शिलांग, 29 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मेघालय के पारंपरिक एरी सिल्क और उसके अनूठे हस्तशिल्प की प्रशंसा की तथा देश की स्वदेशी कला और शिल्प की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला।
मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने प्रधानमंत्री मोदी को मेघालय के गौरव का उल्लेख करने के लिए धन्यवाद दिया। इससे एक सप्ताह पहले उन्होंने प्रधानमंत्री को राज्य की महिलाओं द्वारा बुना गया सिल्क कपड़ा उपहार में दिया था।
अपने संबोधन में मोदी ने हाल में मेघालय के एरी सिल्क को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह ‘न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एरी सिल्क मेघालय के लिए एक धरोहर की तरह है। यहां की जनजातियों ने, खासकर ख़ासी समाज के लोगों ने पीढ़ियों से इसे सहेजा भी है, और अपने कौशल से समृद्ध भी किया है। इस सिल्क की कई ऐसी खूबियां हैं, जो इसे बाकी कपड़ों से अलग बनाती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसकी सबसे खास बात है इसे बनाने का तरीका, इस सिल्क को जो रेशम के कीड़े बनाते हैं, उसे हासिल करने के लिए कीड़ों को मारा नहीं जाता है, इसलिए इसे, अहिंसा सिल्क भी कहते हैं।’’
संगमा ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूक और नैतिक रूप से उत्पादित ऐसे उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ रही है। उन्होंने एरी सिल्क को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए ‘एक आदर्श उत्पाद’ बताया।
मोदी ने इसके टिकाऊ होने का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया भर में ऐसे सामानों की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘ये सिल्क सर्दी में गरम करता है, और गर्मियों में ठंडक देता है। इसकी ये खूबी इसे ज़्यादातर जगहों के लिए अनुकूल बना देती है।’’
इसके उत्पादन में मेघालय की महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित करते हुए, मोदी ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से एरी सिल्क क्रांति की सराहना की, जिसमें पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करते हुए स्थायी आजीविका का सृजन किया गया।
प्रधानमंत्री ने ‘वोकल फॉर लोकल’ के अपने आह्वान को दोहराते हुए सभी नागरिकों से स्वदेशी उत्पादों का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘ग्राहक भारत में बने उत्पाद ही खरीदें, और व्यापारी भारत में बने उत्पाद ही बेचें, तो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को नयी ऊर्जा मिलेगी।’’
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘यह हमारे पारंपरिक कपड़ा बुनकरों के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है। माननीय प्रधानमंत्री जी, आपका धन्यवाद।’
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप
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