नई दिल्ली: लोकप्रिय एंटासिड रैनिटिडिन को मंगलवार को केंद्र सरकार की तरफ से जारी आवश्यक दवाओं की नई सूची से बाहर कर दिया गया. नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन (एनएलईएम) से हटाए जाने के दो साल पहले ही कई देशों में इस दवा की बिक्री रोकी जा चुकी है क्योंकि इसमें कैंसर पैदा करने वाले कंपाउंड पाए गए थे.
बहरहाल, एनएलईएम से बाहर होने का मतलब यह नहीं है कि रैनटैक और जैनटैक ब्रांड नाम से जानी जाने वाली यह दवा अब भारत में उपलब्ध नहीं होगी.
रैनिटिडीन 2019 से जांच के दायरे में है, जब लैब टेस्ट से पता चला कि इसमें संभवत: एन-नाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) नामक एक कार्सिनोजेनिक कंपाउंड पाया जाता है.
2020 तक यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) और यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) सहित दुनियाभर के कई प्रमुख दवा नियामकों ने इस दवा की बिक्री को रोक दिया था.
हालांकि, रैनिटिडिन भारत में आराम से उपलब्ध है. इसके लिए डॉक्टर के पर्चे की भी जरूरत नहीं होती है और अधिकांश केमिस्ट आसानी से रैनिटिडिन की 40-टैबलेट स्ट्रिप आपको दे देंगे, जिसकी कीमत मात्र 30 रुपये है.
आवश्यक दवा सूची में शामिल सभी दवाओं को सरकार की तरफ से तय मूल्य से नीचे बेचा जाना होता है लेकिन सूची से हटाने के बाद आमतौर पर दवा की उपलब्धता प्रभावित नहीं होती, जब तक कि मैन्युफैक्चरर किसी कारणवश कीमतों में बड़े पैमाने पर कोई वृद्धि न कर दें.
एक फार्मा ट्रेड एसोसिएशन ऑल-इंडियन ओरिजिन केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (एआईओसीडी) लिमिटेड के पास उपलब्ध डेटा बताता है कि तमाम चिंताओं के बावजूद अगस्त 2021 से अगस्त 2022 के बीच रैनिटिडिन की बिक्री में सिर्फ दो प्रतिशत की गिरावट दिखी. डॉक्टरों की तरफ से इस दवा को लिखे जाने में भी मामूली कमी ही आई है.
इसके अलावा, चूंकि रैनिटिडिन दवा की दुकानों में आसानी से उपलब्ध है, लोग इसे डॉक्टर की सलाह के बिना भी खरीदते हैं. कीमत कम होना भी इसकी बड़ी वजह है, और साथ ही तमाम लोग इसके खतरों से अनजान हैं.
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सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवा, लेकिन बिक्री में मामूली गिरावट आई
दिप्रिंट ने जब कुछ दवा की दुकानों का दौरा किया तो पाया कि काउंटर पर रैनिटिडीन आसानी से उपलब्ध है.
दिल्ली में सरिता विहार स्थित एक फार्मेसी चलाने वाले ने पूरे भरोसे के साथ यह दवा लेने को कहा. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास जैनटैक तो नहीं है लेकिन मैं आपको रैनटैक 50 दे सकता हूं. हम हर दिन इसकी कई स्ट्रिप्स बेचते हैं. यह एसिडिटी की दवा है, और बहुत असरदार है. मैं किसी दुष्प्रभाव के बारे में नहीं जानता.’
एआईओसीडी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि जैनटैक ब्रांड नाम था जिसके तहत ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन रैनिटिडीन बेचती थी.
2019 में ग्लैक्सो ने एनडीएमए के नतीजों का हवाला देते हुए स्वेच्छा से भारत के साथ-साथ अन्य बाजारों से भी अपने रैनिटिडीन उत्पादों को हटा लिया था.
एआईओसीडी के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी संदीप नांगिया ने बताया, ‘ग्लैक्सो के यह दवा बाजार से वापस लेने के बाद इसकी बिक्री पहले की जिनती नहीं रही. हालांकि, मेरे पास इस पर पूरा डेटा नहीं है. लेकिन दो या तीन भारतीय कंपनियां ने दवा का निर्माण जारी रखा.’
