा के वे पीड़ित हैं।
रेड्डी, न्यायमूर्ति एस एस निज्जर के साथ, उच्चतम न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने जुलाई 2011 में सलवा जुडूम को भंग करने का आदेश दिया था और कहा था कि माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारियों के रूप में इस्तेमाल करना गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
एक अन्य पत्र में अशोक गंडामी नामक व्यक्ति ने कहा कि वह उस लड़की का चाचा और अभिभावक है, जिसने एक आईईडी विस्फोट में अपना एक पैर गंवा दिया था तथा सलवा जुडूम से जुड़े फैसले के बाद नक्सलियों द्वारा उसके पिता की हत्या कर दिए जाने के बाद वह अनाथ हो गई थी।
हालांकि, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने सलवा जुडूम फैसले को लेकर रेड्डी पर गृह मंत्री शाह की टिप्पणी को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया है।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ, मदन बी लोकुर और जे चेलमेश्वर सहित 18 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के समूह ने यह भी कहा कि एक उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा शीर्ष अदालत के फैसले की ‘‘पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या’’ से न्यायाधीशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
भाषा
सुभाष माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.