चंडीगढ़, 21 जनवरी (भाषा) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि यमुनानगर के पास आदि बद्री बांध के निर्माण से पौराणिक सरस्वती नदी पुनर्जीवित होगी। इस बांध के निर्माण के लिए हरियाणा सरकार ने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के साथ एक समझौता किया है।
पंचकुला में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में आदि बद्री बांध के निर्माण से जुड़े समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के मौके पर मनोहरलाल ने कहा, ‘सरस्वती नदी के पुनर्जीवित होने से उससे जुड़ी धार्मिक भावनाओं को भी नया जीवन मिलेगा। इससे संबंधित क्षेत्र तीर्थस्थल के रूप में भी विकसित हो सकेगा। यही नहीं, बांध के बगल में बनने वाली झील इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देगी।’
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना का मकसद सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के साथ ही भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि बांध के निर्माण से बारिश के मौसम में अत्यधिक बारिश से उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने में भी मदद मिलेगी।
हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल और हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभाग सिंह ने अपने-अपने राज्य की तरफ से आदी बद्री बांध के निर्माण से जुड़े एमओयू पर दस्तखत किए।
मालूम हो कि हरियाणा-हिमाचल सीमा के पास स्थित आदि बद्री को पौराणिक सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
इस मौके पर मनोहर लाल ने कहा, ‘मेरा 35 साल पुराना सपना साकार हो गया है। 1986-87 में सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने से जुड़े शोध के सिलसिले में मैंने क्षेत्र का दौरा किया था। यह दौरा यमुनानगर के आदि बद्री से शुरू होकर कच्छ पर खत्म हुआ था। आदि बद्री बांध के निर्माण से सरस्वती नदी में पूरे साल जल का बहाव होगा।’
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और हरियाणा सस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड इस पौराणिक नदी पर शोध को अंजाम दे रहे हैं।
मनोहरलाल ने बताया कि आदि बद्री बांध हिमाचल प्रदेश में 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा। इसके निर्माण पर 215.33 रुपये खर्च होंगे।
उन्होंने कहा कि आदि बद्री बांध 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी सहेजेगा, जिसमें से 61.88 हेक्टेयर मीटर पानी हिमाचल प्रदेश को मिलेगा, जबकि शेष हरियाणा में सरस्वती नदी में बहेगा।
मनोहर लाल के मुताबिक, आदि बद्री बांध की गहराई 101.06 मीटर, जबकि ऊंचाई 20.5 मीटर होगी। इस बांध को सोम्ब नदी से भी पानी मिलेगा, जो यमुना के नजदीक है।
उधर, जयराम ठाकुर ने कहा कि आदि बद्री बांध दोनों राज्यों की पेयजल और सिंचाई जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरस्वती नदी के पुनर्जीवित होने से इस इलाके को तीर्थस्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की इच्छा जताई थी।
ठाकुर ने भरोसा दिलाया कि बांध के निर्माण के लिए जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें उचित मुआवजा मिलेगा। उन्होंने बताया कि परियोजना से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद बांध की आधारशिला रखी जाएगी।
भाषा पारुल माधव
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