वहीं, एआईओसीडी महासचिव राजीव सिंघल ने स्पष्ट किया कि बिक्री घटी है, लेकिन इसमें कोई बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है. अगस्त 2021 से अगस्त 2022 के बीच की अवधि के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘मैंने आंकड़े देखे हैं और इसमें सिर्फ 2 प्रतिशत की गिरावट आई है.’
दवाओं की कीमतें एक निश्चित सीमा के भीतर रखने वाली आवश्यक दवा सूची से इसे हटाने के संभावित असर पर सिंघल ने कहा, ‘ज्यादातर बिक्री काउंटर पर होती है. यह कहना मुश्किल है कि एनएलईएम से हटाने का क्या असर होगा. यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे मार्जिन बढ़ाना चाहते हैं या नहीं. लेकिन यह सच है कि यह दवा अपनी कीमत के कारण ही ज्यादा लोकप्रिय है.’
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कीमत कम, वैकल्पिक दवाएं नुकसानदेह
दिप्रिंट ने जिन डॉक्टरों से बात की, उनका कहना है कि रैनिटिडीन को प्रेस्क्राइब किया जाना खासकर बड़े शहरों में, पिछले कुछ सालों में काफी कम हो गया है.
एक प्रतिष्ठित निजी हॉस्पिटल चेन से जुड़े एक वरिष्ठ सर्जन ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘डॉक्टर अभी भी यह दवा लिख रहे हैं लेकिन यह पहले की तुलना में बहुत कम हो गया है. मान लो हम इसे पहले 10 मरीजों को लिख रहे थे, तो अब हम इसे दो को ही प्रेस्क्राइब करते हैं.’
सर्जन के मुताबिक, रैनिटिडिन सुझाने का एक प्रमुख कारण इसकी कीमत कम होना भी है. उन्होंने कहा, ‘इसकी वैकल्पिक दवाएं ओमेप्राजोल और पैंटोप्राजोल आदि की कीमत 7-8 रुपये प्रति टैबलेट पड़ती है. जबकि इसकी कीमत 3-4 रुपये या कभी-कभी इससे भी कम होती है. लेकिन इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा उन अस्पतालों और क्लीनिकों में किया जाता है जहां आने वाले मरीजे ज्यादातर गरीब लोग होते हैं.’
अन्य चिकित्सकों ने भी रैनिटिडिन के कुछ विकल्पों जैसे पैंटोप्राजोल के दुष्प्रभावों की ओर इशारा किया, जिनके बारे में कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इससे हड्डियों और किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के इंटर्नल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. एस. चटर्जी ने कहा कि रैनिटिडीन की लोकप्रियता इसी कारण कुछ ज्यादा बढ़ी है.
उन्होंने कहा, ‘रैनिटिडाइन एक बहुत पुरानी दवा है जिसका इस्तेमाल तब और ज्यादा बढ़ गया जब यह पाया गया कि पैंटोप्राजोल जैसे विकल्पों का लंबे समय तक उपयोग करना हड्डियों और किडनी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. तभी लोगों ने प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (जैसे पैंटोप्राजोल) की जगह रैनिटिडिन को अपनाना शुरू कर दिया.’
चटर्जी ने यह भी कहा कि दवाओं को लेकर बहुत ज्यादा ‘सख्त प्रतिक्रियाओं’ से बचने की जरूरत है क्योंकि साक्ष्य अमूमन बदलते रहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में इसके (रैनिटिडाइन के) दुष्प्रभावों को लेकर कुछ रिपोर्टें आई हैं लेकिन अक्सर समय के साथ बदल जाने वाले साक्ष्यों के आधार पर दवाओं का इस्तेमाल करने या इसे बंद कर देने के बजाये मरीजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी दवा को लंबे समय तक इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि एफडीए की कार्रवाई के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे लेकिन ये साक्ष्य समय के साथ बदलते भी रहते हैं. हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा.’
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एफडीए ने रैनिटिडाइन की बिक्री पर क्यों लगाई रोक
एफडीए ने शुरू में 2019 में रैनिटिडिन के बारे में एक चेतावनी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि इसका इस्तेमाल कर रहे लोग अपने डॉक्टरों की सलाह से अन्य दवाओं को अपनाएं.
