नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ‘‘दरवाजे तक न्याय’’ पहुंचाने की जरूरत पर बल देते हुए, मछलीपट्टनम से सत्र न्यायालय को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के अवनीगड्डा में स्थानांतरित करने के खिलाफ याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, ‘‘जब भी किसी नयी अदालत की स्थापना होती है, वकील हमेशा उसका विरोध करते हैं। अदालतें केवल वकीलों के लिए नहीं होतीं, वे मूलतः वादियों के लिए होती हैं। हम घर तक न्याय पहुंचाने, ग्राम न्यायालयों आदि की बात कर रहे हैं।’’
पीठ के रुख को भांपते हुए याचिकाकर्ता बुरागड्डा अशोक कुमार ने याचिका वापस ले ली।
याचिका में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की छठी अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत को मछलीपट्टनम से अवनीगड्डा स्थानांतरित करने संबंधी फैसले को चुनौती दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने इससे पहले मछलीपट्टनम बार एसोसिएशन की अदालत को स्थानांतरित किये जाने को चुनौती देने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि हालांकि इस कदम से स्थानीय वकीलों को कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन यह वादियों के व्यापक हित में होगा।
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देवेंद्र रंजन
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