नांगल: 2010 में पंजाब के रूपनगर ज़िले में एक स्कूल प्रिंसिपल ने कथित रूप से नाबालिग़ छात्रों पर यौन हमले किए थे. एक दशक से अधिक तक गांव में उसके बारे में चुपके-चुपके फुसफुसाहट होती थी, लेकिन किसी ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं की. फिर 15 फरवरी को प्रिंसिपल के 190 से अधिक फोटो और वीडियो, सोशल मीडिया पर लीक होकर वायरल हो गए, जिसमें वो कथित रूप से तीन नाबालिग कन्याओं के साथ सेक्स करता नज़र आ रहा था.
फोटोग्राफ्स और वीडियोज़ के आधार पर, सामाजिक कार्यकर्त्ता समूह भीम आर्मी के सदस्य और हाल ही में संपन्न हुए पंजाब असेम्बली चुनावों में (जिनके नतीजे अभी घोषित होने बाक़ी हैं) श्री आनंदपुर साहिब से निर्दलीय उम्मीदवार, अश्विनी कुमार ने 20 फरवरी को धीमान के खिलाफ नांगल पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा दी. नांगल पुलिस उपाधीक्षक सतीश कुमार ने पुष्ट किया कि प्रिंसिपल को 24 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया और उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (सरकारी कर्मचारी द्वारा अपनी स्थिति का फायदा उठाकर किसी महिला का रेप करना) और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) की संबंधित धाराओं के तहत मुक़दमा क़ायम किया गया है.
दिप्रिंट ने वो फंसाने वाली तस्वीरें देखी हैं, जिनमें नांगल शहर से क़रीब 7 किलोमीटर दूर स्थित नंग्रान कलमोट गांव में, एसडी नेशनल स्कूल के प्रिंसिपल को कथित रूप से तीन नाबालिग कन्याओं के साथ सेक्स करते हुए दिखाया गया था.
एफआईआर के अनुसार, जिसे दिप्रिंट ने भी देखा है (और जांच अधिकारी नवदीप कौर की मदद से गुरमुखी से अनुवाद कराया है), शिकायतकर्त्ता ने आरोप लगाया है कि नंग्रान और पासीवाल गांवों के बहुत से निवासियों ने पहले भी, धीमान को लेकर ज़िला प्रशासन से कई बार शिकायतें की थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि अभियुक्त कथित रूप से एक ‘कांग्रेस नेता’ है.
एफआईआर में कहा गया है, ‘मैं कहना चाहता हूं कि इस व्यक्ति के राजनीतिक दलों के साथ रिश्ते हैं. वो कांग्रेस पार्टी का एक नेता है. पहले वो नंग्रान गांव का सरपंच था. मेरे क्षेत्र के बहुत से लोगों ने इस बारे में ज़िला प्रशासन और मौजूदा विधायक से शिकायत की है, लेकिन क्योंकि वो कांग्रेस का आदमी है, इसलिए किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की.’
उपरोक्त कांग्रेस विधायक हैं पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह, जिन्होंने दिप्रिंट के पूछने पर इस बात से इनकार किया, कि धीमान का पार्टी के साथ कोई संबंध था. उन्होंने इससे भी इनकार किया कि उन्हें धीमान के हाथों छात्राओं के उत्पीड़न की कोई जानकारी थी.
अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कथित घटना के इतने सालों के बाद फोटो और वीडियो ऑनलाइन कैसे लीक हुए, लेकिन पुलिस ने नंग्रान के फार्मेसिस्ट और धीमान के मित्र शिव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, चूंकि जांच के दौरान ये तस्वीरें उसके कब्ज़े में पाई गईं. उस पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (ए) और (बी), और पॉक्सो एक्ट की धाराओं 14 तथा 15 (अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग और अश्लील सामग्री का भंडारण) के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है. जांच अधिकारी कौर ने कहा, ‘शिव कुमार ने क़बूल कर लिया है कि उसने ये फुटेज धीमान के कंप्यूटर से चुराई थी, लेकिन हम फिर भी जांच कर रहे हैं कि ये फुटेज व्हाट्सएप पर कैसे लीक हुई. अभियुक्त धीमान ने आरोप लगाया है कि शिव कुमार ने उसे ब्लैकमेल करने के लिए इस फुटेज का इस्तेमाल किया’.
