नई दिल्ली : संघ की आर्थिक इकाई के रूप में काम करने वाले स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है, ‘भारतीय लोगों को चीनी उत्पादों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. कश्मीर मामले में चीन का पाकिस्तान का साथ देने के बाद सरकार को उसे देने वाली व्यापारिक छूटों पर एक बार और विचार करना चाहिए.’
गुरुवार को साक्षात्कार के दौरान संघ से संबंधित स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि, ‘चीन की बड़ी तकनीकी कंपनियों जैसे हुवावे टेक्नॉलिजिस कार्पोरेशन को भारतीय बाज़ारों में मिलने वाली पहुंच पर रोक लगा देनी चाहिए. सरकार को राज्यों में चीनी कंपनियों को मिलने वाले टेंडर पर भी रोक लगानी चाहिए.’
फोन पर महाजन ने कहा, ‘चीन भारत के लिए सिर्फ कश्मीर के लिहाज से ही नहीं है बल्कि टेलीकॉम क्षेत्र में भी खतरा है. टेलीकॉम सेक्टर के लिए चीनी कंपनियां इसलिए खतरा है क्योंकि इनको राज्य सरकारों से आसानी से टेंडर मिल जाता है.’
महाजन ने कहा कि हमारे संगठन की तरफ से कुछ लोगों ने टेलीकॉम कंपनियों से 17 अगस्त को मुलाकात की और चीनी कंपनियों के इस क्षेत्र में आने पर रोक लगाने की मांग की. संगठन की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखी गई है जिसमें उनसे मांग की गई है कि चीनी कंपनियों पर रोक लगाई जाए. प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
ये पहली बार नहीं है कि संघ से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच चीनी उत्पादों पर रोक लगाने के लिए मांग कर रही हो. कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और स्वदेशी जागरण मंच ने इसी साल मार्च में चीनी उत्पादों पर रोक लगाने की मांग की थी.
दोनों संगठनों ने 2016 में दिवाली के मौके पर चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी लेकिन वो असफल रहे थे. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2016 में चीनी उत्पादों की बिक्री में 30% की कमी आई थी. ब्लूमबर्ग के अनुसार भारत को चीन से 53 बिलियन डॉलर का व्यापार में घाटा होता है.
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