नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मंगलवार को विजयादशमी के अवसर पर अपना 94वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस मौके पर संघ ने एचसीएल के संस्थापक शिव नडार को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है.
सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, ‘जनता ने सरकार में विश्वास दिखाया है. सरकार में जनभावना की समझ है. उन्होंने कहा देश में उत्साह और आत्मविश्वास का माहौल है. बहुत दिनों के बाद देश में कुछ अच्छा हो रहा है. सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं. इस सरकार में कड़े निर्णय लेने की क्षमता है.’
भागवत ने अपने संबोधन के दौरान मोदी सरकार की भी तारीफ की. उन्होंने कहा चंद्रयान मिशन ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है. हमें भारत को विश्व का सिरमौर बनाना है. इसके लिए हमें लंबा चलना है.’
सरसंघचालक ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को सरकार का बड़ा कदम बताया. उन्होंने कहा, ‘सेना का मनोबल और सीमाओं की चौकसी काफी अच्छी है. इसका प्रमाण पिछले कुछ सालों में हमें कई बार देखने को मिला है.’
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उन्होंने कहा, ‘देश के भीतर होने वाली उग्रवादी घटनाओं में भारी कमी आई है. उग्रवादी अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है.’
भागवत ने कहा, ‘मार्ग के रोड़े, बाधाएं और हमें रोकने की इच्छा रखने वाली शक्तियों के कारनामे अभी समाप्त नहीं हुए हैं. हमारे सामने कुछ संकट हैं जिनका उपाय हमें करना है. कुछ प्रश्न है जिनके उत्तर हमें देने हैं, और कुछ समस्याएं हैं जिनका निदान कर हमें उन्हें सुलझाना है.’
इस दौरान एक खास समुदाय को लेकर कहा, ‘सामाजिक हिंसा को लिंचिंग का नाम देना देश की छवि को खराब करने के लिए किया जा रहा है.’
सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.
हमारी स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमापर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा, ‘गत कुछ वर्षों में एक परिवर्तन भारत की सोच की दिशा में आया है. उसको न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी है और भारत में भी. भारत को बढ़ता हुआ देखना जिनके स्वार्थों के लिए भय पैदा करता है, ऐसी शक्तियां भी भारत को दृढ़ता व शक्ति से संपन्न होने नहीं देना चाहती.’
एचसीएल के संस्थापक शिव नडार है विशेष अतिथि
भागवत ने कहा, ‘समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है.’
मोहन भागवत से पहले कार्यक्रम को मुख्य अतिथि शिव नडार ने संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘मैं आप सभी को विजयादशमी की शुभकामनाएं देता हूं और मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि मुझे यहां आमंत्रित किया गया. रेशिमबाग का यह मैदान आज आरएसएस के कार्यकर्ताओं की ऊर्जा से जीवंत है.
नडार ने कहा, ‘देश कई सारी चुनौतियों का सामना कर रहा है. लेकिन इन सभी समस्याओं का सामाधान अकेली सरकार नहीं कर सकती है. निजी क्षेत्र, देश के नागरिक और गैर-सरकारी संगठनों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपना योगदान देना चाहिए.’
I wish all of you a very Happy Vijayadashami and I am honored and privileged to be invited to speak to you today and join in the Celebrations. The Reshimbagh ground has truly come alive today with the energy of all the RSS workers. – Shiv Nadar ji#RSSVijayaDashami pic.twitter.com/0Gw2yqvLTi
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आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शिव नडार का कार्यक्रम में स्वागत किया. कार्यक्रम शुरू होने से पहले मोहन भागवत नडार को संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार के समाधि स्थल पर ले गए. उसके बाद नडार संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव गोलवलकर की समाधि स्थल पर भी गए.
नागपुर में हो रहे इस कार्यक्रम में भाजपा के कई बड़े नेता भी मौजूद रहे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, वीके सिंह इस मौके पर मौजूद थे.
नडार के संबोधन से पहले संघ के स्वयंसेवकों ने पथ संचलन का प्रदर्शन किया. इस संचालन की अध्यक्षता संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत कर रहे थे.
बता दें कि आरएसएस की स्थापना साल 1925 में नागपुर में हुई थी. कांग्रेस के पूर्व नेता डॉ हेडगेवार ने कांग्रेस छोड़कर संघ की स्थापना की थी. 1940 में हेडगेवार की मृत्यु के बाद माधव सदाशिवराव गोलवलकर ने संघ की कमान संभाली. संघ की स्थापना 1925 में दशहरे के दिन ही हुई थी. इसलिए संघ हर साल विजयादशमी के दिन अपना स्थापना दिवस मनाता है. इस कार्यक्रम में आयुध पूजा भी होती है जिसमें शस्त्रों की पूजा की जाती है.
हर साल स्थापना दिवस के मौके पर संघ समाजिक क्षेत्र में काम कर रहे विशेष लोगों को स्थापना दिवस के दिन आमंत्रित करता है. पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. उनके जाने को लेकर काफी विवाद भी हुआ था.