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Sunday, 17 November, 2024
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रोहतक PGIMS के छात्रों ने फिर शुरू किया आंदोलन, बॉन्ड नीति पर खट्टर के साथ बैठक रही बेनतीजा

एमबीबीएस के छात्रों का कहना है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री का 10 लाख रुपये की अग्रिम पेमेंट वापस लेने का प्रस्ताव काफी नहीं है. उधर पीजीआईएमएस के प्रवक्ता के मुताबिक, इस मामले में उनके पास कोई अधिकार नहीं है. संस्थान तो सिर्फ आदेश लागू कर रहा है.

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रोहतक (हरियाणा): पंडित भागवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस रोहतक) के एमबीबीएस छात्र हरियाणा सरकार की बॉन्ड फी पॉलिसी वापस लेने की मांग को लेकर एक बार फिर से धरना प्रदर्शन पर बैठ गए हैं. इससे पहले शुक्रवार आधी रात को रोहतक पुलिस ने उनके साथ हाथापाई कर, बलपूर्वक उन्हें वहां से हटा दिया था.

रविवार की सुबह निदेशक कार्यालय के बाहर फर्स्ट और सेकेंड ईयर के मेडिकल छात्रों ने अपना मौन विरोध जताते हुए पोस्टर बनाए.

A medical student paints a poster during their silent protest at PGIMS-Rohtak on Sunday | The Print | Suraj Singh Bisht
पीजीआईएमएस-रोहतक में रविवार को मौन विरोध प्रदर्शन के दौरान एक मेडिकल छात्र का पेंट किया हुआ पोस्टर | दिप्रिंट | सूरज सिंह बिष्ट

हरियाणा सरकार ने एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी को अनिवार्य किया था, जिसके तहत छात्रों को शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में सालाना 10 लाख रुपये देने और 7 साल तक हरियाणा के सरकारी हॉस्पिटल में नौकरी करने की बात कही गई थी.

बॉन्ड में कहा गया है कि अगर हरियाणा में मेडिकल स्नातक अपनी डिग्री के बाद निजी नौकरी करना चाहते हैं, तो उन्हें सरकार को 40 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. जब हरियाणा सरकार ने इस साल एडमिशन के समय छात्रों को 10 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान करने के लिए कहा, तो उसके बाद से ही विरोध शुरू हो गया.

शनिवार को मुख्यमंत्री एम एल खट्टर से मुलाकात करने वाली द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रिया कौशिक ने कहा, ‘यह बॉन्ड कई गरीब छात्रों के करियर को दांव पर लगा देगा. गरीब परिवारों से आने वाले छात्र सरकारी कॉलेजों की तरफ इसलिए आते हैं ताकि उन्हें सस्ती दरों पर अच्छी शिक्षा मिल सके. यह बॉन्ड ऐसे मेधावी छात्रों को पूरी तरह से सिस्टम से बाहर कर देगा.’

हालांकि 11 सदस्यीय छात्र प्रतिनिधिमंडल ने खट्टर से मुलाकात की. लेकिन मेडिकल छात्र बातचीत के नतीजे से संतुष्ट नहीं हैं.

कौशिक ने आगे बताया, ‘सीएम ने कहा है कि अगर एमबीबीएस ग्रेजुएट सरकारी नौकरी पाने में विफल रहता है तो राज्य सरकार राशि को माफ कर देगी और छात्रों को अग्रिम 10 लाख रुपये का भुगतान करने के कदम को वापस ले लिया. हालांकि इस कदम से ये मसला पूरी तरह से सुलझता नजर नहीं आ रहा है. हम इस बॉन्ड को पूरी तरह से हटाना चाहते हैं.’

प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया था कि हरियाणा में और अधिक मेडिकल इंस्टीट्यूशन बनाने के लिए सरकार आर्थिक मदद के मकसद से बॉन्ड का प्रावधान लेकर आई थी.


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उधर खट्टर ने शनिवार को कहा था कि नीति का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा डॉक्टरों को सरकारी व्यवस्था में लाने का है. उनके मुताबिक, ‘अगर कोई डॉक्टर अपनी डिग्री पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी पाने में असमर्थ है, तो लोन को माफ कर दिया जाएगा.’

खट्टर ने कहा था कि छात्रों को अग्रिम राशि का भुगतान करने की जरूरत नहीं है. इसके बजाय उन्हें कॉलेज और बैंक के साथ एक बॉन्ड-कम-लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने की जरूरत है.

