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Wednesday, 8 May, 2024
होमहेल्थअमेरिकी स्टडी का दावा- अगर आपका ब्लड ग्रुप A है तो कम उम्र में स्ट्रोक के खतरे की संभावना ज्यादा

अमेरिकी स्टडी का दावा- अगर आपका ब्लड ग्रुप A है तो कम उम्र में स्ट्रोक के खतरे की संभावना ज्यादा

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के शोधकर्ताओं ने जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक पेपर में ब्लड ग्रुप को कम उम्र में होने वाले स्ट्रोक के जोखिम से जोड़ा है. उनके मुताबिक, ब्लड टाइप O वाले लोगों में इसका जोखिम सबसे कम है.

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नई दिल्ली: A ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कम उम्र में स्ट्रोक आने की संभावना ज्यादा होती है, जबकि बाकी ब्लड ग्रुप की तुलना में, O टाइप वाले लोगों में ऐसा होने का जोखिम सबसे कम पाया गया. एक अमेरिकी अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है.

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन (यूएमएसओएम), बाल्टीमोर के शोधकर्ताओं ने गुरुवार को पीयर-रिव्यूड मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक लेख में ब्लड ग्रुप को कम उम्र में स्ट्रोक के जोखिम से जोड़ा है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों में अन्य ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में कम उम्र में स्ट्रोक होने का खतरा 18 प्रतिशत ज्यादा था. जबकि O ब्लड ग्रुप वाले लोगों में यह जोखिम 12 प्रतिशत से कम था.

स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग के एक हिस्से में ब्लड की सप्लाई बंद हो जाती है. ऐसा या तो रक्त वाहिका के फटने या दिमाग की नसों में खून बहना रूकने (ब्लॉकेज) के कारण हो सकता है. स्ट्रोक से होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है और मरीज को कितनी जल्दी चिकित्सा देखभाल मिलती है.

अध्ययन के सह-प्रमुख इन्वेस्टिगेटर स्टीवन जे किटनर, एमडी, एमपीएच, यूएमएसओएम में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर और मैरीलैंड मेडिकल सेंटर यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट ने एक प्रेस बयान में कहा, ‘कम उम्र में स्ट्रोक आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. इन लोगों के इससे मरने की संभावना ज्यादा है और बचे लोगों को संभावित रूप से दशकों तक विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है. इसके बावजूद कम उम्र में होने वाले स्ट्रोक के कारणों पर बहुत कम शोध हुआ है.’

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अध्ययन में कम उम्र में होने वाले स्ट्रोक को 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति में होने वाले स्ट्रोक के रूप में परिभाषित किया गया है.

बयान में किटनर के हवाले से कहा गया, ‘हम अभी भी नहीं जानते हैं कि ब्लड ग्रुप ए में इसका ज्यादा जोखिम क्यों है, लेकिन इसका जुड़ाव कहीं न कहीं ब्लड क्लोटिंग के कारकों जैसे प्लेटलेट्स और कोशिकाओं के साथ जुड़ा है जो रक्त वाहिकाओं के साथ-साथ अन्य सर्कुलेटिंग प्रोटीन को कवर करते हैं, ये सभी ब्लड क्लोटिंग के लिए जिम्मेदार होते हैं. बढ़ते स्ट्रोक जोखिम के कारणों के बारे में और गहराई से पता लगाने के लिए हमें साफ तौर पर ज्यादा फॉलो-अप स्टडीज की जरूरत है.’

50 से ज्यादा संस्थानों के सह-लेखकों को सूचीबद्ध करने वाले इस अध्ययन को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स के सहयोग के साथ किया गया था.

अन्य बीमारियों से भी ब्लड ग्रुप का लिंक

कई अन्य बीमारियों में भी ब्लड ग्रुप और बीमारी के जोखिम के बीच की कड़ी मौजूद है. पहले के अध्ययनों से पता चला है कि ब्लड ग्रुप O की तुलना में, ब्लड ग्रुप A और B वाले लोगों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस होने का ज्यादा जोखिम होता है. इस बीमारी में पैरों की पिंडलियों या निचले हिस्से में ब्लड क्लॉट बन जाते हैं. ये खून के थक्के स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट का कारण भी बन सकते हैं.

इसके अलावा व्यक्ति का ब्लड ग्रुप गुर्दे की पथरी, गर्भ के समय में हाई बीपी और ब्लीडिंग होने की संभावना जैसे जोखिमों से भी जुड़ा है.

एक वैज्ञानिक पत्रिका PLOS One में 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन में ब्लड ग्रुप को कैंसर होने के बढ़ते जोखिम की संभावना के साथ जोड़कर देखा गया था. यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने लिखा, ‘ब्लड टाइप ए की तुलना में देखें तो ब्लड टाइप बी में सभी तरह के कैंसर होने का जोखिम काफी कम है. दोनों ब्लड टाइप बी और एबी क्रमशः गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर के काफी कम जोखिम से जुड़े थे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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