scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होमदेशपटना HC ने पर्यावरण कानून के उल्लंघन के आरोपी व्यक्ति को जमानत के बदले 500 पौधे लगाने का आदेश दिया

पटना HC ने पर्यावरण कानून के उल्लंघन के आरोपी व्यक्ति को जमानत के बदले 500 पौधे लगाने का आदेश दिया

साथ ही आरोपी को छह महीनों तक पेड़ों की देखभाल का जिम्मा भी सौंपा गया है. अदालत का निर्देश पिछले कुछ सालों में दिल्ली, पंजाब-हरियाणा और मध्य प्रदेश के हाईकोर्टों द्वारा दिए गए इसी तरह के आदेशों का अनुसरण करता है.

Text Size:

नई दिल्ली: पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए), 1986 के उल्लंघन के चलते एक आरोपी व्यक्ति को इस शर्त पर अग्रिम जमानत देने के लिए राजी हुआ कि वह 500 पेड़ लगाएगा और छह महीने तक पेड़ों के रखरखाव की देखभाल भी करेगा.

न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की बेंच ने राधे शर्मा नाम के व्यक्ति की जमानत याचिका स्वीकार कर ली. उन्होंने खनन मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

शर्मा बिहार लघु खनिज रियायत नियम, 1972 के तहत दंडनीय अपराधों के आरोप का सामना कर रहे थे और उनपर ईपीए की धारा 15 के तहत पर्यावरण संरक्षण के उल्लंघन करने का आरोप है.

धारा 15, जो अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान करती है, के तहत पांच साल तक की कैद, 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. यदि अपराध एक वर्ष से अधिक समय तक किया जा रहा हो तो अपराधी को सात वर्ष तक की कैद हो सकती है.

बिहार खनन विभाग की ओर से पेश वकील नरेश दीक्षित ने अदालत को बताया कि अगर याचिकाकर्ता 500 पेड़ लगाने का वादा करता है तो उन्हें जमानत देने में कोई आपत्ति नहीं है. याचिकाकर्ता को पौधे जिला खनन अधिकारी के द्वारा उपलब्ध करवाए जाएंगे.

दीक्षित ने कहा, “उसे (आरोपी को) छह महीने तक पेड़ो के रखरखाव का भी ध्यान रखना होगा.” 

हालांकि, वकील ने जोर देकर कहा कि अगर शर्मा ने पेड़ नहीं लगाए, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जानी चाहिए.

जबकि शर्मा का कहना है कि उनकी ओर से कोई उल्लंघन नहीं किया गया था और उन्हें झूठे आरोपो में फंसाया गया था. लेकिन, कोर्ट ने दीक्षित की दलील से सहमति जताई और कहा कि अगर पेड़ नहीं लगाए गए तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.

अदालत ने आदेश दिया, “यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि याचिकाकर्ता इस आदेश का पालन करने में तथा कोर्ट के शर्तों का पालन करने में विफल रहता है, तो खनन विभाग याचिकाकर्ता की जमानत रद्द करने के लिए आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र होगा.”

शर्मा के मामले में एचसी का निर्देश देश के कई दूसरे हाईकोर्ट के आदेश का अनुसरण करता है. इसे पहले जमानत के लिए एक शर्त के रूप में पेड़ लगाने का निर्देश दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कई मौकों पर और पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा सितंबर 2020 में और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जून 2020 में दिया जा चुका है.


यह भी पढ़ें: भले ही गुजरात तेजी से आगे बढ़ने वाला राज्य, लेकिन वहां के लोग गरीबी रेखा में ‘पिछड़े’ बंगाल के बराबर हैं


‘कम से कम 10,000 पेड़ लगाएं’

दिल्ली हाई कोर्ट ने कई फैसलों में राजधानी में हजारों फलदार पेड़ लगाने का आदेश दिया है.

इस साल एक आदेश में, न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी (सेवानिवृत्त) ने विभिन्न याचिकाओं के बाद अदालत द्वारा वसूल की गई 80 लाख रुपये से अधिक की जमा राशि का उपयोग करने के लिए कम से कम 10,000 पेड़ लगाने का आदेश दिया.

एक वकील और दो पुलिसकर्मियों के बीच विवाद के एक मामले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने जागरूकता बढ़ाने के प्रयास को लेकर पुलिस कर्मियों को 100 फलदार पेड़ लगाने का निर्देश दिया.

अदालत ने कहा था, “दोषी पुलिस अधिकारियों द्वारा दिल्ली सशस्त्र पुलिस परेड ग्राउंड, किंग्सवे कैंप, दिल्ली में पिलखन, जामुन, अमलतास, गूलर, कटहल, बेर, बरगद, कदम्ब, काला सिरिस, सफेद सिरिस, पापरी और मौलसारी आदि जैसे 100 फलदार पेड़ लगाए जाएं.”

इसी तरह, न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने एक आपराधिक मामले में एक एफआईआर को इस शर्त पर रद्द कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा 10 पेड़ लगाए जाएंगे और 10 साल तक उसका रखरखाव का जिम्मा भी उनके ऊपर रहेगा.”

अदालत ने इस साल जून में कहा था, “याचिकाकर्ता समाज के गरीब तबके से आता है. इसलिए, मैं याचिकाकर्ता पर आर्थिक दंड नहीं लगा रहा हूं. हालांकि, मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता को कुछ सामाजिक भलाई करनी चाहिए, इसलिए उन्हें पौधे लगाने का आदेश दे रहा हूं.”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ें: Modi का दावा- 2024 में भारत बनेगा दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था, अर्थशास्त्री ने ठहराया गलत


 

share & View comments