नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के ज़रिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में क्रांति लाने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिये बजट में किये गये प्रावधानों पर वेबिनार को संबोधित करते हुये विभिन्न पहलों के बारे में बताया. बजट में अगले वित्त वर्ष के लिये कृषि क्षेत्र के लिये कर्ज का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के 15 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 16.5 लाख करोड़ रुपये रखा गया है.
मोदी ने बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि देश के 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों के फायदे के लिये सरकार ने कई फैसले लिये हैं.
उन्होंने कहा कि ये छोटे और सीमांत किसान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभायेंगे.
देश के खाद्यान्न उत्पाद में लगातार वृद्धि का क्रम जारी है इसे देखते हुये प्रधानमंत्री ने फसल कटाई के बाद फसलों की साज संभाल, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन क्षेत्र में क्रांति लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
उन्होंने कहा यह बेहतर होता कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में दो-तीन दशक पहले ही ध्यान दिया गया होता. उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को तेजी से विकसित किये जाने की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुख्य तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र ही कृषि क्षेत्र में शोध एवं विकास कार्यों में योगदान करता रहा है लेकिन अब समय आ गया है कि इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़नी चाहिये.
उन्होंने किसानों को खेती में दूसरे विकल्प दिये जाने पर भी जोर दिया ताकि किसान केवल धान और गेहूं की खेती तक ही सीमित नहीं रहें.
उन्होंने कहा कि देश के कृषि क्षेत्र को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण बाजार तक विस्तार देने की जरूरत है. उन्होंने गांवों के आसपास ही कृषि- आधारित उद्योगों को बढ़ाने पर जोर दिया ताकि ग्रामीण जनता को इनमें रोजगार उपलब्ध हो सके.
प्रधानमंत्री ने कृषि स्टार्टअप को भी प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता जताई, कहा कि कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है.
मोदी ने ग्रामीण स्तर पर मिट्टी परीक्षण का नेटवर्क स्थापित करने की भी जरूरत बताई और साथ ही प्रौद्योगिकी तक किसानों की पहुंच पर भी जोर दिया.
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