नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार शाम को कोरोनावायरस महामारी को लेकर ऑनलाइन उद्बोधन दिया. उन्होंने कहा कि आज कोविड-19 से पूरी दुनिया जूझ रही है. संघ के सभी कार्यक्रम बंद हैं. हम घरों में रहकर ही इससे लड़ सकते हैं. सभी स्वयंसेवक रोज घरों में प्रार्थना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा कार्यक्रम जरूर बदल गया है लेकिन सेवा का काम चलता रहेगा.
पालघर में हुई घटना पर भागवत ने कहा, महाराष्ट्र में संन्यासियों की हत्या हुई, उपद्रवी लोगों ने किया है. उसका दुख सबके मन में हैं. धैर्य रखकर सारी बातें करनी चाहिए. 28 को उनको श्रद्धांजलि देने के लिए हम कुछ कार्यक्रम भी करेंगे.
संघ प्रमुख भागवत ने जोर देकर कहा कि कोरोनावायरस संकट को अवसर बनाकर हमें नया भारत को गढ़ना है. क्वालिटी वाले स्वदेशी उत्पादक बनाने पर हमें जोर देना है. हम सभी को स्वदेशी आचरण को अपनाना होगा. स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन गुणवत्ता में बिल्कुल उन्नीस ना हो. कारीगर, उत्पादक सभी को यह सोचना होगा. समाज और देश को स्वदेशी को अपनाना होगा. विदेशों पर आवलंबन नहीं होगा. हम लोग अपने यहां बनी वस्तुओं का उपयोग करेंगे. अगर उसके बगैर जीवन नहीं चलता है तो उसे अपनी शर्तों पर चलाएंगे.
इधर, विश्च हिंदू परिषद ने पालघर में हुई संतों व उनके चालक की हत्या पर 28 अप्रैल को देशव्यापी कार्यक्रम की घोषणा भी कर दी है. विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिन्द परांडे ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, हमारा संपूर्ण हिंदू समाज से आह्वान है कि मंगलवार को अपने घरों में ही रह कर पारिवारिक सत्संग कर और एक दीप जलाकर पालघर में मृत हुए संतों को श्रद्धांजलि दें. वहीं एक समय का उपवास रख महाराष्ट्र सरकार की सद्बुद्धि की प्रार्थना भी करें.
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संघ प्रमुख ने महाराष्ट्र के पालघर में हुई संतों की हत्या पर कहा कि महाराष्ट्र में संन्यासियों की हत्या हुई, उपद्रवी लोगों ने किया है. उसका दुख सबके मन में हैं. धैर्य रखकर सारी बातें करनी चाहिए. 28 को उनको श्रद्धांजलि देने के लिए हम कुछ कार्यक्रम भी करेंगे. वे उपद्रवी नहीं थे, लेकिन भीड़ ने उन्हें मार डाला. भागवत ने कहा अगर कोई घटना होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देनी है. भय और क्रोधवश होने वाले कृत्यों में हमें नहीं शामिल होना है और ये सभी अपने समाज को बताएं.
दो संन्यासियों की हत्या हुई, उसे लेकर बयानबाजी हो रही है लेकिन ये कृत्य होना चाहिए क्या, कानून हाथ में किसी को लेना चाहिए क्या, पुलिस को क्या करना चाहिए संकट के वक्त ऐसे में किंतु-परंतु होते हैं भेद और स्वार्थ होता है. हमें इन पर ध्यान ना देते हुए देशहित में सकारात्मक बनकर रहना चाहिए.
तबलीगी जमात से जुड़े विवाद की तरफ इशारा करते हुए संघ प्रमुख बोले कि अगर कोई डर या क्रोध से कुछ उलटा-सीधा कर देता है तो सारे समूह को उसमें लपेटकर उससे दूरी बनाना ठीक नहीं है. भड़काने वालों की कमी नहीं है और इसका लाभ लेने वाली ताकतें भी हैं. जिस तरह कोरोनावायरस का फैलाव अपने देश में हुआ है उसकी एक वजह यह भी है.
उन्होंने कहा, कोरोना से लड़ाई में सभी अपने हैं. मनुष्यों की सेवा में हम भेद नहीं करते हैं. सेवा कार्यों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. जो लोग भी सेवा के काम में लगे हैं, हमें उन्हें साथ में लेकर काम करना है. हमारी सेवा का आधार अपनत्व की भावना, स्नेह और प्रेम है.
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भागवत ने कहा, भारत तेरे टुकड़े होंगे..ऐसे कहने वालों से हमें बचना है. सावधान रहना है. हमारे मन में प्रतिक्रिया के रूप में कोई क्रोध नहीं होना चाहिए. सभी लोग भारत माता की संतान हैं. समाज के प्रमुख लोगों को यह बात देशवासियों को समझाने की जरूरत है. समाज का सर्वांगीण विकास हमारी प्रतिज्ञा है. हमें बिना भेदभाव के सभी के लिए सेवा कार्य करना है. हमें अपने पराए का भेद नहीं करना है. सभी अपने हैं और सभी की सेवा हमारा कर्तव्य है.
संघ प्रमुख ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि भारत ने जिस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था उसे दुनियाभर के देशों के मदद मांगने पर हटा दिया गया. हम लोग मदद में भी भेद नहीं करते है जो मदद मांगेगा हम उसकों मदद देंगे. जिसे मदद की आवश्यकता है उसकी मदद हमें करनी है. दुनिया की भलाई के लिए खुद थोड़ा नुकसान उठाकर भी दूसरे देशों की मदद के लिए इसको भेजी है.
भारत का सर्वदा ऐसा ही स्वभाव रहा है. हम खुद की चिंता केवल उतना ही करें कि हम काम करने लायक बचे रहें. सरकार के आयुष मंत्रालय ने जैसा काढ़ा बताया है वैसा पीएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और मास्क जरूर इस्तेमाल करें.