नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने खाद्य मिलावट के एक मामले में आरोपी मध्य प्रदेश के दो कारोबारियों की गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जियों पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, ‘केवल भारत में हम स्वास्थ्य चिंताओं को लेकर उदासीन हैं’.
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाशकालीन पीठ मध्य प्रदेश के नीमच जिले के रहने वाले प्रवर गोयल और विनीत गोयल की अग्रिम जमानत अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने गिरफ्तार पूर्व जमानत के आवेदनों को खारिज कर दिया था जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी. सुनवाई के दौरान वकील पुनीत जैन ने पीठ से कहा कि खाद्य मिलावट के अपराध से जुड़े दंडनीय प्रावधान जमानत योग्य हैं और इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए.
न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ‘केवल भारत में स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर उदासीनता है. मिस्टर जैन, आप इसका जवाब दें. क्या आप यह मिलावटी गेहूं खाएंगे.’
जब पीठ ने अग्रिम जमानत अर्जी पर विचार करने में अनिच्छा प्रकट की तो वकील ने उसे वापस लेने का फैसला किया जिसकी पीठ ने मंजूरी दे दी.
पीठ ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा, ‘क्रिस्टी जैन के अनुरोध पर विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है क्योंकि इसे वापस ले लिया गया.’
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार कारोबारियों पर नीमच के कनावती गांव में स्थित दर्शील एग्रो इंडस्ट्रीज के परिसर में गेहूं की पोलिश के लिए ‘अखाद्य गोल्डन ऑफसेट रंग’ का इस्तेमाल करने का आरोप है.
नीमच के खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने तीन दिसंबर, 2020 को छापा मारकर 1,20,620 किलोग्राम खराब और घटिया पॉलिश वाला गेहूं जब्त किया था जिसकी कीमत 27.74 लाख रुपये थी.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 12 मार्च को आरोपियों की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.