नई दिल्ली: मेट्रो लाइनों और फ्लाईओवरों के अपने लगातार बढ़ते नेटवर्क के बावजूद, दिल्ली ने ओएमआई फाउंडेशन के ईज ऑफ मूविंग इंडेक्स 2022 में कम स्कोर किया है.
सर्वेक्षण के किसी भी पैरामीटर पर दिल्ली शीर्ष तीन रैंक में नहीं दिखाई दिया, जबकि पुणे, मुंबई और बेंगलुरु ने कम से कम 9 में से 5 पैरामीटर पर कम से कम तीसरी रैंक हासिल की. मेगासिटीज के बीच कुल स्कोर में, पुणे-पिंपरी चिंचवाड़ चार्ट में सबसे ऊपर है.
ओएमआई फाउंडेशन एक सोशल इनोवेशन एंड पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक है. मंगलवार को जारी इसकी ईज ऑफ मूविंग इंडेक्स रिपोर्ट 2022 भारत के 40 शहरों में शहरी गतिशीलता पर किए गए पहले और सबसे बड़े सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें 41 संकेतकों को कवर करने वाले नौ व्यापक मापदंडों पर 50,000 से अधिक लोगों ने प्रतिक्रिया दी है.
ये 9 व्यापक मानदंड थे – सक्रिय और साझा गतिशीलता के लिए प्रोत्साहन, निर्बाध गतिशीलता, विजन ज़ीरो की ओर, सभी के लिए गतिशीलता, सस्ती गतिशीलता, कुशल और विश्वसनीय गतिशीलता, स्वच्छ गतिशीलता, भविष्य की गतिशीलता और शहर में निवेश.
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 40 शहरों को आगे चार समूहों में विभाजित किया गया – प्रॉमिसिंग, राइजिंग, बूमिंग और मेगासिटी. प्रत्येक शहर के क्युमुलेटिव स्कोर को प्रत्येक पैरामीटर के लिए निष्पक्ष तुलना के लिए कुल मिलाकर उनके आकार के आधार पर अलग-अलग कंपोजिट स्कोर के साथ प्रस्तुत किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, 40 शहर भारत की शहरी आबादी के 25 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं.
कुल 9 शहरों को ‘मेगासिटी’ टैग प्राप्त हुआ क्योंकि उनकी जनसंख्या 40 लाख से ऊपर थी; आठ ‘बूमिंग’ श्रेणी (20-40 लाख जनसंख्या) में थे; ‘राइजिंग’ श्रेणी में 12 (10-20 लाख जनसंख्या); और 11 ‘प्रॉमिसिंग’ श्रेणी (10 लाख से कम आबादी) में थे.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि “ईज ऑफ मूविंग इंडेक्स, मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) का ही एक रूप है जो 30 से अधिक वर्षों से व्यापक रूप से विकास संकेतकों पर देशों का आकलन और तुलना करने के लिए उपयोग किया जाता है”.
यह भी कहा गया है कि “प्रत्येक पैरामीटर के लिए व्यक्तिगत कंपोजिट स्कोर के साथ प्रत्येक शहर के कुमुलेटिव स्कोर प्रस्तुत किए गए हैं. कंपोजिट स्कोर 9 पैरामीटर्स का ज्यामितीय माध्य (geometric mean) है. एक शहर अधिकतम 100 अंक प्राप्त कर सकता है.
एफोर्डेबल मोबिलिटी और सफाई
एफोर्डेबल मोबिलिटी पैरामीटर पर सभी नौ मेगासिटी में दिल्ली सबसे नीचे थी. इस पैरामीटर ने शहरों को दो संकेतकों के आधार पर स्कोर दिया – किसी व्यक्ति की आय का कितना हिस्सा आने-जाने पर खर्च किया गया था, और कितने प्रतिशत लोगों का मानना था कि सार्वजनिक परिवहन दो बिंदुओं के बीच सस्ती थी.
रिपोर्ट में कहा गया है, “एक व्यापक सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क को कम उपयोग किया जा सकता है यदि यह समाज के एक बड़े वर्ग के लिए वहनीय नहीं है. इस पैरामीटर का उद्देश्य 30,000 रुपये तक की मासिक घरेलू आय वाले उत्तरदाताओं द्वारा यात्रा पर खर्च की गई घरेलू आय के अनुपात को मापना है. साथ ही, शहर में किन्हीं दो जगहों के बीच सार्वजनिक परिवहन की एफोर्डबिलिटी के प्रति उनकी धारणा उनकी इच्छा और खर्च करने की क्षमता का संकेत है,”
एफोर्डबिलिटी (किफायती पारगमन संकेतक) की सार्वजनिक धारणा के मामले में भी दिल्ली का स्कोर सबसे कम था.
रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी में 25 प्रतिशत से कम उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की कि शहर में सार्वजनिक परिवहन सस्ती थी. दिल्ली के बाद कोलकाता था, जहां 30 फीसदी लोगों ने ऐसा ही माना.
रिपोर्ट में इसी तरह के संकेतकों पर आयोजित ईज ऑफ मूविंग इंडेक्स इंडिया रिपोर्ट 2018 के साथ तुलना भी की गई है.
तुलना से पता चलता है कि पिछले चार वर्षों में दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन के किफायती होने की धारणा को भारी धक्का लगा है.
2018 में, आधी दिल्ली (या दो में से एक व्यक्ति) का मानना था कि सार्वजनिक परिवहन सस्ता था, लेकिन 2022 में लगभग चार में से एक व्यक्ति का ऐसा मानना था.
दिल्ली के अलावा, कोलकाता एकमात्र मेगा शहर है जहां पिछले कुछ वर्षों में परिवहन एफोर्डबिलिटी की धारणा में गिरावट आई है. बाकी मेगासिटी में, अधिक से अधिक लोग सार्वजनिक परिवहन को सस्ता पा रहे हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में 58 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की कि दो बिंदुओं के बीच उनकी यात्रा सस्ती थी, जबकि मुंबई में लगभग 40 प्रतिशत का यही मानना था. 2018 में, मुंबई के लिए यही आंकड़ा 34 प्रतिशत था जबकि पुणे के लिए डेटा उपलब्ध नहीं था.
जब क्लीन मोबिलिटी की बात आती है, तो कोलकाता और दिल्ली को सबसे कम अंक मिले हैं.
यह पैरामीटर पर्यावरणीय कारकों पर आधारित था – 2021 में दर्ज औसत 2.5 पीएम स्तर और प्रति लाख जनसंख्या पर प्रदूषण से संबंधित मौतें. इलेक्ट्रिक वाहन से संबंधित कारक भी शामिल थे, जैसे कि व्यक्तिगत स्तर पर उनका अपनाना, उसी के लिए प्रमोशन की पॉलिसी, इलेक्ट्रिक बसों के प्रयोग की तरफ बढ़ना और साफ-सुथरी मोबिलिटी, ऐसे उत्तरदाताओं का प्रतिशत जो इस बात से सहमत थे कि सार्वजनिक परिवहन क्लीन, हाइजीनिक और अच्छी तरह से मेनटेन है.
गैर-मोटर वाला बुनियादी ढांचा
जिन लोगों के पास मोटर वाहन नहीं हैं वे भी महत्वपूर्ण यात्री हैं. ओएमआई फाउंडेशन के सर्वेक्षण से पता चलता है कि दिल्ली गैर-मोटर चालकों की मांगों को पूरा करने में विफल रही है, चाहे वे यात्री हों जो साइकिल चलाते हैं या जो पैदल अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं.
दिल्ली में साइकिलिंग को लेकर सकारात्मक धारणा 2018 में सबसे अधिक थी- लगभग 39 प्रतिशत लोगों ने शहर में साइकिल ट्रैक के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी. लेकिन 2022 में, केवल 13 प्रतिशत लोग – मेगासिटी में सबसे कम – इसके बारे में सकारात्मक थे.
अहमदाबाद को छोड़कर शेष सभी महानगरों में ऐसे लोगों की संख्या में वृद्धि देखी गई जिन्होंने शहर में साइकिलिंग ट्रैक के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.
इसी तरह, फुटपाथों की स्थिति की प्रतिक्रिया दिल्ली में पैदल चलने वालों की कठिनाइयों की ओर इशारा करती है.
2018 में, कोलकाता (53 प्रतिशत) के बाद दूसरे स्थान पर दिल्ली में 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने शहर में फुटपाथों की स्थिति पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी. 2022 में, यह आंकड़ा दिल्ली में 21 प्रतिशत और कोलकाता में 20 प्रतिशत था.
“सस्टेनेबल मोबिलिटी की जर्नी रास्ते में कई मील के पत्थर पार करती है, क्योंकि शहर कार्बन-न्यूट्रल बनने की ओर बढ़ते हैं. यदि बुनियादी ढांचा गति निर्धारित करता है, तकनीकी प्रगति और लोगों के व्यवहार में परिवर्तन सुनिश्चित करते हैं कि यात्रा सुखद है. ईज ऑफ मूविंग इंडेक्स रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि जहां ऐक्सेसिबिलिटी, एफोर्डबिलिटी और इन्क्लूसिविटी के आधार एक संपन्न गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र की नींव रखते हैं, वहीं इसे उस शहर के ताने-बाने को भी प्रतिबिंबित करना होगा, जहां यह काम करता है.
जैसा कि भारत 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और 2035 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की कोशिश कर रहा है, हमारे लाइट हाउस शहर को मोबिलिटी के लक्षणों को दिखाना होगा.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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