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Sunday, 17 November, 2024
होमदेशSC ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा मामले में CBI जांच के ख़िलाफ़ मुक़दमे पर स्थगित की सुनवाई

SC ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा मामले में CBI जांच के ख़िलाफ़ मुक़दमे पर स्थगित की सुनवाई

ममता सरकार का कहना है कि सीबीआई उनकी इजाज़त लिए बिना जांच कर रही है और प्राथमिकी दर्ज कर रही है जबकि उनकी अनुमति लेना अनिवार्य है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की सीबीआई जांच के खिलाफ राज्य सरकार के वाद पर शुक्रवार को सुनवाई 16 नवंबर के लिए स्थगित कर दी. राज्य सरकार का आरोप है कि सीबीआई राज्य की इजाज़त लिए बगैर ही यह जांच कर रही है जबकि कानून के तहत अनुमति लेना अनिवार्य है.

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने कहा कि केंद्र ने राज्य के मुकदमे के जवाब में हलफनामा दाखिल किया है और वह मामले पर नियमित सुनवाई के दिन विचार करेगी.

पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बेंच से अनुरोध किया कि इसके लिए कोई तारीख निर्धारित कर दी जाए क्योंकि सीबीआई प्राथमिकियों को लेकर आगे बढ़ रही है.


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बेंच ने कहा, ‘हम 16 नवंबर को इस पर सुनवाई करेंगे. अगर कोई प्रत्युत्तर या अतिरिक्त दस्तावेज हैं तो पक्षकार उन्हें दाखिल कर सकते हैं.’

पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर अपने मूल दीवानी मुकदमे में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के प्रावधानों का हवाला दिया है. राज्य सरकार का तर्क है कि सीबीआई राज्य सरकार से अनुमति लिए बिना जांच कर रही है और प्राथमिकी दर्ज कर रही है जबकि कानून के तहत ऐसा करने के लिए राज्य की पूर्व में अनुमति लेना अनिवार्य है. अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास है.

सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों में हाल में कई प्राथमिकी दर्ज की हैं. राज्य सरकार ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों में कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकियों की जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.


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याचिका में कहा गया है कि राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने केन्द्रीय एजेंसी को जांच के लिए दी गई सामान्य संतुति पहले ही वापस ले ली है, इसलिए दर्ज प्राथमिकियों पर जांच नहीं की जा सकती.

वकील सुहान मुखर्जी के जरिए दायर याचिका में भविष्य में इस तरह की हर प्राथमिकी पर रोक लगाए जाने का भी अनुरोध किया गया है.


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