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Tuesday, 18 November, 2025
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बुनियादी ढांचा मुहैया कराएं, अदालतें सुनवाई पूरी करने के लिए दिन-रात काम करेंगी : न्यायालय

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नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह आवश्यक न्यायिक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराए।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह सुनिश्चित करेगा कि अदालतें दिन-रात काम करें और राष्ट्र के खिलाफ अपराध करने वाले तथा जघन्य अपराधों में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई छह महीने में पूरा हो जाए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ शीघ्र सुनवाई की वकालत करते हुए कहा कि यदि मुकदमा छह महीने में पूरा हो जाता है तो आरोपी को लंबी सुनवाई के आधार पर जमानत नहीं मिल सकेगी।

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा, ‘‘आप बस आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएं जिससे मुकदमा तेजी से पूरा होगा, ताकि राष्ट्र के खिलाफ अपराध करने वालों या जघन्य अपराधों में शामिल लोगों को जमानत न मिले। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अदालतें छह महीने में मुकदमा पूरा करने के लिए दिन-रात काम करें।’’

एएसजी ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव इस मामले से अवगत हैं और विशेष एनआईए अदालतों तथा विशेष कानूनों के लिए अन्य समर्पित अदालतों की स्थापना के मुद्दे पर विभिन्न राज्य सरकारों के साथ बैठक की गई है।

पीठ ने कहा कि आजकल मुकदमेबाजी की लागत बहुत अधिक है और यदि मुकदमा छह महीने में पूरा हो जाए तो यह सभी पक्षों के लिए फायदेमंद होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को गवाहों की गवाही के लिए अदालतों की ऑनलाइन सुविधा का लाभ उठाना चाहिए, ताकि वे दूर-दराज के स्थानों से भी स्वतंत्र रूप से गवाही दे सकें और यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुकदमे की सुनवाई तेजी से हो।

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘आपको गवाह संरक्षण योजना के तहत उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी और उन्हें श्रीनगर या अन्य दूर स्थानों से दिल्ली आने की आवश्यकता नहीं है।’’

एनआईए मामलों में बड़ी संख्या में गवाहों के शामिल किए जाने के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष को बड़ी सूची में कटौती करनी चाहिए तथा उन पर भरोसा करना चाहिए जो सबसे अधिक विश्वसनीय हैं।

भाटी ने शीर्ष अदालत को भरोसा दिया कि गृह मंत्रालय इन मुद्दों पर पहले से ही विचार-विमर्श कर रहा है और जल्द ही अदालत के समक्ष एक खाका प्रस्तुत किया जाएगा।

इससे पहले, माओवादी समर्थक कैलाश रामचंदानी और गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार कुख्यात अपराधी महेश खत्री से जुड़े एनआईए मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने विशेष कानूनों के तहत मामलों के लिए अदालतें नहीं गठित पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई और चिंता जताई कि अदालतें आरोपियों को जमानत देने के लिए मजबूर होंगी।

न्यायालय ने कहा था, ‘‘यदि प्राधिकार एनआईए अधिनियम और अन्य विशेष कानूनों के तहत त्वरित सुनवाई के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचे के साथ अदालतें स्थापित करने में विफल रहता है, तो अदालत को अनिवार्य रूप से आरोपी को जमानत पर रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि समयबद्ध तरीके से मुकदमे को समाप्त करने के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली निवासी रामचंदानी की जमानत याचिका पर यह आदेश पारित किया। रामचंदानी पर 2019 में एक आईईडी विस्फोट में राज्य पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया टीम के 15 पुलिसकर्मियों के मारे जाने के बाद मामला दर्ज किया गया था।

भाषा धीरज माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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