कौर ने आगे कहा कि अभी तक स्पष्ट नहीं है कि ये कथित ब्लैकमेल कितने समय से चल रहा था और शिव कुमार की क्या मांगें रहीं थीं. उन्होंने कहा, ‘हम अभी जांच कर रहे हैं’.
पुलिस के अनुसार, धीमान के कथित यौन हमलों का शिकार हुई किसी भी पीड़ित ने आगे आकर अभी तक उसके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है. कौर ने कहा, ‘हम पीड़ितों के संपर्क में हैं और कोशिश कर रहे हैं कि वो (आपराधिक प्रक्रिया संहिता की) धारा 164 के तहत, किसी जज के सामने अपने बयान दर्ज करा लें. लेकिन महिलाओं को लगता है कि इससे उनका जीवन बाधित हो जाएगा, इसलिए किसी ने अभी तक शिकायत दर्ज नहीं कराई है’.
दिप्रिंट ने शनिवार को धीमान के घर का दौरा किया, लेकिन उसके परिवार के सदस्य उस समय वहां मौजूद नहीं थे.
इस बीच शिव कुमार की पत्नी ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहती थीं, दावा किया: ‘शिव कुमार को मालूम था कि धीमान एक ख़राब आदमी था, और वो कई वर्षों से उससे बात नहीं कर रहा था. धीमान उसे फंसाने की कोशिश कर रहा है’.
गांववासी कहते हैं कि उन्हें पता था, लेकिन वो कभी पुलिस के पास नहीं गए.
अमृतपाल धीमान 1996 से एक अध्यापक रहा है. कौर ने बताया कि वो अंग्रेज़ी पढ़ाता है और उसकी एक पत्नी तथा एक दत्तक पुत्री है. वो दो बार नंग्रान का सरपंच रह चुका है, और स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले साल ही वो इस पद से हटाया गया था. ग्रामीणों का ये भी दावा है कि वो एक ब्लॉक-स्तर का कांग्रेस नेता है.
धीमान ने पहली बार 2002 में नंग्रान के पास पासीवाल गांव में, एसडी नेशनल पब्लिक स्कूल खोला था. लेकिन 2016 में कथित रूप से गांव वासियों के विरोध प्रदर्शन के बाद, स्कूल को बंद कर देना पड़ा था. दिप्रिंट से बात करते हुए अश्विनी कुमार ने कहा, ‘पंचायत सदस्यों को स्कूल में उसकी बुरी हरकतों के बारे में पता चला, और उन्होंने सरपंच तथा राणा केपी सिंह से कहा, कि उसे गांव छोड़ जाने के लिए कहें. उसके बाद उसने यहां नंग्रान में दूसरा स्कूल खोल लिया’.
धीमान ने 2017 में उसी नाम से नंग्रान में एक स्कूल खोल लिया.
पुलिस ने बताया कि धीमान छात्राओं पर अपने कथित यौन हमलों को रिकॉर्ड कर लेता था और फिर उन्हें धमकी देता था कि अगर उन्होंने किसी को बताया, तो वो उनके फोटो लीक कर देगा, या उन्हें इम्तिहान में फेल कर देगा.
नंग्रान में गांववासियों ने दिप्रिंट को बताया, कि उन्हें मालूम था कि स्कूल में क्या चल रहा था, लेकिन उन्होंने उस ओर से आंखें फेर रखीं थीं. नाम न बताने की शर्त पर एक निवासी ने कहा, ‘हमने अपने बच्चों को कभी इस स्कूल में नहीं भेजा. पड़ोस के पासीवाल, पलड़ी, और पजरी गांवों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते थे. इसकी बदनामी की वजह से हम अपने बच्चों को वहां पढ़ने के लिए नहीं भेजते थे’.
पासीवाल के निवासियों ने भी कहा कि वो धीमान के हाथों छात्राओं के कथित उत्पीड़न से ‘वाकिफ’ थे, लेकिन कभी पुलिस के पास नहीं गए क्योंकि उससे समुदाय की ‘बदनामी’ हो जाती.
इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि एएसआई कौर ने, कथित उत्पीड़न के प्रति अनभिज्ञता ज़ाहिर की, और कहा कि इससे पहले कोई पुलिस के पास नहीं आया था.
