नई दिल्ली: जाने माने शायर, गीतकार राहत इन्दौरी का आज शाम 5 बजे हृदयघात से निधन हो गया. पिछली रात ही उन्होंने ट्वीट कर अपने कोरोना पॉजिटिव पाए जाने और इंदौर के ऑरबिंदो हस्पताल में भर्ती होने की सूचना देते हुए अपने प्रशंसकों से बीमारी को हरा देने की दुआ करने को कहा था.
इन्दौरी साहब के निधन के साथ ही देश भर में शोक की लहर दौड़ गयी है. इन्दौरी साहब समकालीन उर्दू शायरी का एक मशहूर नाम थे जिन्होंने अपनी शायरी से आम और ख़ास हर किसी के दिल में एक मुकाम बनाया. उनकी कलम जहां एक ओर समाज की कुरीतियों की ओर चोट करती वहीं अपने ख़ास अंदाज़-ऐ -बयां से युवाओं के चहेते और मंचों व कवि सम्मेलनों की शान बने रहे.
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उनका लिखा शेर ‘सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है,’ इस साल खासा चर्चा में रहा और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में खूब इस्तेमाल किया गया.
इसी साल उनके द्वारा एक मुशायरे में पढ़ी गयी अपनी नज़्म ‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ भी टिक टोक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खासी वायरल हुई थी.
इन्दौरी साहब ने न सिर्फ उर्दू में अपनी छाप छोड़ी बल्कि कई हिंदी गाने भी लिखे. उन्होंने ‘दिल को हज़ार बार रोका’, ‘तुमसे कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है’, ‘नींद चुराई मेरी’ जैसे चर्चित गीत बॉलीवुड के लिए लिखे.
उनकी बेबाकी और मुंहफट अंदाज ने भी देश से लेकर दुनियावालों का खूब दिल जीता. वह जितना देश से प्यार करते थे उतना ही इंदौर से भी प्यार करते थे. पिछले दिनों जब कोविड संक्रमण के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों पर इंदौर में पत्थर बरसाए तो उन्होंने इसका विरोध किया था. उन्होंने इस दौरान दिप्रिंट से बातचीत में कहा था, मैं शर्मसार हूं.’ इसके बाद उन्होंने लिखा था, ‘तुमको समझ ना आया मगर साफ-साफ था. जो कुछ किया है तुमने, तुम्हारे खिलाफ था.‘
उनकी ऐसी ही कुछ दमदार रचनाओं से हम आपको रूबरू करवा रहे हैं
1. ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
2. हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं
3. आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
4. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
5.बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
6. घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
7. मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
8. कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
9. जुगनुओं को साथ ले कर रात रौशन कीजिए
रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी
10. मैं मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना.