scorecardresearch
Saturday, 27 April, 2024
होमदेशअर्थजगतModi का दावा- 2024 में भारत बनेगा दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था, अर्थशास्त्री ने ठहराया गलत

Modi का दावा- 2024 में भारत बनेगा दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था, अर्थशास्त्री ने ठहराया गलत

अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा कि सरकार जिन आंकड़ों के आधार पर ये बात कही रही है वे गलत हैं. प्रति व्यक्ति आय में हम अब भी दुनिया में 142वें स्थान पर हैं.

Text Size:

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बना जाएगा. पीएम ने ये बातें राजधानी दिल्ली में नये बने भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान कही. लेकिन अर्थशास्त्री उनके इस दावे को गलत मान रहे हैं और सरकार की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था के बताए जा रहे आंकड़ों को गलत ठहरा रहे हैं. वहीं दूसरे अर्थशास्त्री अर्थव्यवस्था के मौजूदा आंकड़ों के आधार मोदी के दावों के सच होने की बात कह रहे हैं.

पीएम मोदी ने इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर- भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान कहा, “हमारे पहले कार्यकाल में, हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की ’10 नंबरी’ (10वें स्थान पर) थी. दूसरे कार्यकाल में हम 5वें स्थान पहुंचे हैं, लेकिन मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगा….ये मोदी की गारंटी है. 2024 के बाद, मेरे तीसरे कार्यकाल में हमारे विकास की यात्रा तेज होगी.”

वहीं, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के जाने-माने अर्थशास्त्री, रिटायर्ड प्रोफेसर अरुण कुमार ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री गलत आंकड़ों के आधार पर ये बातें कह रहे हैं.

अरुण कुमार ने कहा, “10वें नंबर से 5वें नंबर पर और 5वें से तीसरे नंबर पर पहुंचने के लिए जिन आंकड़ों को आधार बनाया जा रहा है, वे आंकड़े सही नहीं है. क्योंकि नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र के आंकड़े सही नहीं हैं. सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था इस की वृद्धि दर को 8%, 7% और 6% बताती रही है, लेकिन 2016 के बाद से दरअसल यह 2 से 3 प्रतिशत या 0% से ज्यादा नहीं रही है, खासकर तब जब नोटबंदी के कारण सब बंद पड़ा था.”

उन्होंने कहा, “सरकार केवल आंकड़ों का खेल कर रही है. हम 10वें नंबर से 5वें नंबर पर नहीं पहुंचे हैं. अभी तो हम 10वें नंबर के आस-पास ही हैं, जहां हम पहले थे.”

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कुमार ने कहा कि, “सरकार के आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक कोविड महामारी के पहले हमारी ग्रोथ रेट, 2017-18 की चौथी तिमाही (क्वार्टर 4) में 8 प्रतिशत थी जो गिरकर 3 प्रतिशत हो गई. लेकिन इसमें असंगठित क्षेत्र शामिल नहीं है, इसलिए यह वृद्धि 0% या उससे कम हो सकती है. इसलिए हम 5वें नंबर पर नहीं, बल्कि 8वें, 9वे नंबर होंगे.”

उन्होंने कहा, “आखिर जब नोटबंदी से अर्थव्यवस्था गिर गई थी, तब कहा गया था कि हम 8 प्रतिशत के साथ वृद्धि कर रहे हैं. तो हम आंक सकते हैं कि यह कितना सच और कितना झूठ है. और फिर जीएसटी ने असंगठित क्षेत्र को ध्वस्त किया. एफएमसीजी सेक्टर कि रिपोर्ट, टेक्सटाइल सेक्टर, लेदर गुड्स सेक्टर, लगेज इंडस्ट्री की रिपोर्ट्स इसे साबित करती हैं.”


यह भी पढ़ें : भले ही गुजरात तेजी से आगे बढ़ने वाला राज्य, लेकिन वहां के लोग गरीबी रेखा में ‘पिछड़े’ बंगाल के बराबर हैं


अरुण कुमार ने कहा- विश्व बैंक, IMF के पास अपना आंकड़ा नहीं 

वहीं पीएम मोदी ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां भी कह रही हैं कि भारत में अत्यधिक गरीबी खात्मे के कगार पर है, जो दिखाता है कि 9 सालों में सरकार के फैसले और नीतियां देश को सही दिशा में ले जा रही हैं.”

कुमार इस पर कहते हैं, “दरअसल विश्व बैंक, ईडीबी और आईएमएफ खुद से आंकड़े इकट्ठा नहीं करता. वह सरकार के आंकड़े के आधार पर ही अपनी रिपोर्ट बनाता है. इसलिए जो सरकार के आंकड़ों में गड़बड़ी है, वही उसके आंकड़ों में भी गड़बड़ी होती है. वह एक इंडिपेंडेंट डेटा कलेक्टिंग (स्वतंत्र आंकड़े जुटाने वाली) एजेंसी नहीं है.”

