चंडीगढ़: केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अपने 23 साल के बेटे को खो देने वाली फिरोजपुर की 55 वर्षीय निंदर कौर ने कहा कि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद अब उनके बेटे की आत्मा को शांति मिली होगी.
प्रदर्शनकारी किसान नेताओं के अनुसार, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले करीब 700 किसानों में लवजीत सिंह भी शामिल था. इन किसानों की मौत अनेक कारणों से हुई जिनमें कड़कड़ाती सर्दी, सड़क हादसे, दिल का दौरा पड़ना और अन्य बीमारियां शामिल हैं.
मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है जिन्हें लेकर किसान पिछले साल से प्रदर्शन कर रहे हैं.
पंजाब के फिरोजपुर जिले के रहने वाले पांच किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन के दौरान जान गंवा दी. मारे जा चुके किसानों के परिवारों ने कानूनों को वापस लिये जाने की घोषणा पर संतोष जताया लेकिन कहा कि उनके परिवार के सदस्य अब वापस नहीं लौट सकते.
फिरोजपुर के ममदोत ब्लॉक के सवाई के गांव की रहने वाली निंदर कौर ने कहा कि उनके बेटे लवजीत की सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर मौत हो गयी थी. उसकी मृत्यु बुखार से हुई थी. उन्होंने कहा, ‘वह पहले दिन से आंदोलन का समर्थन कर रहा था और मुझसे कहा करता था कि एक दिन किसान जरूर जीतेंगे. इस खबर के बाद उसकी आत्मा को शांति मिली होगी.’
गुरुहरसहाय के पीपली चाक गांव की रहने वाली गुरमीत कौर (58) ने कहा कि उनके पति जरनैल सिंह (60) की इस साल जून में सिंघू बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गयी थी. कौर ने कहा कि उनके पति की ‘शहादत’ व्यर्थ नहीं गयी.
किसान मजदूर संघर्ष समिति के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि इस दिन को इतिहास में दर्ज किया जाएगा.
गुरमैल सिंह के 18 साल के बेटे जशन प्रीत सिंह की टीकरी बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी थी. चुके गांव के रहने वाले गुरमैल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके बेटे की शहादत बेकार नहीं गयी.
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