नई दिल्ली: मणिपुर में पुलिस शस्त्रागार से हथियार लूटे जाने के महीनों बाद अब जाकर राज्य सरकार ने सभी अवैध हथियारों की बरामदगी के आदेश दिए हैं. सरकार ने लोगों से कहा है कि सभी “अवैध हथियारों” को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण किया जाए. जो यह नहीं करते हैं उनपर कड़ी कारवाई की जाएगी.
मई में शुरू हुई जातीय हिंसा के बीच शस्त्रागार लूटे जाने के बाद यह पहली बार है कि राज्य सरकार ने ऐसी चेतावनी जारी की है.
एक बयान में सरकार ने कहा कि वह 15 दिनों के भीतर ऐसे अवैध हथियारों को सरेंडर करने वाले व्यक्तियों पर विचार करने के लिए तैयार है. इसमें कहा गया है कि इस समय सीमा के बाद केंद्र और राज्य दोनों के सुरक्षा बल ऐसे हथियारों को बरामद करने के लिए पूरे राज्य में तलाशी अभियान चलाएंगे.
सरकार ने कहा, “किसी भी अवैध हथियार से जुड़े सभी व्यक्तियों से कानून के मुताबिक सख्ती से निपटा जाएगा.”
पिछले कुछ महीनों में पुलिस शस्त्रागारों और स्टेशनों से 200 से अधिक AK-47, 406 कार्बाइन, 551 इंसास राइफल और 250 मशीनगनों सहित हजारों छोटे हथियार लूटे गए हैं. इसके अलावा 6.5 लाख से अधिक गोला-बारूद भी लूटे गए हैं. पुलिस के मुताबिक ये लूटपाट मुख्य रूप से मैतेई के प्रभुत्व वाले इंफाल घाटी में हुए.
हालांकि, प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस बरामदगी नहीं हुई है. इसके चलते स्थानीय निवासियों के हाथों में हथियारों का जखीरा चला गया जिसके चलते हिंसा का चक्र और तेज़ हो गया है.
लोगों को हथियार छोड़ने के लिए प्रेरित करने के कई प्रयास – जैसे शांति समिति की बैठकें, स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में अपील और संयुक्त तलाशी अभियान – अब तक विफल रहे हैं.
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, चुराए गए 5,668 से अधिक अत्याधुनिक स्वचालित हथियारों में से अब तक लगभग 1,331 बरामद किए जा चुके हैं. सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इन हथियारों का इस्तेमाल “आम लोगों द्वारा हत्याओं को अंजाम देने के लिए खुलेआम किया जा रहा है”.
27 मई को, भीड़ ने इंफाल पूर्व के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र पर हमला कर दिया था और सेल्फ-लोडिंग राइफल (SLR), इंसास राइफल, हल्की मशीन गन, 303 राइफल, कार्बाइन सहित हथियारों का जखीरा लूट लिया गया था. साथ ही हथगोले, आंसू गैस के गोले और हजारों राउंड गोला बारूद भी लूटे गए थे.
कुकी-प्रभुत्व वाली पहाड़ियों के कुछ पुलिस स्टेशनों सहित कई जगहों पर पुलिस बटालियनों और स्टेशनों से हथियार भी चुराए गए थे.
शुरू में कुछ व्यक्तियों ने सरकार और स्थानीय नेताओं की अपील पर पेड़ों, खेतों और यहां तक कि कूड़े के ढेरों में हथियार छोड़ कर दिया. हालांकि, पुलिस का कहना है कि वह मामूली संख्या में थी.
बड़ी संख्या में हथियारबंद लोगों के खुलेआम घूमने के कारण, पूरे राज्य में, खासकर तलहटी में, रोजाना ताजा हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, जारी हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर 3 मई से जल रहा है, जब प्रमुख समुदाय मैतेई और आदिवासी कुकी के बीच जातीय तनाव पूरी तरह से हिंसा में बदल गया.
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‘अवैध हथियारों का इस्तेमाल कर रंगदारी वसूलना गंभीर मामला’
सरकार ने अपने बयान में यह भी कहा कि बदमाशों और समूहों द्वारा चोरी के हथियारों का इस्तेमाल कर जबरन वसूली, धमकी और अपहरण की खबरें आई हैं.
बयान में कहा गया, “यह एक गंभीर मामला है और राज्य सरकार राज्य के किसी भी हिस्से में ऐसे उपद्रवियों या समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.”
16 सितंबर को, मणिपुर पुलिस ने पांच सशस्त्र मैतेई लोगों को गिरफ्तार किया, जो कथित तौर पर कोंगबा क्षेत्र के आसपास एक इंसास और एक सेल्फ-लोडिंग राइफल सहित अत्याधुनिक हथियारों के साथ पुलिस की वर्दी में घूमते पकड़े गए थे.
बाद में उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.
पांच लोगों की गिरफ्तारी से इम्फाल घाटी में हिंसा की एक ताजा बाढ़ आ गई है, जो पिछले कुछ हफ्तों में अपेक्षाकृत शांत हो गई थी. इसके चलते पुलिस को क्षेत्र में एक बार फिर से कर्फ्यू लगाना पड़ा. हालांकि, इन लोगों को शुक्रवार को जमानत दे दी गई.
बयान में कहा गया, “सरकार राज्य के लोगों से राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में केंद्र और राज्य सरकार दोनों के साथ सहयोग करने की भी अपील करती है.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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