इस बीच, जिन छात्राओं का धीमान के हाथों कथित उत्पीड़न हुआ, उन्हें बरसों तक इस सदमे के साथ जीना पड़ा है. अश्विनी कुमार ने कहा, ‘मैंने लीक हुए वीडियोज़ में शामिल महिलाओं से संपर्क किया और उनसे कहा कि आगे आकर अपनी व्यथा बताएं, लेकिन वो झिझकती हैं क्योंकि अब वो विवाहित हैं और उनके बच्चे हैं, जिससे उन्हें डर है कि उनके विवाहित जीवन में परेशानी आ जाएगी’.
पासीवाल और नंग्रान दोनों के निवासियों का कहना था कि शिवकुमार ने अतीत में उन्हें धीमान द्वारा छात्राओं के कथित शोषण की रिकॉर्डिंग्स दिखाईं थीं. एक ग्रामवासी ने बताया, ‘शिवकुमार को गप-शप करने में मज़ा आता था. वो कुछ लोगों के एक ग्रुप को वो फुटेज दिखाता था, और उनसे किसी को न बताने के लिए कहता था, लेकिन उसके बाद फिर यही करता था’. कौर ने कहा कि ये स्पष्ट नहीं है कि अभियुक्त अभी भी अपनी छात्राओं पर यौन हमले करता रहा था.
कौर के अनुसार, पुलिस ने धीमान के फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है, जिससे पता चल सके कि यौन हमले कितने समय से चल रहे थे, और वो पासीवाल के एसडी नेशनल स्कूल में हुए या नंग्रान के. उन्होंने कहा, ‘अभियुक्त ने हमसे स्वीकार किया कि उसने उन छात्राओं का यौन शोषण किया, जिन्हें वो 2010 में निजी ट्यूशन देता था. हम जांच से ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, कि क्या वो अपनी मौजूदा छात्राओं का भी यौन शोषण करता रहा है’.
शनिवार को जब दिप्रिंट ने वहां का दौरा किया, तो नंग्रान गांव के बीच में स्थित धीमान का दो-मंज़िला सह-शिक्षा स्कूल बंद था. ग्राउण्ड फ्लोर पर क़रीब आठ कमरे हैं और पहली मंज़िल पर बन रहे क्लास रूम्स अभी निर्माणाधीन हैं. एक ख़स्ताहाल पीली बस जिसके चारों टायर पंक्चर थे, खेल के मैदान के बीच में खड़ी थी. कुछ ज़ंग लगे हुए झूले थे जिन्हें लगता है सालों से इस्तेमाल नहीं किया गया था.
ये एक सेकंडरी स्कूल है जहां 10वीं तक की पढ़ाई होती है. लेकिन धीमान ने कथित रूप से स्कूल परिसर का इस्तेमाल, ऐसी लड़कियों को प्राइवेट ट्यूशन देने के लिए किया, जो ओपन स्कूल सिस्टम के तहत 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़तीं थीं.
कौर ने कहा कि पुलिस भी निश्चित नहीं है, कि स्कूल में कितने बच्चों ने दाख़िला लिया हुआ है.
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पूर्व-छात्र ने घटना को याद किया
इसी बीच धीमान के पासीवाल स्कूल के एक 33 वर्षीय पूर्व छात्र रवि कुमार ने भी आरोप लगाया कि प्रिंसिपल हमेशा एक अजीब चापलूस सा आदमी लगता था, जो लड़कियों को ‘छुआ’ करता था.
रवि कुमार के अनुसार, स्कूल में एक ‘अंधेरा सा कमरा’ था जहां फाइलें रखी जातीं थीं और फीस एकत्र की जाती थी. उसमें फाइलों के रैक थे, दो छोटे बेड थे और एक कंप्यूटर था. उसने कहा कि छात्रों को इसके अंदर घुसने की इजाज़त नहीं थी.
कुमार ने 2005 की एक घटना को याद किया, जिसमें उसने स्कूल के समय के बाद, धीमान को एक छात्रा के साथ उस कमरे में घुसते हुए देखा था.
उसने आरोप लगाया, ‘वो 2005 का अक्तूबर था. मैं अपना क्रिकेट का बल्ला स्कूल में भूल आया था, इसलिए उसे लेने के लिए शाम 7 बजे वापस वहां गया. मैंने धीमान, एक अध्यापक, और एक छात्रा को स्कूल में देखा. मुझे और मेरे दोस्त को वहां देखकर वो सब घबरा गए, और उन्होंने हमसे कहा कि हम वापस चले जाएं, और अपना बल्ला अगले दिन स्कूल से ले लें’.
