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Saturday, 20 April, 2024
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कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करे सरकार: मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने सबरीमाला, शहरी माओवाद, पाकिस्तान और रक्षा मुद्दे से लेकर राम मंदिर पर टिप्पणी की.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी कार्यक्रम के मौके पर गुरुवार को सरसंघचालक मोहन भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए की कानून बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण ‘स्वगौरव’ की दृष्टि से आवश्यक है और मंदिर बनने से देश में सद्भावना एवं एकात्मता का वातावरण बनेगा.

विजयादशमी के अवसर पर यहां अपने वार्षिक संबोधन में भागवत ने कहा, ‘राम जन्मभूमि स्थल का आवंटन होना बाकी है, जबकि साक्ष्यों से पुष्टि हो चुकी है कि उस जगह पर एक मंदिर था. राजनीतिक दखल नहीं होता तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता. हम चाहते हैं कि सरकार कानून के जरिए (राम मंदिर) निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे.’

गौरतलब है कि गुरुवार को आरएसएस का स्थापना दिवस कार्यक्रम है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी भी शामिल हुए.

अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा शांति, सहिष्णुता और सरकारों से निरपेक्ष मित्रवत संबंधों की रही है. उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे समाज में ‘शहरी माओवाद और ‘नव-वामपंथी’ तत्वों की गतिविधियों से सावधान रहें.

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भागवत ने कहा, ‘दृढ़ता से वन प्रदेशों में अथवा अन्य सुदूर क्षेत्रों में दबाए गए हिंसात्मक गतिविधियों के कर्ता-धर्ता एवं पृष्ठपोषण करने वाले अब शहरी माओवाद (अर्बन नक्सलिज्म) के पुरोधा बनकर राष्ट्रविरोधी आन्दोलनों में अग्रपंक्ति में दिखाई देते हैं.’

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के लिए बनी हुई योजनाएं, उपयोजनाएं व कई प्रकार के प्रावधान समय पर तथा ठीक से लागू करना इस बारे में केंद्र व राज्य शासनों को अधिक तत्परता व संवेदना का परिचय देने की व अधिक पारदर्शिता बरतने की आवश्यकता है.

संघ प्रमुख ने आगे कहा, ‘अपनी सेना तथा रक्षक बलों का नीति धैर्य बढ़ाना, उनको साधन-सम्पन्न बनाना, नयी तकनीक उपलब्ध कराना आदि बातों का प्रारम्भ होकर उनकी गति बढ़ रही है. दुनिया के देशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ने का यह भी एक कारण है.’

सबरीमाला का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा,’सबरीमाला देवस्थान के सम्बंध में सैकड़ों वर्षों की परम्परा,जिसकी समाज में स्वीकार्यता है,के स्वरूप व कारणों के मूल का विचार नहीं किया गया.धार्मिक परम्पराओं के प्रमुखों का पक्ष,करोड़ों भक्तों की श्रद्धा,महिलाओं का बड़ा वर्ग इन नियमों को मानता है,की बात नहीं सुनी गयी.’

अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समाज में सभी त्रुटियों को दूर कर, उसके शिकार हुए अपने बंधुओं को स्नेह एवं सम्मान से गले लगाकर समाज में सद्भावपूर्ण और आत्मीय व्यवहार का प्रचलन बढ़ाना पड़ेगा.

मोहन भागवत ने कहा, चुनाव में मतदान न करना अथवा नोटा के अधिकार का उपयोग करना, मतदाता की दृष्टि में जो सबसे अयोग्य उम्मीदवार है उसी के पक्ष में जाता है, इसलिए राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर 100 प्रतिशत मतदान आवश्यक है.

वहीं, इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि गरीब बच्चों के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. यह समृद्धि लाती है. उन्होंने आरएसएस का धन्यवाद करते हुए कहा कि आपने मुझे अपने स्थापना दिवस पर यहां आमंत्रित करके भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के करोड़ों वंचित और शोषित बच्चों की तरफ सम्मान, प्रेम और करुणा का हाथ बढाया है. मैं उन सबकी तरफ से आपका ह्रदय से आभारी हूं.

कैलाश सत्यार्थी ने कहा, मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के युवा मित्रों से प्रार्थना करता हूं कि वे भारत के वर्तमान और भविष्य को बचाने में अगुवाई करें.

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