नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह कावेरी नदी जल बंटवारे को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों पुराने विवाद की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया था।
तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगस्त महीने के लिए पानी छोड़ने की मांग करते हुए राज्य सरकार की ओर से एक आवेदन दायर किया गया है, जिसका आदेश कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने दिया है।
रोहतगी ने शीर्ष अदालत से कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करना होगा।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “आज मैं एक पीठ का गठन करूंगा।”
तमिलनाडु ने 11 अगस्त को कहा था कि कावेरी जल का अपना वास्तविक हिस्सा पाने के लिए उसके पास शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
इसने दलील दी थी कि रुख में बदलाव करते हुए, कर्नाटक हर दिन केवल 8,000 क्यूसेक (घन फुट प्रति सेकंड) की कम मात्रा जारी करने के लिए तैयार था।
राष्ट्रीय राजधानी में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) की अगस्त में हुई बैठक का जिक्र करते हुए, तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने कहा था कि चर्चा के दौरान राज्य के अधिकारियों द्वारा कावेरी जल की आवश्यकता को जोरदार ढंग से रखा गया था।
उन्होंने कहा, “हालांकि, कर्नाटक ने हमेशा की तरह अपना रुख बदल दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि वह केवल 8,000 क्यूसेक पानी छोड़ सकता है और वह भी केवल 22 अगस्त तक।’’
भाषा प्रशांत सुरेश
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