दिप्रिंट ने हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य, जी अनुपमा से फोन से संपर्क करने की कोशिश की थी. लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला है. प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

पीजीआईएमएस के एक प्रवक्ता ने दिप्रिंट को बताया कि संस्थान सिर्फ कार्यान्वयन करने वाली संस्था है. इस मामले में उनके पास कोई अधिकार नहीं है. प्रवक्ता ने कहा, ‘विरोध सरकार की नीति के खिलाफ है. हम छात्रों और अधिकारियों के बीच कम्युनिकेशन कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हमने शनिवार को सीएम और छात्र प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक भी कराई थी.’

छात्रों को हिरासत में लिया, एफआईआर दर्ज

रोहतक पुलिस का छात्रों के साथ मारपीट करने का वीडियो शुक्रवार को सोशल मीडिया पर सामने आया था. प्रदर्शन कर रहे छात्रों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया. शुक्रवार को 300 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया गया और शनिवार की देर शाम तक उन्हें स्टेशन में रखा गया.

पुलिस की कार्रवाई से नाराज छात्राओं ने दावा किया कि जब उन्हें थाने ले जाया जा रहा था तो वैन में कोई महिला कांस्टेबल मौजूद नहीं थी. छात्रों में से एक ने कहा, ‘जब हमारे लिए खाना लाया गया, तो (पुलिस) स्टेशन पर मौजूद कांस्टेबल उस खाने को ले गए और हमें खाने की अनुमति नहीं दी.’

MBBS students take break during their silent protest at PGIMS-Rohtak on Sunday | The Print | Suraj Singh Bisht
एमबीबीएस के छात्रों ने रविवार को पीजीआईएमएस-रोहतक में मौन विरोध प्रदर्शन से ब्रेक लेने के दौरान | दिप्रिंट | सूरज सिंह बिष्ट

पुलिस कार्रवाई राज्यपाल, मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के 5 नवंबर को दीक्षांत समारोह के लिए पीजीआईएमएस परिसर के दौरे से पहले हुई थी.

रोहतक के पुलिस अधीक्षक उदय सिंह मीणा ने छात्रों के दावों का खंडन किया और कहा कि पुलिस ने छात्रों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई हैं.

एसपी ने कहा, ‘चूंकि छात्र अपना विरोध करते हुए ऑडिटोरियम में आ गए थे, इससे सीएम के सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ एक समस्या पैदा हो गई. हमने छात्रों से वहां से आगे जाने का अनुरोध किया था. जब उन्होंने मानने से इनकार कर दिया तो हमें बल का प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा.’

उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने कम से कम बल का प्रयोग किया था. डॉक्टर मौन विरोध पर बैठे थे. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने कहा कि उनके पास जितनी भी महिला पुलिसकर्मियों थीं, सभी को तैनात किया गया था.

अज्ञात छात्रों के खिलाफ धारा 147(दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा), 186 (लोक सेवक को बाधित करना), 332 (लोक सेवक को नुकसान पहुंचाना), 353 (लोक सेवक पर हमला) और 427 (संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.


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बॉन्ड नीति

बॉन्ड नीति 6 नवंबर, 2020 को लागू हुई थी. इसमें कहा गया था कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए चुने गए उम्मीदवारों को हर शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में फीस घटाकर 10 लाख रुपये का वार्षिक बॉन्ड भरने की जरूरत है.

सरकार ने कहा था कि उम्मीदवार बिना लोन के पूरी बॉन्ड राशि का भुगतान कर सकते हैं. वरना सरकार उन्हें इस बॉन्ड राशि के लिए एजुकेशन लोन की सुविधा मुहैया कराएगी.

छात्रों और अभिभावकों ने दावा किया कि बॉन्ड यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि कोई छात्र 7 साल की सर्विस के दौरान स्नातक होने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकता है या नहीं.

संस्थान में मौजूद एक प्रदर्शनकारी छात्र के पिता अमित भारद्वाज ने कहा, ‘अगर मेरी बेटी ग्रेजुएट होने के बाद 7 साल तक सरकारी अस्पताल में काम करती है, तो वह पीजी कब करेगी? वह अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस कब शुरू करेगी? क्या वे चाहते हैं कि डॉक्टर 40 की उम्र में अपना करियर शुरू करें? हम उन्हें अपना करियर शुरू करने के लिए 40 लाख रुपये का भुगतान क्यों करें? क्या इन छात्रों ने पर्याप्त मेहनत नहीं की?’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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