नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को वन अनुसंधान संस्थान देहरादून को ‘ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र’ में वृक्ष गणना कराने के लिए प्रस्तावित अपने बजट की पुनः जांच करने का निर्देश दिया।
‘ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र’ ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को प्रदूषण से बचाने के लिए 10,400 वर्ग किलोमीटर का एक संरक्षित क्षेत्र है, जिसका दायरा उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) द्वारा दी गई समयसीमा बहुत लंबी है और कहा कि दिल्ली में इसके काम में ‘‘बहुत अधिक समानता’’ है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि एफआरआई को प्रस्तावित बजट पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि दिल्ली में वृक्ष सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल टीटीजेड क्षेत्र में वृक्ष सर्वेक्षण के वास्ते किया जा सकता है। इसलिए, हम एफआरआई को चार सप्ताह के भीतर नया बजट और समयसीमा प्रस्तुत करने का निर्देश देते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने 26 मार्च को एफआरआई को दिल्ली में पहली बार पेड़ों की गणना करने का निर्देश दिया था और राष्ट्रीय राजधानी के हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए भी अपनी मंजूरी दी थी।
एफआरआई साढ़े तीन साल की अवधि में तीन चरणों में एक साथ दोनों अभ्यास करेगा।
शीर्ष अदालत ने पहले ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) प्राधिकरण को क्षेत्र में पेड़ों की गणना करने के लिए एफआरआई को नियुक्त करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने कहा था कि पेड़ों के मौजूदा आंकड़े के बिना उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 का उद्देश्य वृक्षों की सुरक्षा करना है, न कि उन्हें गिराना या काटना।
उन्होंने कहा कि वृक्ष गणना के बिना 1976 अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सकता।
शीर्ष अदालत ने मौजूदा पेड़ों की गणना की आवश्यकता और टीटीजेड में पेड़ों की अवैध कटाई नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखने की व्यवस्था की भी आवश्यकता बताई थी।
भाषा सुरभि माधव
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