ब्रिटेन से भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना गलत

कुमार ने कहा कि जहां तक इंग्लैंड से आगे होने की बात है तो वहां जब से ब्रेक्सिट हुआ है तब से गिरावट चल रही है.

ब्रेक्सिट दरअसल दो शब्दों से बना है ब्रिटेन और एग्जिट (Britain+Exit). यह शब्द तब बना जब यूके यूरोपियन यूनियन (ईयू) से 2020 में बाहर निकल गया है. 2016 में यूके ने यूरोपियन यूनियन यानी यूरोपी देशों के समूह में रहें या इससे बाहर निकल जाएं, इसको लेकर एक सर्वेक्षण कराया था. सर्वे में यूके के 51.89% लोगों ने यूरोपियन यूनियन से बाहर निकले को कहा था. इसके बाद अर्थव्यवस्था को नुकसान होने को आधार बनाकर ब्रिटेन ईयू से बाहर निकल गया था.

संगठित क्षेत्र के आंकड़े सही, पर असंगठित क्षेत्र के आंकड़े गलत

हालांकि, अरुण कुमार ने कहा, “55% संगठित क्षेत्र के आंकड़े को आधार बनाए तो वृद्धि की बात सही हो सकती है, लेकिन अंसगिठत क्षेत्र जो कि 45% है, जिसमें 14 प्रतिशत कृषि और बाकी 30 प्रतिशत अन्य असंगठित क्षेत्र है. 30 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में गिरावट है. असंगठित क्षेत्र के आंकड़े न मौजूद होने से 7-8 फीसदी की वृद्धि की बता गलत है, 30 फीसदी में गिरवाट के आधार पर आकलन करें तो हमारी ग्रोथ रेट, 0% 2%, 3% ही चल रही है, 7-8% नहीं.”

जेपी के जन्मदिन पर जारी की गई रिपोर्ट का दिया हवाला

कुमार ने कहा कि, “11 अक्टूबर 2022 को जय प्रकाश नारायण (जेपी) के जन्मदिन पर हमने एक रिपोर्ट निकाली, जिसके मुताबिक हमारे देश में 32 करोड़ लोगों के पास तो कोई ढंग काम है, लेकिन 28 करोड़ लोगों के पास ढंग का काम नहीं है, या बिलकुल काम नहीं है. इनमें 19 करोड़ ने काम ढूंढ़ना बंद कर दिया था. अगर 140 करोड़ की जनसंख्या में 32 करोड़ के पास ही ढंग का काम है. तो हर एक व्यक्ति 4 व्यक्ति को सहारा दे रहा है.”

उन्होंने कहा, “नवंबर 2022 में ई-श्रम पोर्टल का डेटा आया है, प्रधानमंत्री ने भी इसका जिक्र किया है. नवंबर 2022 तक, 28 करोड़ असंगठित क्षेत्र के लोगों ने इस पोर्टल पर रजिस्टर कराया. उसमें से 94 प्रतिशत ने बताया कि हमारी आमदनी 10 हजार रुपये से कम है, जो कि गरीबी रेखा के आस-पास ही हैं.”

अरुण कुमार ने कहा कि, “विश्व बैंक का गरीबी रेखा का जो पैमाना है वह 2.15 डॉलर है. यानि 5 लोगों के परिवार को 25 हजार महीने की आमदनी चाहिए. हालांकि, इसे पीपीपी टर्म में कहा जाता है, चलिए इसे हटा भी दें तो 13 हजार रुपये चाहिए. लेकिन 94 प्रतिशत लोग तो कह रहे हैं हमारी आमदनी 10 हजार रुपये से कम है. विश्व बैंक की रेखा से भारत की गरीबी नापें तो ये इस पोर्टल में दर्ज कराने वाले 94% लोग गरीब हैं. इसलिए हम 5वीं अर्थव्यवस्था हैं और तीसरी अर्थव्यवस्था हो जाएंगे, इसका कोई मतलब नहीं है. असली बात हमारे आंकड़ों में आ नहीं रही है.”


यह भी पढ़ें: भारत सबसे तेज अर्थव्यवस्था के ठप्पे में न उलझे, आर्थिक सफलताओं पर ध्यान दे


नीति आयोग के आंकड़े को भी गलत ठहराया

वहीं पीएम ने इस कार्यक्रम में नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, “भारत गरीबी को खत्म कर सकता है. पिछले 5 सालों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं.”

इस पर कुमार कहते हैं, “इसे मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी कहते हैं. जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और लिविंग स्टैंडर्ड होता है. लेकिन इसमें भी गड़बड़ी है. सरकार कह रही है कि ये 2019-21 के आंकड़े हैं. 2019-20 की बात तो ठीक थी, लेकिन 2020-21 में तो भयंकर कोविड महामारी फैली थी. इस दौरान कितने लोगों ने पलायन किया. बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे, कितने लोग मर गए, जिनके आंकड़े भी ठीक से नहीं पता हैं. ऐसे में यह कहना कि 13.5 करोड़ लोग मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी से निकल आए हैं, यह भी गलत है.”

