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Monday, 6 May, 2024
होमदेश1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों, विद्वानों ने मोदी सरकार से नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग की

1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों, विद्वानों ने मोदी सरकार से नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग की

याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े विद्वान शामिल हैं.

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नयी दिल्ली : देशभर में संसद से लेकर सड़क तक नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध के बीच अब वैज्ञानिक, विद्वान भी इसके खिलाफ में उतर आए हैं और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है. लोकसभा में कल रात विधेयक के वर्तमान स्वरूप को वापस लेने की मांग को लेकर एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं.

एक खुले पत्र में, लगभग 600 लेखकों, कलाकारों, कार्यकर्ताओं, पूर्व नौकरशाहों, पूर्व न्यायाधीशों ने सरकार से संविधान का उल्लंघन करने वाला बताते हुए सरकार को चेताया है.

जाने माने शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता ने कहा है कि इस कानून से भारत एक ‘असंवैधानिक नस्लीतंत्र’ में बदल जाएगा.

लोकसभा में सोमवार को इस विधेयक पर 7 घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा हुई थी. नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी – हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.

याचिका में कहा गया है, ‘चिंताशील नागरिकों के नाते हम अपने स्तर पर वक्तव्य जारी कर रहे हैं ताकि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को सदन पटल पर रखे जाने की खबरों के प्रति अपनी निराशा जाहिर कर सकें.’

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याचिका पर हस्ताक्षर सोमवार को विधेयक सदन में रखे जाने से पहले किए गए थे.

याचिका में कहा गया, ‘विधेयक के वर्तमान स्वरूप में वास्तव में क्या है यह तो हमें पता नहीं है इसलिए हमारा वक्तव्य मीडिया में आई खबरों और लोकसभा में जनवरी 2019 में पारित विधेयक के पूर्व स्वरूप पर आधारित है.’

याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े विद्वान शामिल हैं.

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि अगर ये विधेयक पारित हुआ तो वह सविनय अवज्ञा करेंगे.

मंदर ने ट्वीट किया, ‘मैं आधिकारिक रूप से एक मस्लिम के रूप में पंजीकरण करूंगा. इसके बाद मैं एनआरसी को कोई भी दस्तावेज देने से इनकार कर दूंगा. फिर मैं बिना दस्तावेज वाले मुस्लिम की तरह ही सजा की मांग करूंगा… हिरासत केंद्र और नागरिकता वापस ले लेना. इस सविनय अवज्ञा में शामिल होइए.’

प्रताप भानु मेहता ने कहा नागरिकता विधेयक भारत को एक ‘नस्लवादी तंत्र’ में बदल देगा.

शिक्षाविद् रामचंद्र गुहा ने गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की और उन पर आरोप लगाया कि उन्हें मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धान्त से कोई ऐतराज नहीं.

कैब में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो. उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा.

विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है. अब इसे बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

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