इस सलाह को अप्रैल 2020 में अपग्रेड किया गया और एजेंसी ने रैनिटिडिन में एनडीएमए, एक संभावित मानव कार्सिनोजेन (जो कैंसर का कारक बन सकता है) की मौजूदगी को देखते हुए इसे बाजार से हटाने की पहल की.
एफडीए ने अपने अप्रैल 2020 के बयान में कहा, ‘2019 की गर्मियों में एफडीए को एक स्वतंत्र लैब टेस्ट के बारे में पता चला जिसमें रैनिटिडीन में एनडीएमए पाया गया था. थोड़ी-बहुत मात्रा में एनडीएमए आमतौर पर आहार में शामिल होता है, उदाहरण के तौर पर एनडीएमए खाद्य पदार्थों और पानी में मौजूद होता है. हालांकि, इतने कम स्तर से कैंसर के खतरे के खतरे की बहुत ज्यादा संभावना नहीं होती. हालांकि, निरंतर इसका इस्तेमाल करना मनुष्यों में कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है.’
बयान के मुताबिक, इससे पहले, एफडीए के पास ऐसी किसी सिफारिश के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे कि लोगों को दवा लेना जारी रखना चाहिए या नहीं. लेकिन अब, ‘एफडीए टेस्टिंग और मूल्यांकन में थर्ड पार्टी लैब्स से मिली जानकारी के आधार पर यह पुष्टि होती है कि सामान्य तरीके से स्टोरेज की स्थिति में भी रैडिटिडीन में एनडीएमए का स्तर बढ़ जाता है, और उच्च तापमान पर स्टोर किए गए नमूनों में एनडीएमए में काफी ज्यादा वृद्धि पाई गई है.’
बयान में कहा गया है कि परीक्षण से पता चला है कि रैनिटिडिन उत्पाद जितना पुराना होगा, एनडीएमए का स्तर उतना ही अधिक होगा. बयान में कहा गया है, ‘ये स्थितियां रैनिटिडीन उत्पाद में एनडीएमए के स्तर को स्वीकार्य दैनिक सेवन सीमा से ज्यादा कर सकती हैं.’
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एनडीएमए आखिर है क्या?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की तरफ से एनडीएमए को ‘एक वाष्पशील, दहनशील, पीले, तैलीय तरल नाइट्रोसामाइन बताया गया है जिसमें बेहोश करने वाली एक खास गंध होती है और जो प्रकाश के संपर्क में आने पर विघटित हो जाता है और गर्म होने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड के जहरीले धुएं का उत्सर्जन करता है.’
लैब में इसका उपयोग अक्सर परीक्षण के लिए इस्तेमाल जानवरों में ट्यूमर के लिए किया जाता है, लेकिन यह प्रिजर्व किए गए मीट को पकाने के दौरान स्वाभाविक रूप से भी उत्पन्न हो सकता है. हालांकि, एनडीएमए का निम्न स्तर ज्यादा खतरनाक नहीं पाया गया है.
ईएमए का कहना है कि जानवरों पर अध्ययन के आधार पर एनडीएमए को कार्सिनोजेन के तौर पर क्लासीफाइड किया गया है.
यद्यपि रैनिटिडीन भारत में एनडीएमए को लेकर चर्चा का विषय रही है, लेकिन कई अन्य दवाएं हैं जिनमें इस रसायन की परिवर्तनीय मात्रा पाई जाती है.
केमिकल एंड इंजीनियरिंग न्यूज जर्नल में अप्रैल 2020 के एक लेख में दावा किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर की प्रयोगशालाओं ने विभिन्न दवाओं में एनडीएमए और अन्य एन-नाइट्रोसामाइन कंटामिनैंट पाए हैं.
लेख में कहा गया है, ‘2018 में सबसे दवा निर्माता नोवार्टिस के सक्रिय फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट वाल्सर्टन में इसका पता लगा था. वाल्सर्टन एक एंजियोटेंसिन-2 रिसेप्टर ब्लॉकर (एआरबी) है जिसका उपयोग उच्च रक्तचाप के इलाज में किया जाता है. इसके बाद से एनडीएमए और इसी तरह के यौगिक कम से कम छह दवाओं में पाए गए हैं जिन्हें हर साल लाखों लोग लेते हैं.’
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