लेकिन, कुमार ने कहा कि उसे अपना बल्ला उसी समय चाहिए था, और उसे लेने के लिए वो फिर से छिपकर स्कूल में घुस गया.
उसने आरोप लगाया, ‘मैंने उस टीचर को लड़की को उस अंधेरे कमरे में ले जाते हुए देखा. फिर वो वहां से चला गया. उसके बाद धीमान नज़र आया और वो कमरे में दाख़िल हो गया. मुझे जिज्ञासा हुई इसलिए मैं वहां रुका रहा. लड़की और धीमान क़रीब आधे घंटे बाद नज़र आए’. कुमार ने आरोप लगाया, ‘सभी शिक्षकों को पता था कि वहां क्या चल रहा है. उन्होंने कुछ नहीं किया क्योंकि अगर वो कुछ कहते, तो उन्हें अपनी नौकरी खोने का ख़तरा था’. कुमार ने कहा कि उस समय उसने किसी को नहीं बताया, क्योंकि उसे स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा नहीं था, और उसे ये भी डर था कि अगर उसने अपना मुंह खोला, तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा.
इस पूर्व छात्र ने भी, जो अब ऊना में काम करता है, अभी तक पुलिस के साथ अपना बयान साझा नहीं किया है.
राजनीतिक संपर्कों पर दोष
पासीवाल और नंग्रान गांवों के निवासियों का आरोप था, कि उन्होंने 2012 में भारतीय जनता पार्टी के विधायक मदन मोहन मित्तल, और 2016 में कांग्रेस विधायक राणा केपी सिंह से शिकायत की थी, लेकिन उनमें से किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने बताया कि उन्होंने फुटेज की एक सीडी राणा और मित्तल दोनों को दी थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.
मित्तल ने, जो अब अकाली दल के साथ हैं, कथित उत्पीड़न की जानकारी होने से इनकार किया. उन्होंने फोन पर दिप्रिंट से कहा, ‘किसी ने मुझसे कुछ नहीं बताया. फिर, अभियुक्त एक कांग्रेसी है, तो मैं उसे क्यों बचाउंगा? मैं समझता हूं कि उसने जो किया वो अमानवीय है, और उसे कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए’.
गांव वालों का आरोप था कि धीमान बहुत लंबे समय तक कांग्रेस का ब्लॉक पंचायत नेता था, और राणा केपी सिंह का दाहिना हाथ था. लेकिन राणा ने कहा कि धीमान कभी भी अधिकारिक रूप से, कांग्रेस से जुड़ा हुआ नहीं रहा, या किसी पद पर नहीं रहा.
राणा ने फोन पर दिप्रिंट से कहा, ‘भीड़ भरी जगहों पर कोई भी आकर नेताओं के साथ तस्वीरें क्लिक करा सकता है. इसका ये मतलब नहीं है कि वो मेरा दाहिना हाथ हो गए. उसकी करतूतों की जानकारी तो दूर, आज से पहले मैंने कभी उसकी नाम तक नहीं सुना है. इस टीचर को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, ताकि एक मिसाल क़ायम हो सके’.
जब गांववालों से पूछा गया कि वो सीधे पुलिस के पास क्यों नहीं गए, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, और हर चीज़ का दोष ‘राजनीतिक दबाव’ पर मढ़ दिया. इसी बीच जिन महिलाओं ने धीमान के कथित यौन हमलों का सामना किया, उन्हें एक दशक से अधिक समय तक उसके साथ जीना पड़ा है, और वीडियोज़ के लीक होने से उनके घाव फिर से हरे हो गए हैं.
शिकायतकर्त्ता अश्विनी कुमार ने कहा कि इतने सालों तक आंखें फेरे रहने के बाद, अब गांव वाले उच्चतम-स्तर पर इसकी जांच चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं आपको बता रहा हूं कि ये एक बड़ा सेक्स स्कैण्डल है. धीमान अकेले काम नहीं कर रहा था. इस बात की जांच होनी चाहिए कि उसने इतनी सारी लड़कियों का शोषण कैसे और क्यों किया’.
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