उन्होंने कहा कि, “रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक कोविड महामारी के समय सिर्फ 47 दिन का काम मिल रहा था. जो कि साल में 9 दिन होता है, साल में 9 दिन के काम से पूरे साल का काम कैसे चल सकता है? इसलिए 135 मिलियन यानि 13.5 करोड़ लोग गरीबी से निकल आए हैं ये भी आंकड़ा सही नहीं है.”

‘प्रति व्यक्ति आय से नापी जानी चाहिए गरीबी’

अर्थशास्त्री कुमार ने कहा कि, “प्रति व्यक्ति आय में तो हम अभी भी दुनिया में 142वें स्थान पर हैं. जो कि ज्यादा महत्वपूर्ण है. अगर हम थोड़ी देर के लिए मान भी लें कि हमारी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से बड़ी हो गई है. लेकिन हमारे यहां तो 140 करोड़ लोग हैं, उनके यहां साढ़े 7 करोड़ लोग हैं. वो हमसे 15 गुना छोटे हैं. वास्तव में हमें प्रति व्यक्ति आय के आधार पर अपने देश की गरीबी को देखना चाहिए.”

इस सवाल पर कि क्या प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं तो अरुण कुमार ने कहा, “ऐसा कहना शोभा नहीं देता कि हम प्रधानमंत्री को झूठा बोलें, पर ये कह सकते हैं कि आंकड़े सही नहीं हैं.”

अर्थशास्त्री, जिन्होंने पीएम के दावों से जताई सहमति

हालांकि, बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने अर्थशास्त्री अरुण कुमार से अलग राय रखते हैं. उनका कहना है कि अगर अर्थव्यव्सथा इसी तरह मेनटेन रही तो प्रधानमंत्री के दावे सही हो सकते हैं.

वह प्रोफेसर अरुण कुमार द्वारा सरकार के आंकड़े के गलत होने की बात पर दिप्रिंट से कहते हैं, “फिर तो हम बात ही नहीं कर पाएंगे. हम तो ऑफिसियल आंकड़ों के आधार पर ही बात कर सकते हैं.”

मदन सबनवीस ने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था जिस तेज गति से बढ़ रही है और हमारा 7 और 7.5 प्रतिशत का मोमेंटम अगर अगले 5 साल तक बना रहता है तो हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं. क्योंकि चीन और अमेरिका जो कि हमसे आगे हैं, को छोड़रकर बाकी देश भारत से ज्यादा वृद्धि नहीं कर रहे हैं.” जिस तरह के निवेश का मौका भारत में है वैसा बाकी विकसित देशों में नहीं है.”

उन्होंने कहा, “जिस तरह भारत की सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे रही है, इन्वेस्टमेंट हो रहा है और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट पर इन्सेंटिव दिया जा रहा है, इससे तीसरी अर्थव्यवस्था बनना काफी संभव है.”

सबनवीस ने कहा जहां तक असंगठित क्षेत्र के डेटा की बात है तो उसके लिए भी प्रॉक्सी डेटा का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए आईआईपी ग्रोथ नंबर का इस्तेमाल होता है. ये काफी सालों से चल रहा है इसलिए मुझे नहीं लगता कि इसको लेकर बहुत बड़ी गड़बड़ी होगी.

पीएम ने भारत मंडपम का उद्घाटन किया

इससे पहले बुधवार को पीएम ने भारत मंडपम के उद्घाटन के दौरान कहा, “दुनिया का सबसे बड़ा म्यूजियम ‘युग युगीन भारत’ दिल्ली में जल्दी ही बनाया जाएगा.”

उन्होंने कहा कि IECC बैठकों, प्रोत्साहनों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों के लिए भारत का सबसे बड़ा डेस्टिनेशन होगा. लगभग 2700 करोड़ रुपये की लागत से विकसित यह विशाल परिसर 123 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें नए कन्वेंशन सेंटर, प्रदर्शनी हॉल, एम्फीथिएटर समेत कई अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की गई हैं.

एक भव्य वास्तुशिल्प वाला यह कन्वेंशन सेंटर बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों और सम्मेलनों की मेजबानी करेगा.

उन्होंने कहा कि शंख के आकार में विकसित इसमें भारत की पारंपरिक कला और संस्कृति के कई वास्तुशिल्प तत्व शामिल हैं.


यह भी पढ़ें : गरीबों की पहुंच से बाहर हो रही महंगी होती शिक्षा, संस्थानों की फीस तोड़ रही है आम लोगों के सपने


 

share & View comments